ये जमाना क्विक कॉमर्स का है. 10 मिनट में डिलीवरी वाला. लेकिन अक्सर ट्रैफिक इतना होता है कि कब 10 मिनट एक घंटे में बदल जाएं, पता ही नहीं चलता. तो फिर सॉल्यूशन क्या है? गुरुग्राम का एक स्टार्टअप Skye Air इसी समस्या का समाधान कर रहा है. यह स्टार्टअप ड्रोन के जरिए डिलीवरी कर रहा है, जिससे 3-4 किलोमीटर दूर महज 5 मिनट में ही सामान डिलीवर हो सकता है.

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इस स्टार्टअप की शुरुआत 2019 में अंकित कुमार और चंद्र प्रकाश ने की थी. हालांकि, इसके ड्रोन ने पहली उड़ान सितंबर 2021 में शुरू की. मौजूदा वक्त में कंपनी 6 राज्यों में ड्रोन डिलीवरी की सर्विस दे रही है. बता दें कि कंपनी के ड्रोन आधा किलो से लेकर 50 किलो तक का वजन उठा सकते हैं. कंपनी के फाउंडर और सीईओ अंकित कुमार ने बताया कि इस कंपनी की शुरुआत हेल्थकेयर से हुई थी, लेकिन अब कंपनी ईकॉमर्स और क्विक कॉमर्स तक में डिलीवरी सर्विस दे रही है.

मैकेनिकल इंजीनियर की पढ़ाई के बाद अंकित ने महिंद्रा एंड महिंद्रा में सेल्स में काम करना शुरू किया. वह नॉर्थ ईस्टर्न रीजन को लीड करते थे. कुछ समय बाद जब वह अपने काम से ऊब गए तो उन्होंने एक कंसल्टिंग फर्म में काम शुरू कर दिया, जो विदेशी कंपनियों को भारत आने में मदद करती थी. इसके कुछ समय बाद उन्होंने रिन्युएबल एनर्जी पर फोकस करते हुए अपनी खुद ही कंसल्टिंग फर्म खोल ली और विदेशी कंपनियों की भारत आने में मदद करने लगे.

कोविड के दौरान डिलीवर की वैक्सीन

2019 में जब अंकित मिनिस्ट्री ऑफ सिविल एविशन से कंसल्टिंग के जरिए जुड़े थे, तो उन्होंने देखा कि मार्केट में एक गैप है. लोगों को चीजें जल्दी चाहिए थी, लेकिन सड़क पर ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है. ऐसे में उन्हें ड्रोन से डिलीवरी का ख्याल आया. ग्रामीण इलाकों में दवाएं पहुंचाना भी मुश्किल होता था. ऐसे में कोविड के दौरान स्काई एयर के ड्रोन्स ने कोविड वैक्सीन पहुंचाने और सैंपल को एक जगह से दूसरी जगह डिलीवर करने में सरकार की खूब मदद की. कंपनी ने हैदराबाद से करीब 1.5 घंटे की दूरी पर स्थित विकाराबाद में 12-13 प्राइमरी सेंटर्स को जिला अस्पतालों से जोड़ा और ट्रायल रन किया.

अगस्त 2021 में सरकार ने ड्रोन को लेकर पॉलिसी बदल दी, जिसके बाद सितंबर 2021 में कंपनी के ड्रोन से प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को सर्विस देना शुरू कर दिया. अंकित बताते हैं कि पॉलिसी बदले जाने से पहले करीब 28 फॉर्म भरने होते थे, जो बाद में घटकर महज 5 रह गए. इससे ड्रोन बिजनेस को मदद मिली और उनका स्टार्टअप तेजी से आगे बढ़ने लगा.

अब बस 5 मिनट में डिलीवरी!

मौजूदा वक्त में कंपनी में करीब 180 लोगों की टीम है, जो ड्रोन से डिलीवरी को सुनिश्चित कर रही है. अंकित बताते हैं कि 3-4 किलोमीटर की दूरी तक सामान महज 5 मिनट में डिलीवर हो सकता है. मौजूदा वक्त में कंपनी डीटीडीसी, ब्लूडार्ट, ईकॉम एक्सप्रेस, शिपरॉकेट और कुछ ईकॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रही है.

तो ड्रोन से डिलीवरी का चार्ज कौन देगा?

यह कंपनी ईकॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों के साथ मिलकर भी काम कर रही है. अब सवाल ये उठता है कि अगर कोई कंपनी ड्रोन के जरिए सामान डिलीवर करती है तो क्या ग्राहकों से अतिरिक्त डिलीवरी चार्ज लिया जाएगा? यहां आपको बता दें कि यह स्टार्टअप ग्राहकों से कोई चार्ज नहीं लेता, बल्कि ईकॉमर्स या क्विक कॉमर्स या लॉजिस्टिक कंपनियों से चार्ज लेता है. दिलचस्प ये है कि इन कंपनियों को ड्रोन के जरिए डिलीवरी कराने में सामान्य डिलीवरी की तुलना में 10-15 फीसदी तक कम पैसे खर्च करने होते हैं. वहीं ग्राहकों के घर पर सामान सीधे ड्रोन से नहीं पहुंचेगा, बल्कि उस इलाके में लगे पॉड से कोई डिलीवरी पर्सन वह सामान अलग-अलग फ्लैट तक पहुंचाएगा.

