बड़ी खबर! ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच पर सेबी ने जारी की नई गाइडलाइन, 1 अप्रैल 2023 से होगा लागू
मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने ब्रोकर्स सिस्टम में ग्लिच को लेकर गाइडलाइंस जारी की है जिसमें ब्रोकर्स को तकनाकी खामी की सारी जानकारी एक्सचेंज को देनी होगी. साथ ही ये भी तय होगा कि किसे तकनीकी खामी माना जाएगा और किसे नहीं माना जाएगा.
ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच की परिभाषा तय की गई. (File Photo)
ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच की परिभाषा तय की गई. (File Photo)
Stock Market: बीते कई बरसों से अक्सर ब्रोकर्स के ट्रेडिंग टर्मिनल में या सिस्टम में तकनीकी खराबी आने पर निवेशकों को खामियाजा भुगतना पड़ता है. क्योंकि वो चालू शेयर बाजार में सौदे नहीं कर पाते. इसे लेकर ज़ी बिजनेस ने भी कई बार निवेशकों को भरपाई करने की आवाज उठाई थी. अब मार्केट रेगुलेटर सेबी (Sebi) ने इसे लेकर गाइडलाइंस जारी की है जिसमें ब्रोकर्स को तकनाकी खामी की सारी जानकारी एक्सचेंज को देनी होगी. साथ ही ये भी तय होगा कि किसे तकनीकी खामी माना जाएगा और किसे नहीं माना जाएगा.
1 अप्रैल 2023 से लागू होगा नियम
एक्सचेंजेज की तरह ब्रोकर्स को भी डिसास्टर रिकवरी साइट जैसी व्यवस्था बनानी होगी. ताकि आपदा की स्थिति में डिसास्टर रिकवरी साइट से कामकाज चालू रखा जा सके.
इससे पहले सेबी ने एक्सचेंजेज और दूसरे मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस में तकनीकी खामी पर पूरा व्यापक नियम बनाया था. ब्रोकर्स के लिए आज जारी नियम 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी होंगे.
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नई गाइडलाइन
ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच पर सेबी की गाइडलाइन जारी हुई है. ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच की परिभाषा तय की गई है. 5 मिनट या अधिक सिस्टम सामान्य नहीं तो टेक्निकल ग्लिच माना जाएगा.
टेक्निकल ग्लिच पता होने के 1 घंटे में एक्सचेंज को रिपोर्टिंग देनी होगी. ग्लिच के 1 दिन के बाद एक्सचेंज को शुरुआती जांच रिपोर्ट देने होंगे. टेक्निकल ग्लिच के 14 दिन बाद रूट कॉज एनालिसिस सौंपें जाएंगे जिसमें कब, कैसे, क्या उपाय, क्या आगे की योजना ये देना होगा. ब्रोकर्स को अपने लिए डिसास्टर रिकवरी साइट बनाना होगा. नई गाइडलाइन 1 अप्रैल 2023 से प्रभावी मानी जाएगी.
#BreakingNews | ब्रोकर्स के सिस्टम में टेक्निकल ग्लिच की परिभाषा तय की गई
— Zee Business (@ZeeBusiness) November 25, 2022
🔸5 मिनट या अधिक सिस्टम सामान्य नहीं तो टेक्निकल ग्लिच
🔸टेक्निकल ग्लिच पता होने के 1 घंटे में एक्सचेंज को रिपोर्टिंग
🔸ग्लिच के 1 दिन के बाद एक्सचेंज को शुरुआती जांच रिपोर्ट दें@SEBI_India pic.twitter.com/oTOjqGoKQs
प्राइमरी डेटा सेंटर से डिसास्टर साइट कम से कम 250 किमी दूर रखना होगा. ब्रोकर क्लाइंट की संख्या, कारोबार के हिसाब से क्षमता बढ़ाएंगे. पीक लोड देखें, पीक लोड की कम से कम 1.5 गुना क्षमता होगी. 70% से अधिक लोड होने पर सिस्टम में अलर्ट आना चाहिए. नए सॉफ्टवेयर को लोड करने से पहले भरपूर टेस्टिंग की जाए.
एक्सचेंज को ग्लिच होने पर दंड वसूलने का अधिकार
ब्रोकर्स के ट्रेडिंग सिस्टम पर एक्सचेंज को भी नजर रखना होगा. एक्सचेंज, ब्रोकर के सिस्टम में दिक्कत दूर करने के लिए सेल बनाएं. टेक्निकल ग्लिच से जुड़ा डेटा कम से कम 2 साल तक रखना होगा. बड़े ब्रोकर्स को 1 ट्रेडिंग डे पूरा DR साइट से काम करना होगा. स्टॉक एक्सचेंजेज को अधिकार कि वो ग्लिच होने पर दंड वसूलें. एक्सचेंज वेबसाइट पर भी टेक्वनिकल ग्लिच की पूरी जांच रिपोर्ट देंगे.
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