हाल ही में हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच (Madhabi Puri Buch) पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक रिपोर्ट जारी की है. आरोप लगाया है कि SEBI चेयरपर्सन के पास अडानी ग्रुप (Adani Group) की एक कंपनी में हिस्सेदारी है. उन पर घोटाले में शामिल होने का भी आरोप है. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी वजह से सेबी ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ 18 महीने में भी कार्रवाई नहीं की है. हालांकि, अब सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति ने उन पर लगे तमाम आरोपों को खारिज करते हुए सफाई दे दी है. अडानी ग्रुप की तरफ से भी सफाई जारी की जा चुकी है, लेकिन एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर हिंडनबर्ग चीज क्या है और इसने ये अजीब सा नाम क्यों रखा है.

क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च?

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

हिंडनबर्ग रिसर्च अमेरिका की एक निवेश कंपनी है. इसकी शुरुात Nathan Anderson नाम के एक बिजनेसमैन ने 2017 में की थी. कंपनी का कहना है कि वह फॉरेंसिक फाइनेंशियल रिसर्च में एक्सपर्ट है और उसके पास दशकों का अनुभव है. कंपनी की वेबसाइट के अनुसार यह कंपनी ऐसे सूत्रों से मिली जानकारियों के आधार पर शोध करती है, जो असामान्य होते हैं. यह जानकारियां ऐसी होती हैं, जिन्हें ढूंढना बहुत ही मुश्किल होता है. ये कहना गलत नहीं होगा कि ये फर्म तमाम कंपनियों के डार्क सीक्रेट ढूंढ निकालता है. बता दें कि यह कंपनी शुरू करने से पहले वह Harry Markopolos के साथ भी काम कर चुके हैं, जिन्होंने महाठग कहे जाने वाले Bernie Madoff की पोंजी स्कीम का पर्दाफाश किया था.

कई कंपनियों के खिलाफ जारी कर चुका है रिपोर्ट

हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब तक कई कंपनियों को लेकर ऐसी रिपोर्ट जारी की हैं. इन रिपोर्ट की वजह से उन कंपनियों के शेयरों में भी भारी गिरावट देखने को मिली थी. 2020 में हिंडनबर्ग ने ही अमेरिका की ट्रक बनाने वाली कंपनी निकोला (Nikola) और सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर में भी अपनी हिस्सेदारी बेची थी. इससे उन दोनों कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. बता दें कि Nikola एक इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी थी, जिसने निवेशकों को अपने नए व्हीकल्स के बारे में गलत जानकारी देते हुए ठगा था. हकीकत में उसके पास कोई इलेक्ट्रिक व्हीकल था ही नहीं. यह रिसर्च फर्म WINS Finance, China Metal Resources Utilization, HF Foods और Riot Blockchain के खिलाफ भी रिसर्च रिपोर्ट जारी कर चुकी है.

हिंडनबर्ग रिसर्च नाम ही क्यों चुना?

इस कंपनी का नाम सुनकर लोग अक्सर थोड़ा हैरान होते हैं कि आखिर कंपनी ने इस तरह का नाम क्यों रखा. ऐसा नाम रखने के पीछे भी एक खास वजह है. कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार एक डिजास्टर यानी त्रासदी को ध्यान में रखते हुए इस कंपनी का नाम हिंडनबर्ग रिसर्च रखा गया था. कंपनी का मानना है कि उस डिजास्टर को टाला जा सकता है, लेकिन सही वक्त पर सही कदम नहीं उठाए गए.

यहां बात हो रही है उस हादसे की, जिसने करीब 37 लोगों की जान ले ली. ये बात है 6 मई 1937 की, जब करीब 100 लोगों को लेकर जा रहा हिंडनबर्ग एयरलाइंस का विमान अमेरिका से न्यू जर्सी के मैनचेस्टर में हादसे का शिकार हो गया था. इसमें करीब 37 लोगों की जलकर दर्दनाक मौत हुई थी. बता दें कि उस दौर में यह एयरलाइन हाइड्रोजन से भरे एयरशिप में करीब 100 लोगों को बैठाकर ले गया था. हाइड्रोजन गैस बहुत ही ज्वनलशील गैस होती है, लेकिन फिर भी इस बात को नजरअंदाज किया गया. यह भी तब किया गया, जबकि इसी तरह के दर्जनों छोटे-मोटे हादसे पहले भी हो चुके थे.