तेजी से बढ़ रहे स्टार्टअप (Startup) कल्चर में बहुत सारे लोग प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ला रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं तो खुद ही प्रॉब्लम बन जा रहे हैं. कुछ स्टार्टअप ऐसा स्कैम कर रहे हैं कि लोग उनकी हकीकत को तब जाकर पहचान पाते हैं, जब सब कुछ बर्बाद हो चुका होता है. Startup Scam की सीरीज में हमने अब तक 5 स्टार्टअप स्कैम की बात की है. आज इसकी छठी सीरीज में हम बात करेंगी Nikola One की. जी हां, वही ट्रक कंपनी, जिसका पर्दाफाश किया था हिंडनबर्ग ने. इस स्टार्टअप ने एक ऐसा ट्रक बनाकर 30 अरब डॉलर की कंपनी खड़ी कर दी, जो असल में था ही नहीं. इस कंपनी में एक-दो नहीं, बल्कि बहुत सारे दिग्गजों ने भी निवेश किया था. आइए जानते हैं आखिर कैसे इस कंपनी ने किया इतना बड़ा स्कैम.

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निकोला की शुरुआत तो साल 2014 में अमेरिका में हुई थी, लेकिन इसका आइडिया लाने वाले Trevor Milton के दिमाग में इसकी नींव काफी पहले ही पड़ने लगी थी. ट्रेवर का जन्म साल 1982 में अमेरिका के शहर Utah में हुआ था. उनकी ट्रेवर की मां की मौत कैंसर से लड़ते हुए हुई, जिसने ट्रेवर को काफी झकझोर दिया था. उस वक्त ट्रेवर सिर्फ 14 साल के थे. गरीबी को इतनी नजदीक से देखा था कि वह हमेशा ही कुछ बहुत बड़ा करना चाहते थे. साल 2003 में उन्होंने Utah यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया, लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लगा और सब कुछ छोड़कर बिजनेस करने की ठान ली.

पहली कंपनी से ही ठगी करने लगे थे ट्रेवर

ट्रेवर का दिमाग तेज था, तो उन्होंने अपनी सिक्योरिटी अलार्म की पहली कंपनी शुरू की और उसे कुछ समय बाद 3 लाख डॉलर में बेच दिया. हालांकि, बाद में उसे खरीदने वाली कंपनी ने बताया कि उनके साथ धोखा हुआ है और ट्रेवर ने जो वादे किए थे, उनका प्रोडक्ट वैसे काम ही नहीं करता है. उसके बाद ट्रेवर ने ऑनलाइन ऐड्स का बिजनेस किया, लेकिन वहां भी बात नहीं बनी. उसके बाद उन्होंने ट्रक का बिजनेस शुरू किया. यहां भी उनके पास इस इंडस्ट्री का कोई अनुभव नहीं था और वह इसमें घुस गए थे. वह डीजल इंजन को नेचुरल गैस इंजन में बदलने की प्लानिंग कर रहे थे. भले ही उन्हें इसका कोई आइडिया नहीं था, लेकिन फिर भी उन्होंने शुरुआती दौर में ही करीब 2 मिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल कर ली. इस कंपनी का नाम रखा था हाइब्रिड. शुरुआती दौर में 10 ट्रक डिलीवर करने थे, लेकिन बाद में पता चला कि सिर्फ 5 ही डिलीवर हुए और उनकी भी हालत बहुत ही खस्ता थी. जैसे-तैसे उन्होंने इस बिजनेस को बेचा और फिर शुरूआत हुई मेगा स्कैम की.

2014 में रखी अपने मेगा स्कैम की नींव

आज से करीब 9 साल पहले साल 2014 में ट्रेवर ने निकोला कॉरपोरेशन की शुरुआत की थी. इसके तहत वह हैवी ड्यूटी कमर्शियल व्हीकल बनाने वाले थे, जो नेचुरल गैस से चलेंगे. उन्होंने घोषणा की थी कि वह साल 2016 तक 5000 निकोल वन ट्रक बनाएंगे. इसी बीच कंपनी ने घोषणा की कि उसने अब नेचुरल गैस के बजाय हाइड्रोजन फ्यूल सेल टेक्नोलॉजी वाले ट्रक बनाने का फैसला किया है. हालांकि, साल 2016 तक निकोला वन ट्रक सिर्फ एक लोहे का फ्रेम भर था, जो पहियों पर खड़ा था. ट्रक पर लिखा था हाइड्रोजन से चलने वाला व्हीकल, जबकि अंदर ऐसा कुछ नहीं था. जब निकोला वन को लॉन्च किया गया, तभी बहुत से लोगों को शक हुआ कि यह चल नहीं सकता है, बल्कि सिर्फ ढांचा भर है. अगले कुछ महीनों में कंपनी पर सवाल उठने लगे कि कंपनी को अपने ट्रक की कुछ अपडेट्स देनी चाहिए.

