दुनिया भर में फेल होने के बावजूद भारत में कैसे सफल हो रही 10 मिनट डिलीवरी? जानिए यहां क्या अलग हो रहा है!
हाल ही में समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इंडस्ट्री एक्सपर्ट के हवाले से बताया था कि क्विक ग्रॉसरी कॉमर्स (Quick Commerce) दुनिया भर में काफी कम सफल रहे हैं, लेकिन भारत में वह सफल हो रहे हैं.
हाल ही में समाचार एजेंसी आईएएनएस ने इंडस्ट्री एक्सपर्ट के हवाले से बताया था कि क्विक ग्रॉसरी कॉमर्स (Quick Commerce) दुनिया भर में काफी कम सफल रहे हैं, लेकिन भारत में वह सफल हो रहे हैं. बता दें कि एक स्टार्टअप (Startup) के कम सफल रहने का मतलब ये है कि एक लेवल के बाद वह फेल हो सकता है. मौजूदा वक्त में भारत में क्विक कॉमर्स सेगमेंट में 3 बड़े खिलाड़ी हैं- ब्लिंकइट (Blinkit), जेप्टो (Zepto) और स्विगी का इंस्टामार्ट (Instamart). देखा जाए तो अभी कोई भी क्विक कॉमर्स स्टार्टअप मुनाफा नहीं कमा रहा है, लेकिन इनकी ग्रोथ काफी तेज हो रही है.
किसके पास कितना मार्केट?
ब्लिंकइट, जेप्टो और स्विगी का इंस्टामार्ट एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं. इसी के चलते वह ऑफर से कैशबैक तक दे रहे हैं और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचना चाह रहे हैं. बात अगर इनके मार्केट शेयर की करें तो अभी सबसे ज्यादा करीब 45 फीसदी मार्केट शेयर ब्लिंकइट के पास है. वहीं इंस्टामार्ट के पास 27 फीसदी और जेप्टो के पास करीब 21 फीसदी मार्केट है. इनके अलावा बिग बास्केट के पास करीब 7 फीसदी मार्केट है. ब्लिंकइट के पास सबसे ज्यादा मार्केट शेयर है, जिसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि वह सिर्फ ग्रॉसरी या सब्जी तक सीमित नहीं है, बल्कि आईफोन, प्लेस्टेशन, फैन, प्यूरिफायर जैसे तमाम चीजों की डिलीवरी भी 10 मिनट में कर रहा है.
भारत में क्विक कॉमर्स क्यों हो रहा सफल?
भारत में क्विक कॉमर्स के सफल होने की एक बड़ी वजह ये है कि कंपनी यहां पर आबादी बहुत ज्यादा है. आबादी अधिक होने के चलते लोग काफी पास-पास रहते हैं. वहीं हाईराइज अपार्टमेंट्स की बात करें तो काफी कम इलाके में ही लाखों लोग रहते हैं. वहीं गली-गली में किराना स्टोर्स की भी भरमार है. कंपनियों को जहां जरूरी लगता है वहां अपना डार्क स्टोर बना लेती हैं और जहां जरूरत नहीं लगता, वहां किराना स्टोर्स से टाईअप कर लेती हैं. इस तरह ये स्टार्टअप बहुत ही कम लागत में सेवाएं मुहैया करा पा रहे हैं.
लोग अपनी सहूलियत देख रहे हैं
क्विक कॉमर्स को सफल बनाने में बहुत बड़ा रोल है जेन जी और मिलेनियल्स का. यानी युवा पीढ़ी के लोग इसका खूब इस्तेमाल कर रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने वाले 90 फीसदी ऐसे ही युवा हैं. युवा पीढ़ी को किसी भी चीज के लिए बहुत ज्यादा इंतजार करना पसंद नहीं है, ऐसे में वह कुछ अतिरिक्त पैसे देकर भी सामान को जल्दी मंगाने को प्राथमिकता देते हैं. वहीं लोग इस तरह भी देख रहे हैं कि कोई सामान लेने के लिए मार्केट जाना पड़ेगा, जिसमें वक्त लगेगा और अगर गाड़ी से जाते हैं तो उसका पेट्रोल का खर्चा भी होगा. ऐसे में 10 मिनट में सामान घर पहुंच जाए तो इससे अच्छा क्या होगा.
कितना बड़ा है ये मार्केट?
मार्केट इंटेलिजेंस फर्म रेडसीर की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का क्विक कॉमर्स मार्केट तेजी से बढ़ रहा है। यह पिछले साल ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू (GMV) के मामले में सालाना आधार पर 77 फीसदी बढ़कर 2.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। सिर्फ ब्लिंकइट का ही जीएमवी करीब 1.7 अरब डॉलर है.
क्विक कॉमर्स स्टार्टअप्स का क्या है हाल?
रेगुलेटरी फाइलिंग के अनुसार ब्लिंकइट का ऑपरेशन्स से रेवेन्यू पिछले वित्त वर्ष में 2301 करोड़ रुपये रहा है. इस साल कंपनी एडजस्टेड एबिटडा पॉजिटिव हो गई है, लेकिन अभी ये नहीं कहा जा सकता कि ब्लिंकइट मुनाफा कमाने लगी है. यह उससे पिछले साल 806 करोड़ रुपये था यानी रेवेन्यू करीब 3 गुना हो गया है. वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी को करीब 1000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
बात अगर जेप्टो की करें तो 2023 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 14 गुना बढ़कर 2024 करोड़ रुपये हो गया था, लेकिन दिक्कत ये है कि कंपनी का नुकसान भी लगभग 3 गुना होकर 1272 करोड़ रुपये हो गया. बात अगर स्विगी के इंस्टामार्ट की करें तो वित्त वर्ष 2022 में इसका रेवेन्यू करीब 2036 करोड़ रुपये था, लेकिन कंपनी नुकसान में ही थी.