Youvah: एक छोटे से शहर के तीन दोस्तों ने बनाया अपनी तरह का इकलौता Startup, स्कूल के बच्चों को दिलाता है इनटर्नशिप
इनटर्नशिप ना मिलने की समस्या का सॉल्यूशन लेकर आया है Youvah. ये स्टार्टअप स्कूल के 9 से 12वीं तक के स्टूडेंट्स को इनटर्नशिप का प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है.
स्कूल-कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद अधिकतर स्टूडेंट यही सोचते हैं कि आखिर उन्हें अच्छी नौकरी कैसे मिलेगी. अच्छा करियर बनाने के लिए एक अच्छी कंपनी की जरूरत होती है और साथ ही जरूरत होती है बहुत सारी स्किल्स की. एक कंपनी में काम करने की स्किल्स कभी स्कूल में नहीं पढ़ाई जा सकती हैं, ये कंपनी के साथ काम करने से ही सीखी जा सकती हैं. यही वजह है कि अधिकतर स्कूल स्टूडेंट पढ़ाई के बाद इनटर्नशिप करना पसंद करते हैं. अब तो नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में इनटर्नशिप को भी पढ़ाई का हिस्सा बना दिया गया है, ताकि स्टूडेंट्स को अच्छी स्किल्स मिल सकें. लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर इनटर्नशिप मिलेगी कैसे? क्या हर कंपनी में जाकर इनटर्नशिप के लिए आवेदन करना होगा? इसी समस्या का सॉल्यूशन लेकर आया है Youvah. ये स्टार्टअप स्कूल के 9 से 12वीं तक के स्टूडेंट्स को इनटर्नशिप का प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है.
इस स्टार्टअप की शुरुआत चेतन जॉचपुरे (23), राघव परसाई (23) और रोहित जैन (25) ने जनवरी 2022 में की थी. चेतन जॉचपुरे कंपनी के सीईओ हैं. राघव इस स्टार्टअप में सीटीओ की भूमिका निभा रहे हैं और रोहित जैन कंपनी के सीएमओ हैं. ये स्टार्टअप मध्य प्रदेश के एक छोटे से शहर खरगौन से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में इसे इंदौर शिफ्ट किया गया. कंपनी ने भले ही जनवरी 2023 में काम शुरू कर दिया था, लेकिन अपने आइडिया को कंपनी ने अगस्त-जुलाई 2022 के दौरान टेस्ट किया. पिछले वित्त वर्ष में कंपनी के पास करीब 5 हजार यूजर्स थे, जो अब 50 हजार से भी अधिक हो चुके हैं. इस दौरान कंपनी ने करीब 4 गुना ग्रोथ हासिल की है. अगर अभी की बात करें तो इस स्टार्टअप का बिजनेस पूरे देश में फैला हुआ है. पिछले 6 महीनों में कंपनी के पास नेपाल से भी कुछ यूजर्स आने लगे हैं. इस स्टार्टअप की वेबसाइट पर अभी करीब 1 लाख यूजर हर महीने विजिट करते हैं.
कैसे आया इनटर्नशिप को बिजनेस बनाने का आइडिया?
चेतन, राघव और रोहित का ये पहला बिजनेस नहीं है. इससे पहले खरगौन से ही इन्होंने मिलकर कुडोस (Kudos) नाम का ऐप शुरू किया था. बचपन के दोस्त चेतन और राघव स्कूलिंग के दौरान रोहित से मिले थे और फिर तीनों ने मिलकर टीनएजर्स के लिए ये कम्युनिटी प्लेटफॉर्म शुरू किया. तीनों दोस्तों ने इसकी शुरुआत इसलिए की थी, ताकि टीनएजर्स किसी प्लेटफॉर्म पर अपना टैलेंट दिखा पाएं. करीब 1 हजार बच्चे इस प्लेटफॉर्म से जुड़ भी गए, लेकिन यह बिजनेस स्केल नहीं हो सका. दरअसल, इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी उन्हें अपना टैलेंट दिखाने का मौका मिल रहा है, जिसकी वजह से एक सवाल उठने लगा कि आखिर इसके लिए अलग प्लेटफॉर्म की क्या जरूरत. ऐसे में तीनों दोस्तों ने बच्चों से बात करना शुरू किया कि उन्हें क्या चाहिए. इसी बीच उन्हें मार्केट में एक बड़ा गैप दिखा. उन्होंने पाया कि बच्चे चाहते हैं कि उन्हें इनटर्नशिप के मौके मिलें. बस ये देखते ही तीनों दोस्तों ने तय किया कि इस समस्या का समाधान निकालना है.