क्या हैं ये पॉड और कैसे करते हैं काम?

स्काई एयर के नेटवर्क एंड प्लानिंग हेड अनुराग पांडे बताते हैं कि जब भी कोई कुछ सामान ऑर्डर करेगा, तो उसकी डिमांड हब पर जाएगी. उस हब से बहुत सारे पॉड कनेक्ट होते हैं. गुरुग्राम में कंपनी ने करीब 70 पॉड लगाए हुए हैं. हब से ऑर्डर लेकर ड्रोन उड़ता हुआ पॉड के पास पहुंचेगा और वहां पहुंचते ही पॉड के ऊपर का ढक्कन खुद ही खुल जाएगा. इसके बाद ड्रोन हवा से ही पैकेज को पहले से उसमें लगी एक रस्सी के सहारे पॉड में ड्रॉप कर देगा और वापस चला जाएगा. यानी ड्रोन को लैंड करने की भी जरूरत नहीं. इसके बाद पॉड से एक डिलीवरी ब्वॉय प्रोडक्ट को निकालकर लोगों के फ्लैट तक पहुंचा देगा, जिसे कंपनी ने स्काई वॉकर का नाम दिया है. अनुराग बताते हैं कि इससे ना सिर्फ वक्त बच रहा है, बल्कि कार्बन एमिशन भी कम होगा और सस्टेनेबिलिटी की दिशा में काम किया जा सकता है.

पायलट उड़ाते हैं इन ड्रोन्स को

ड्रोन यूं ही नहीं उड़ते हैं, बल्कि इन्हें कुछ लोग उड़ाते हैं, जिन्हें पायलट कहा जाता है. यह पायलट ड्रोन से सामान पहुंचाने की पूरी प्रक्रिया को ट्रैक करते हैं. विस्तारा के पूर्व कैप्टन और स्काई एयर के फ्लाइट ऑपरेशन हेड ईशान खुल्लर ने बताया कि इसमें कमर्शियल एयरलाइन की तरह जीपीएस सिस्टम समेत कई चीजें हैं, जिससे ट्रैकिंग आसान होती है. Skye Air में एक अतिरिक्त e होने के सवाल पर ईशान ने बताया कि आइल ऑफ स्काई नाम का एक आइलैंड है, जिसे वहां के जाइंट्स की वजह से जाना जाता है. कंपनी भी उस जाइंट की तरह बड़ी बनना चाहती है, इसलिए नाम में एक अतिरिक्त ई है.

दो तरह के ड्रोन हैं कंपनी के पास

कंपनी का पास अभी करीब 30 ड्रोन हैं. इसमें एक है स्टार लाइनर ड्रोन, जो 2-3 किलो का वजन उठाकर 80 किलोमीटर तक जा सकता है. इससे दवाएं या हेल्थकेयर की चीजें भेजी जा सकती हैं. वहीं दूसरा है स्काईशिप वन, जो कंपनी का फ्लैगशिप प्रोडक्ट है. कंपनी ने इसके कम्युनिकेशन से लेकर नेविगेशन तक में कई अपग्रेड किए और डिलीवरी की सर्विस के काबिल बनाया. यह ड्रोन वैसे तो 4जी पर काम करता है, लेकिन अगर सिग्नल कमजोर पड़ते हैं तो तुरंत ही रेडियो फ्रीक्वेंसी पर स्विच हो जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि कभी भी ड्रोन डिसकनेक्ट ना हो. 

एयरलाइन की तरह एयर ट्रैफिक कंट्रोल करता है एक सॉफ्टवेयर

ड्रोन की मॉनिटरिंग के लिए कंपनी ने यूटीएम नाम का एक सॉफ्टवेयर बनाया है. यह सॉफ्टवेयर बिल्कुल एयर ट्रैफिक कंट्रोल की तरह काम करता है. यह अनमैंड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम है. इस सॉफ्टवेयर के जरिए तमाम जानकारियां रेगुलेटर्स के साथ भी शेयर की जाती हैं. इस ड्रोन की एक खास बात ये है कि इसमें पैराशूट लगा होता है. अगर कभी मोटर फेल हो जाती है या किसी वजह से हवा में ही ड्रोन खराब होता है तो पैराशूट खुल जाता है और ड्रोन की वजह से जमीन पर कोई नुकसान नहीं होता है. वहीं इससे लाखों के ड्रोन की सुरक्षा भी सुनिश्चित होती है.

रोज हो रही हैं 4500 डिलीवरी

अभी कंपनी हर रोज करीब 4500 डिलीवरी कर रही है. यह डिलीवरी हेल्थकेयर, ईकॉमर्स और क्विक कॉमर्स में हैं. 7-8 एक्टिव इलाकों में कंपनी डिलीवरी कर रही है. फंडिंग के मामले में कंपनी को चिराते वेंचर्स और माउंड जूडी वेंचर्स ने सबसे ज्यादा सपोर्ट किया है. इनके अलावा और भी बहुत सारे निवेशक हैं, जो इस स्टार्टअप को सपोर्ट कर रहे हैं.