Monsoon Stocks: बेहतर मॉनसून से बनेंगे कमाई के मौके, संदीप जैन की टॉप पिक्स पर रखें नजर
इस साल अच्छी बारिश रहती है तो जहां कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलेगा, वहीं निवेशकों के लिए भी बाजार में कमाई के मौके बनेंगे.
Monsoon Stocks: दक्षिण-पश्चिम मानसून ने गुरुवार को केरल में दस्तक दे दी है. 2 दिन की देरी से दस्तक देने के बाद मानसून बेहतर गति से आगे बढ़ रहा है. देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छी खबर यह है इस साल भी भारत मौसम विभाग (आइएमडी) ने मॉनसून सामान्य रहने की उम्मीद जताई है. वहीं, रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा कि बेहतर मॉनसून से रिवाइवल के आसार दिखेंगे. इस साल अच्छी बारिश रहती है तो जहां कोरोना संकट में अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिलेगा, वहीं निवेशकों के लिए भी बाजार में कमाई के मौके बनेंगे. एक्सपर्ट का कहना है कि एग्रीकल्चर से जुड़ी कंपनियों, रूरल सेक्टर, ट्रैक्टर कंपनियों के अलावा एफएमसीजी कंपनियों के शेयरों में तेजी बन सकती है.
ये सेक्टर होंगे विनर
ट्रेड स्विफ्ट के डायरेक्टर संदीप जैन का कहना है कि बेहतर मानसून इकोनॉमी के लिए अच्छे संकेत हैं. बेहतर मॉनसून से रूरल सेक्टर और एग्रीकल्चर से जुड़ी कंपनियों की भी डिमांड बढ़ेगी. वहीं खेती अच्छी रही तो रूरल इनकम में बढ़ोत्तरी होगी, जिससे ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ेगी. इससे एफएमसीजी और आटो कंपनियों को फायदा होगा. कुल मिलाकर फर्टिलाइजर, ट्रैक्टर और एफएमसीजी स्टॉक विनर की स्थिति में होंगे. अभी से कुछ शेयरों पर नजर रखा जा सकता है, जिनमें आगे बेहतर ग्रोथ की उम्मीद है.
कहां बनेंगे कमाई के मौके
संदीप जैन का कहना है कि मानसून से जुड़े कुछ स्टॉक आउटपरफॉर्म कर सकते हैं. इनमें एचयूएल, आईटीसी, आरसीएफ, चंबल फर्टिलाइजर्स, महिंद्रा ईपीसी, GSFC, ब्रिटानिया, वीएसटी, पीआई इंडस्ट्रीज और कोरोमंडल इंटरनेशनल प्रमुख हैं.
एजेंसियों का मानसून पर अनुमान
मौसम विभाग के अनुसार इस साल लांग टर्म पीरियड एवरेज में मॉनसून 96 से 104 फीसदी रह सकता है. वहीं मौसम की जानकारी देने वाली एजेंसी स्काईमेट के अनुसार इस साल सामान्य की 103 फीसदी बारिश हो सकती है.
मॉनसून का अर्थव्यवस्था में योगदान
भारत में खेती योग्य 60 फीसदी से ज्यादा जमीन ऐसी है, जहां सिंचाई का ठीक प्रबंध नहीं है. ऐसे में उन क्षेत्रों में किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर रहते हैं. इस सीजन में चावल, मक्का, दाल, कपास और गन्ना जैसी फसलें मॉनसून पर निर्भर हैं. बेहतर मॉनसून से पैदावार बढ़ने के साथ खाने-पीने की चीजों के दाम काबू में रहेंगे. बता दें कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है. ऐसे में खेती अच्छी रहने से रूरल इनकम बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था को सपोर्ट मिल सकता है.