कुछ समय पहले हुए एक स्टडी के अनुसार भारत में करीब 12 करोड़ महिलाएं सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं. इससे हर साल करीब 12.3 अरब नैपकिन जनरेट होते हैं, जो 1.13 लाख टन सालाना वेस्ट के बराबर है. यह नैपकिन चिंता का विषय इसलिए हैं क्योंकि यह बायोडीग्रेड नहीं होते हैं. खैर, अब बहुत सारे स्टार्टअप इस समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा ही एक स्टार्टअप है वात्सल्य वेलनेस (Vatsalya Wellness), जिसने ऐसा सैनिटरी नैपकिन बनाया है, जो 100 फीसदी बायोडीग्रेडेबल है.

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इस स्टार्टअप की शुरुआत चित्रांशी और पारितोष ने की है. इस स्टार्टअप के बने सैनिटरी नैपकिन की खास बात ये है कि यह महज 181 दिन में पूरी तरह से डीग्रेड हो जाता है. स्टार्टअप की को-फाउंडर चित्रांशी बताती हैं कि एक वक्त था जब वह खुद भी रैश और इनफेक्शन झेल रही थीं. उन्होंने कई सारे प्रोडक्ट इस्तेमाल किए, लेकिन उनसे कोई फायदा नहीं हुआ. ऐसे में उन्होंने सोचा कि इससे जुड़ा कुछ बनाया जाए, जो महिलाओं की मदद कर सके. 

वहीं दूसरी ओर पारितोष जब कॉरपोरेट नौकरी कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने देखा कि 3 ऐसी महिलाएं हैं जो पीरियड के दौरान एक ही कपड़ा इस्तेमाल कर रही थीं. ये देख कर उन्हें लगा कि क्या इसका कुछ कर सकते हैं? उस वक्त पारितोष को सैनिटरी नैपकिन क्या है, इसका कोई आइडिया भी नहीं था. उन्हें यह भी नहीं पता था कि यह क्या होता है, कैसे काम करता है. इसके बाद जब पारितोष रिसर्च कर रहे थे, उसी दौरान उनकी मुलाकात चित्रांशी से हुई. तब पारितोष को पता चला कि चित्रांशी का भी वही विजन था और यहां से दोनों ने साथ मिलकर काम शुरू करते हुए वात्सल्य वेलनेस की शुरुआत की.

20 तरह के प्रोडक्ट हैं कंपनी के पास

मौजूदा वक्त में कंपनी के पास कुल 20 तरह के वुमेन वेलनेस प्रोडक्ट हैं. कंपनी का सबसे अहम प्रोडक्ट सैनिटरी नैपकिन है. कोई नैपकन कॉटन से बनता है तो कोई बनाना फाइबर या बैंबू फाइबर से. पारितोष कहते हैं कि महिलाएं अपने हिसाब से सैनिटरी नैपकिन के पैक को कस्टमाइज भी कर सकती हैं, जिसकी सुविधा कंपनी की वेबसाइट पर मिलती है.

1 लाख रुपये से शुरू किया बिजनेस

वात्सल्य वेलनेस की शुरुआत चित्रांशी और पारितोष ने करीब 1 लाख रुपये लगाकर की थी. कंपनी को स्टार्टअप इंडिया की तरफ से फंडिंग मिली है. यह स्टार्टअप एक एमएसएमई हैकेथॉन के लिए भी चुना गया है. कंपनी का दावा है कि वह अब तक करीब 1 लाख महिलाओं की जिंदगी पर अपना असर छोड़ चुकी है. बता दें कि इस स्टार्टअप में प्रोडक्ट डेलवपमेंट की बैकबोन चित्रांशी हैं, उन्होंने ही तय किया है कि प्रोडक्ट कैसा होगा और कैसा नहीं.

IIM अहमदाबाद में लॉन्चिंग और टेस्टिंग

चित्रांशी बताती हैं कि स्टार्टअप का पहला प्रोडक्ट पारितोष के कॉलेज आईआईए- अहमदाबाद में ही लॉन्च किया गया था. इतना ही नहीं, वहां पर पारितोष के कॉलेज बैचमेट्स से ही इसे टेस्ट भी करवाया गया था. वहां से प्रोडक्ट को लेकर बहुत ही खराब फीडबैक मिला, जिस पर कंपनी तेजी से सुधार करती रही और 15वीं बार में फाउंडर्स ऐसा प्रोडक्ट बनाने में सफल हो गए, जो मार्केट में सबको पसंद आए.

2 तरह के इनोवेशन हैं इस नैपकिन में

वात्सल्य वेलनेस के सैनिटरी नैपकिन में 2 तरह के इनोवेशन हैं. पहला तो यही है कि यह 100 फीसदी सर्टिफाइड बायोडीग्रेडेबल है. वहीं दूसरा इनोवेशन है हनी बी वैक्स, जिसका इस्तेमाल करते हुए नैपकिन को चिपकने लायक बनाया जाता है, वरना दिक्कत होगी. बता दें कि कंपनी ने इस नैपकिन को बनाने में कुछ खास चीजों को खास अनुपात में मिलाकर बनाया है. ऐसे में कंपनी ने इसे लेकर पेटेंट भी फाइल किया है, जिससे कोई इसकी नकल ना कर सके.