चेतन ने राघव और रोहित के साथ मिलकर रिसर्च शुरू कर दी. उसके बाद उन्होंने कुडोस को बंद किया, क्योंकि वह स्केल नहीं हो पा रहा था और यूवाह (Youvah) की शुरुआत की. ये नाम एक तो दिखाता है कि ये 'युवा' से जुड़ा है. दूसरा इसमें यू (You) और वाह हैं. चेतन बताते हैं सभी ने मिलकर ये नाम इसलिए रखा, क्योंकि वह युवाओं को 'वाह' मोमेंट देना चाहते हैं. शुरुआत में यूवाह की शुरुआत सिर्फ एक इंस्टाग्राम पेज की तरह की गई और बाद में जब यूजर आने लगे तो एक छोटी सी वेबसाइट बना ली.
एक के बाद एक मिलीं कई सफलताएं
सबसे पहले यूवाह के फाउंडर्स ने आईआईएम बेंगलुरु के प्री एक्युबेशन प्रोग्राम एएसआरसीएल के लिए अप्लाई किया. 15-20 दिन इंटरव्यू चले और यूवाह मध्य प्रदेश का पहला स्टार्टअप बना, जिसे एएसआरसीएल में इनक्युबेशन मिला.
2-3 महीने बाद आईआईएम अहमदाबाद के CIIE.CO एनक्युबेशन ने मौका दिया और यहां तक पहुंचने वाला भी यह मध्य प्रदेश का पहला स्टार्टअप बना.
आईआईएम अहमदाबाद के ही एक प्रोग्राम ईआईआर के तहत इस स्टार्टअप को हर महीने 30 हजार रुपये की स्कॉलरशिप मिलनी शुरू हुई. इस तरह साल भर में कंपनी को 3.6 लाख रुपये की स्कॉलरशिप मिली.
कुछ समय बाद आईआईएम अहमदाबाद से इस स्टार्टअप को 35 लाख रुपये का चेक भी मिला. इसके मामले में भी यह मध्य प्रदेश का पहला स्टार्टअप बना. यह फंड प्री-सीड राउंड के तहत मिला है.
करीब महीने-डेढ़ महीने बाद ही इंदौर के एक स्टार्टअप अमेरिकन चेज़ ने स्टार्टअप को करीब 1.35 करोड़ रुपये की फंडिंग दी है. यह फंडिंग भी प्री-सीड राउंड के तहत मिली है.
चेतन बताते हैं कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में भी अब सरकार ने 9-12 साल के बच्चों के लिए ट्रेनिंग और इनटर्नशिप जरूरी कर दी है. इसके लिए यूवाह ने शुरुआत में इंदौर के कई स्कूलों के साथ पार्टनरशिप की और बच्चों को ट्रेनिंग-इनटर्नशिप मुहैया कराई. आज के वक्त में इस स्टार्टअप ने 80 स्कूलों के साथ पार्टनरशिप की हुई है. जनवरी 2022 में शुरू होने के बाद कंपनी ने बिजनेस को जुलाई-अगस्त में मॉनेटाइज किया. चेतन बताते हैं कि 4-5 महीनों में ही उनके स्टार्टअप ने करीब 10-12 लाख रुपये का बिजनेस किया. स्टार्टअप इंडिया के तहत रजिस्टर्ड ये प्लेटफॉर्म अपनी तरह का पहला स्टार्टअप है.
कैसे काम करता है ये स्टार्टअप?
यह स्टार्टअप दो तरह के प्रोग्राम चलाता है- बीटा और अल्फा. बीटा के तहत कई कैटेगरी हैं, जैसे सोशल मीडिया, कंटेंट राइटिंग, वीडियो एडिटिंग, फाइनेंस मैनेजमेंट और भी बहुत कुछ. इसमें पहले 15 दिन की ट्रेनिंग होती है और फिर 4 दिन की प्रोफेशनल ट्रेनिंग होती है, जिसमें ऑर्गेनाइजेशनल बिहैवियर के बारे में भी बताया जाता है. इसके बाद प्लेटफॉर्म के ही रेज्यूमे बिल्डर की मदद से बच्चे अपना रेज्यूमे बनाते हैं और फिर उनकी कैटेगरी के हिसाब से ही उनका एक टेस्ट होता है. टेस्ट के बाद उन्हें एक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट दिया जाता है. टेस्ट के आधार पर उन्हें अलग-अलग टास्क मिलते हैं, जो उनकी इनटर्नशिप होती है. ये टास्क कई तरह की कंपनियों के होते हैं, जो सोशल वर्क करना चाहती हैं. इसके तहत 1 महीने की इनटर्नशिप पूरी करने के बाद बच्चों को एक इनटर्नशिप सर्टिफिकेट भी मिलता है. चेतन बताते हैं कि इसके तहत किसी भी स्कूल स्टूडेंट को पैसे नहीं मिलते हैं, बल्कि उसे सीखने का मौका मिलता है और इससे उसकी स्किल्स बढ़ती हैं. बता दें कि अभी कंपनी का फोकस सिर्फ ऑनलाइन मॉडल पर है, ताकि बिजनेस स्केल किया जा सके और अधिक से अधिक बच्चों को इसका फायदा दिया जा सके.
