आयकर विभाग जल्द इस बात का फैसला करेगा कि किस प्रकार के स्टार्टअप को एंजल कर से छूट मिलेगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि उन्हें स्टार्टअप्स से उन्हें एंजल कर से छूट देने संबंधी कई प्रस्ताव मिले हैं. जल्द हम इन सुझावों के आधार पर इसका समाधान ढूंढ लेंगे. हमें यह तय करना होगा कि कौन से स्टार्ट अप वास्तविक स्टार्टअप्स हैं और कैसे उन्हें आयकर कानून की धारा 56 (2) से छूट दी जा सकती है. 

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सुशील चंद्रा ने कहा कि पहले भी उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को धारा (2) से छूट थी और जिन स्टार्टअप्स को इसको लेकर नोटिस भेजा गया है उनपर स्थगन आदेश जारी कर दिए गए थे. पिछले सप्ताह डीपीआईआईटी ने कर अधिकारियों के साथ उद्योग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक में उनके सुझाव सुने थे. 

यह बैठक इस वजह से बुलाई गई थी कि क्योंकि कई स्टार्टअप्स ने एंजल कोष के निवेश के लिए कर चुकाने को लेकर उन्हें धारा 56(2) के तहत मिले नोटिसों पर चिंता जताई थी. 

पिछले महीने सरकार ने स्टार्टअप के लिए एंजल कोष पर आयकर छूट लेने की प्रक्रिया को सुगम किया था और इस तरह के आवेदनों पर निर्णय करने की समयसीमा 45 दिन तय की थी.

एंजल कोष

सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए एंजल कोष के तहत छूट हासिल करने के लिए आवेदन की प्रक्रिया को सरल किया था. इसमें डीआईपीपी के जरिये सीबीडीटी के पास आवेदन किया जाएगा. इसके अलावा पहले मर्चेंट बैंकर की रिपोर्ट जमा करानी होती थी जिसमें शेयरों का उचित बाजार मूल्य बताना होता था. डीआईपीपी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को कुछ शर्तों को पूरा करने के बाद यह छूट ले सकेंगे. 

स्टार्टअप को खाते का ब्योरा और पिछले तीन साल की आयकर रिटर्न जमा करानी होगी. इसके अलावा निवेशकों को भी अपने नेटवर्थ तथा आयकर रिटर्न का ब्योरा देना होगा. सरकार ने स्टार्टअप को एंजल कोषों सहित निवेशकों से 10 करोड़ रुपये तक के निवेश पर पूरी कर छूट लेने की अनुमति दी थी. 

 

आयकर कानून की धारा 56(2) (7बी) में कहा गया है कि स्टार्टअप की उचित बाजार मूल्य के मुकाबले जुटाई गई अतिरिक्त राशि पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाएगा. इसे कंपनी की अन्य स्रोतों से आय के रूप में माना जायेगा. सामान्य तौर पर हर साल 300 से 400 स्टार्टअप एंजल कोषों से निवेश प्राप्त करते हैं.