अमेरिका के एक स्टार्टअप Heliospect Genomics अपनी एक विवादास्पद सर्विस को लेकर सुर्खियों में छा गया है. यह स्टार्टअप (Startup) अमीर लोगों को उनके होने वाले बच्चे के भ्रूण की स्क्रीनिंग कराने की सुविधा देता है. स्क्रीनिंग से बच्चे का आईक्यू और अन्य आनुवंशिक गुणों की जांच की जाती है. इसे लेकर नैतिकता की बात करते हुए एक बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि जेनेटिक्स के साथ छेड़छाड़ करना कितना सही है?

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द गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह स्टार्टअप अपनी इस विवादास्पद सर्विस के तहत 100 भ्रूण की स्क्रीनिंग के लिए 40 हजार डॉलर यानी करीब 42 लाख रुपये तक की फीस लेता है. द गार्डियन का दावा है कि उसके पास एक अंडरकवर वीडियो फुटेज भी है. रिपोर्ट के अनुसार एक दर्जन से भी अधिक लोग आईवीएफ (IVF) सेवा ले रहे हैं.

6 प्वाइंट तक अधिक आईक्यू

कंपनी का दावा है कि उनकी टेक्नोलॉजी की मदद से आप ऐसे बच्चे का चुनाव कर सकते हैं, जिसका आईक्यू लेवल अधिक होगा. कंपनी के अनुसार उनका आईक्यू सामान्य तरीके से पैदा हुए बच्चों से करीब 6 प्वाइंट अधिक होता है. हालांकि, विशेषज्ञ इस प्रैक्टिस को गलत कह रहे हैं. आलोचकों का ये कहना है कि इस तरह तो समाज ही जेनेटिक्स के आधार पर बंट जाएगा. ऐसे में नेचुरल तरीके से पैदा हुए लोगों को मौके कम मिलेंगे और जेनेटिक्स में सुधार किए हुए लोग अधिक मौके पाएंगे.

सुपरचिकन की तरह नतीजे भयावह ना हों

इसे लेकर एक डर भी जताया जा रहा है कि इसके खतरनाक नतीजे भी देखने को मिल सकते हैं. पहले भी एनिमल ब्रीडिंग में सुपरचिकन बनाने की कोशिश हुई है. उन्हें बेहतर प्रोडक्टिविटी के लिए बनाया गया था, लेकिन उनमें बहुत ही ज्यादा आक्रामक बर्ताव देखने को मिला. तो डर ये है कि कहीं बच्चों के जेनेटिक्स से छेड़छाड़ करने के नतीजे भी भयावह ना हो जाएं.

कंपनी का दावा- 'सभी नियमों का कर रहे पालन'

Heliospect Genomics जल्द ही अपनी सेवाएं लॉन्च करने की तैयार कर रही है. हालांकि, इसकी सेवाओं को लेकर विवाद बना हुआ है. कंपनी का दावा है कि वह सभी नियमों और कानूनों का पालन कर रही है. अब ये विवाद कहां तक पहुंचता है ये देखना दिलचस्प होगा.