चावल के शौकीनों के लिए यह अच्छी खबर है कि बासमती चावल (Basmati Rice) के दामों में कमी आई है. बासमती चावल की निर्यात मांग में नरमी के कारण घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट आई है, जिसके कारण किसानों के लिए इस साल बासमती की खेती फायदेमंद साबित नहीं हो पाई है. बताया जा रहा है बासमती के दामों में यह कमी पिछले 5 सालों में आई सबसे बड़ी गिरावट है.

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चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीनों में बासमती चावल के निर्यात में 10 फीसदी की गिरावट आई है, जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल का भाव पिछले साल से 20 फीसदी टूट चुका है. कारोबारी बताते हैं कि बासमती चावल का उत्पादन ज्यादा होने और निर्यात सुस्त पड़ जाने के कारण कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है.

पंजाब बासमती राइस मिलर्स एसोसिएशन (All India Rice Exporters Association) के मुताबिक, इस साल देश में बासमती चावल का उत्पादन पिछले साल से 25 फीसदी ज्यादा है, जबकि निर्यात मांग इस समय कम है, जिसके कारण कीमतों में गिरावट आई है. पिछले साल बासमती चावल 1121 का औसत भाव 6500 रुपये प्रति कुंटल था. वहां इस साल 5300-5400 रुपये क्विंटल है. वहीं, 1121 धान का औसत भाव 2800 रुपये प्रति क्विंटल है.

पिछले साल बासमती का उत्पादन जहां 58 लाख टन था, वहीं इस साल करीब 75 लाख टन होने की उम्मीद है.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत ने करीब 20 लाख टन चावल का निर्यात किया, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान देश से 22 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था. इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले बासमती चावल के निर्यात में 10 फीसदी की गिरावट आई है. इस समय ईरान को बासमती चावल का निर्यात नहीं हो रहा है, जिसके कारण निर्यात में कमी आई है.

बता दें कि ईरान ने भारत से बासमती चावल का आयात करने पर पिछले कुछ समय से रोक लगा दी है. इससे पहले ईरान को जो निर्यात हुआ, उसका भुगतान भी नहीं हो रहा है.

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बासमती चावल के निर्यात को अगर रुपये के मूल्य में देखा जाए तो अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक भारत ने 15,564 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16,963 करोड़ रुपये का हुआ था.