कंपनी का दूसरा काम करने का तरीका है पेड इनटर्नशिप. यह उन्हीं को ऑफर होती है जो पहले इनटर्नशिप सर्टिफिकेट हासिल कर चुके होते हैं. इसके तहत बच्चों को अलग-अलग कंपनियों में ऑनलाइन तरीके से ही पेड इनटर्नशिप दी जाती है. चेतन बताते हैं कि अभी कंपनी के पास 200 से ज्यादा बच्चे हैं, जो पेड इनटर्नशिप कर रहे हैं. बच्चों को पेड इनटर्नशिप के तहत 10 हजार से लेकर 45 हजार रुपये तक प्रति महीना कमाने का मौका मिल रहा है.
क्या है कंपनी का बिजनेस मॉडल?
चेतन बताते हैं कि यूवाह की शुरुआत खरगौन जैसी छोटी सी जगह से हुई है. ऐसे में यह कंपनी शुरू से ही रेवेन्यू फोकस रही है. ये पता नहीं कि फंडिंग मिलेगी या नहीं मिलेगी, कब मिलेगी, कितनी मिलेगी. ऐसे में यूवाह को शुरू से ही कमाई करने वाला प्लेटफॉर्म बनाया गया है. मौजूदा वक्त में यूवाह 999 से लेकर 1499 रुपये तक की टिकट साइज की ट्रेनिंग मुहैया कराता है. पिछले 6 महीनों में करीब 6000 यूजर्स ने कंपनी का प्लान खरीदा है. अभी यही कंपनी का इकलौता रेवेन्यू मॉडल है, जिसके तहत बच्चे ट्रेनिंग के लिए पैसे देते हैं. अभी कंपनियों से कोई पैसा चार्ज नहीं किया जा रहा है, लेकिन आने वाले टाइम में उस रेवेन्यू मॉडल पर भी जाया जाएगा.
चुनौतियां भी कम नहीं
भारत में इनटर्नशिप को लेकर जागरूकता बहुत कम है. विदेशों में बच्चे 14-15 साल बाद ही अपना कुछ करने लगते हैं, लेकिन भारत में 24-25 साल तक बच्चे पढ़ाई ही करते रहते हैं. ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती तो यही है कि लोगों को इनटर्नशिप के लिए जागरूक किया जाए. उन्हें बताया जाए कि कैसे इनटर्नशिप के जरिए बच्चों को अपनी स्किल्स बढ़ाने का मौका मिल सकता है. चेतन बताते हैं कि कई माता-पिता को लगता है कि इससे बच्चों की पढ़ाई पर असर होगा और उनका रिजल्ट खराब हो सकता है. समाज अभी इस मॉडल को स्वीकार नहीं कर पा रहा है, जो यूवाह के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
अब तक कितनी फंडिंग जुटा चुकी है कंपनी?
स्कूल स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप का प्लेटफॉर्म मुहैया कराने वाले स्टार्टअप YouVah ने प्री-सीड राउंड की फंडिंग (Pre-Seed Round Funding) की जरिए 2.10 लाख डॉलर यानी करीब 1.74 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है. यह फंडिंग CIIE.CO IIM अहमदाबाद और American Chase के को-फाउंडर्स से जुटाई गई है. हाल ही में हुई फंडिंग से मिले पैसों का इस्तेमाल टीम बनाने और ऑपरेशन के अलावा मार्केटिंग पर खर्च किया जाएगा. चेतन बताते हैं कि अगले 6-7 महीनों में यूवाह प्रॉफिटेबल हो जाएगा. इसके अलावा इस स्टार्टअप को 3.60 लाख और 2 लाख रुपये के ग्रांट भी मिल चुके हैं.
फ्यूचर का क्या है प्लान?
आने वाले कुछ सालों में यूवाह को स्केल कर के ज्यादा कंपनियों से जुड़ने का प्लान है. कैटेगरी को भी बढ़ाना है और इंप्रूव करना है. इतना ही नहीं, स्टार्टअप का मकसद इंटरनेशनल मार्केट तक भी पहुंचना है. अधिक से अधिक स्कूलों के साथ पार्टनरशिप करनी है, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को फायदा मिल सके. 12वीं पास बच्चों को कैसे जॉब मुहैया कराई जाए, उस दिशा में भी ये स्टार्टअप सोच रहा है. इतना ही नहीं, भविष्य में ये कंपनी ऑफलाइन मोड में भी इनटर्नशिप मुहैया कराने की दिशा में काम करेगी.