सोशल मीडिया के इस दौर में अधिकतर लोग कई तरह की सलाह के लिए सोशल मीडिया साइट्स पर ही प्रोफेशनल की तलाश करते हैं. तलाश पूरी होते ही लोग उन्हें मैसेज करते हैं या किसी और तरीके से बात करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कम ही प्रोफेशनल होते हैं, जो जवाब देते हैं. इसी समस्या का समाधान करने के लिए एक स्टार्टअप शुरू हुआ है, जिसका नाम है Unikon.ai. 

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Unikon.ai का मतलब हुआ आप (U) और (N or AND) मैं (I) को जोड़ने (Connect or Kon) वाला प्लेटफॉर्म. आज के वक्त में लोगों को पर्सनल से लेकर प्रोफेशनल समस्या तक पर किसी से बात करनी होती है, लेकिन उन तक पहुंच नहीं हो पाती है. ऐसे में Unikon.ai के जरिए यह किया जा सकता है. 2024 की शुरुआत में ही पलाश अर्नेजा, आकाश आनंद और सुमित ने यह स्टार्टअप शुरू किया. इसका टेक बनाने में करीब 6 महीने का वक्त लग गया.

ऐसे हुई Unikon.ai की शुरुआत

आकाश और पलाश ने एक दिन पढ़ा कि लिंक्डइन पर लोग जो डायरेक्ट मैसेज (DM) करते हैं, उस पर रेस्पॉन्स रेट सिर्फ 1 फीसदी है. वहां से लगा कि लोगों को कितनी दिक्कत है, लोग मैसेज करते हैं, लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिलता. सामने वाले प्रोफेशनल की भी गलती कहना सही नहीं होगा, क्योंकि उसके पास भी समय  की कमी है और बात करने के लिए उसे कोई इन्सेंटिव  भी नहीं मिल रहा है. यहीं पर सामने आता है Unikon.ai, जो इन प्रोफेशनल्स को बात करने पर इंसेंटिव  देता है. इन प्रोफेशनल्स को चैट या कॉल का रेस्पॉन्स करने के बदले पैसे मिलते हैं.

कौन हैं पलाश अर्नेजा?

Unikon.ai के को-फाउंडर पलाश अर्नेजा एक मिडिल क्लास से आते हैं. पढ़ने में काफी तेज थे, इसलिए 21 साल की उम्र से पहले ही सीए बन गए. हालांकि, उन्हें डिग्री सीए की परीक्षा पास करने के 6 महीने बाद मिली, क्योंकि 21 साल से पहले किसी को सीए की डिग्री नहीं दी जाती है. इसके बाद वह स्विस बैंक गए, जहां बैंकिंग और फाइनेंस पर काम किया. उसके बाद एचएसबीसी में इन्वेस्टमेंट बैंकिंग की और वाइस प्रेसिडेंट की भूमिका में रहे. पलाश ने डेलॉयट में भी काम किया, जहां उन्होंने करीब 700 लोगों की टीम हैंडल की. इसके बाद Unikon.ai की शुरुआत की.

अगर बात की जाए बाकी को-फाउंडर्स की तो आकाश आनंद बेला विटा के फाउंडर हैं. उसके चलते लोग उन्हें पहले से ही जानते हैं. वहीं सुमित से आकाश और पलाश की मुलाकात एक इवेंट में हुई थी. सुमित ने Zecpe नाम का एक बाऊ नाऊ पे लेटर सॉल्यूएशन बनाया था. इसे बाद में कैशफ्री ने खरीद लिया था.

लोग कमा सकते हैं तगड़ा पैसा

लोग अपनी स्किल्स बेचने के लिए खुद को Unikon.ai पर रजिस्टर कर सकते हैं. इसमें चैट, ऑडिया और वीडियो कॉल का विकल्प है. लोग अपने हिसाब से अपने टाइम की कीमत तय कर सकते हैं. इस पूरी ट्रांजेक्शन में Unikon.ai आपसे 20 फीसदी कमीशन लेता है. वहीं बाकी के पैसे तुरंत ही आपके वॉलेट में दिखने लगेंगे, जिसे आप करीब 24 घंटे बाद निकाल सकते हैं.

4 फीचर हैं इस ऐप में

1. Uniseek

इसके तहत लोग छोटी सी कोई वीडियो बनाकर डाल सकते हैं, जिसमें वह अपनी समस्या या जरूरत के बारे में बता सकते हैं. लोग उस वीडियो पर कनेक्ट कर सकते हैं बता सकते हैं कि क्या मदद कर पाएंगे और कितने पैसे लेंगे.

2. Unishorts

इसमें आप दो लोगों को आपस में बात करते हुए सुन सकते हैं. यह शॉर्ट क्लिप होती है किसी बातचीत की, लेकिन राइट  स्वाइप कर के आप पूरी बात देख सकते हैं. यह बातचीज यूजर्स से इजाजत लेकर रिकॉर्ड की जाती है, जिससे लोग मुफ्त में फायदा उठा सकते हैं.

3. Unishow

इस पर आप कोई वेबिनाइर, इवेंट या शो होस्ट कर सकते हैं या ज्वाइन कर सकते हैं. 

4. UniKonnect

इसमें बहुत सारे लोगों के लिस्ट होती है, आप फिल्टर लगाकर ढूंढ सकते हैं कि आपको कैसे शख्स से बात करनी है. तमाम प्रोफेशनल्स की रेटिंग भी होती है, जिससे आपको सही फैसला लेने में मदद मिलती है.

40 एंजेल निवेशकों से लगाए पैसे

पलाश कहते हैं कि अनंता कैपिटल ने हमेशा कंपनी को सपोर्ट किया है. जब उनसे बात की तो शुरुआत में उन्होंने ही पैसे लगाए, जिससे सपोर्ट मिला. इसके बाद बहुत सारे एंजेल निवेशकों से पैसे उठाए, जिनमें निखिल कामत, पीयूष बंसल, शरण हेगड़े, तन्मय भट्ट जैसे लोग हैं. 40 से भी ज्यादा एंजेल निवेशकों ने कंपनी में निवेश किया हुआ है. पलाश कहते हैं कि पहले ही दिन इस ऐप के 5000 डाउनलोड हो गए. 

50 लोगों की टीम लगी है काम में

मौजूदा वक्त में Unikon.ai में करीब 50 लोगों की टीम है. पलाश ने अपने ऐप की टेस्टिंग के लिए एक यूनीक का तरीका इस्तेमाल किया. उन्होंने कॉलेज में करीब 3 हजार स्टडेंट्स की एक आर्मी तैयार की. उन लोगों के बीच ऐप को सॉफ्ट लॉन्च किया. इसके बाद उन्होंने सभी स्टूडेंट्स में एक बग बाउंटी कॉम्पटीशन चला दिया. इसके तहत बग ढूंढने वाले को रिवॉर्ड मिलता था. नतीजा ये हुआ कि इस ऐप को स्टूडेंट्स ने खूब इस्तेमाल किया और करीब 700 बग निकाले, जिनके चलते ऐप को बेहतर बनाने में मदद मिली.