सामने आया निकोला वन का फर्जी वीडियो

साल 2018 के शुरुआती महीनों में कंपनी ने निकोला वन का एक वीडियो जारी किया. इस वीडियो में दिखाया गया कि ट्रक अच्छे से ट्रक पर चल रहा है और उन अफवाहों पर ध्यान ना देने को कहा गया, जिसमें इस ट्रक को इनऑपरेबल कहा जा रहा था. एक बार फिर से लोगों का भरोसा कंपनी पर बढ़ने लगा. साल 2019 तक निकोला ने करीब 389 एकड़ तक जमीन एरिजोना में खरीद ली, जिसकी कीमत करीब 23 मिलियन डॉलर थी. सबको बताया गया कि 2020 तक यहां पर फैक्ट्री बनाए जाने का काम शुरू हो जाएगा. वहीं 2021 से इसमें ट्रक बनने लगेंगे और 2023 तक इस प्लांट की क्षमता 35-50 हजार ट्रक हर साल बनाने की हो जाएगी. कंपनी अपने बड़े-बड़े वादों से सबको इंप्रेस करती रही और वो दिन भी आ गया, जब कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हो गई.

शेयर बाजार में लिस्टिंग ने पैदा किया पहला शक

भले ही दुनिया निकोला वन ट्रक को बहुत बड़ी तोप मान रही थी, लेकिन ट्रेवर को अच्छे से पता था कि ट्रक में कोई दम नहीं है. ऐसे में शेयर बाजार (NASDAQ)  पर लिस्ट होने के लिए भी ट्रेवर ने गजब का दिमाग लगाया. मार्च 2020 में Nikola Corporation और VectoIQ Acquisition Corporation के बीच रिवर्स मर्जर (रिवर्स टेकओवर या रिवर्स आईपीओ) हो गया, जो पहले से ही मार्केट में लिस्ट थी. बता दें कि रिवर्स मर्जर के तहत एक निजी कंपनी किसी पब्लिक कंपनी का मर्जर कर लेती है. ऐसा करने का मकसद ये था कि लोगों को कंपनी की अंदरूनी हालत के बारे में कम से कम पता चले. अगर आईपीओ लाया जाता तो उसके लिए कंपनी की सारी जानकारी देनी पड़ती, जबकि रिवर्स मर्जर ने कंपनी का सच छुपाने में ट्रेवर की मदद की. हालांकि, कुछ लोगों को कंपनी की इस हरकत पर शक हुआ और यहीं से छोटी-बड़ी आवाजें उठने लगीं. शेयर बाजार में लिस्ट होने के महज चंद दिनों में ही कंपनी की वैल्यू 30 अरब डॉलर हो गई. साल 2019 में फोर्ड कंपनी ने करीब 55 लाख व्हीकल बेचे थे और 155 अरब डॉलर कमाए थे. उस वक्त कंपनी का वैल्युएशन 28 अरब डॉलर था. यानी निकोला ने बिना एक भी ट्रक बेचे या ये भी कह सकते हैं कि बिना एक भी ट्रक बनाए ही फोर्ड जैसी दिग्गज कंपनी से ज्यादा वैल्युएशन हासिल कर ली.

लोगों को गुमराह करने के लिए हाइड्रोजन बनाने का दाव चला

ट्रेवर ने इसी बीच लोगों को गुमराह करने के लिए कहा कि हाइड्रोजन काफी महंगी पड़ रही है तो वह सोलर पावर के जरिए अपनी खुद की हाइड्रोजन बनाएंगे. उन्होंने यह भी बताया कि उनकी कंपनी का हाइड्रोजन बाकी सबकी तुलना में बहुत ज्यादा सस्ता होगा. कुछ समय बाद फिर से कुछ आवाजें उठीं, क्योंकि हाइड्रोजन प्रोडक्शन के डायरेक्टर उन्हीं के भाई ट्रेविस को बनाया गया था. ट्रेविस इससे पहले सड़क आदि बनाने का ठेका लेते थे. मतलब हाइड्रोजन प्रोडक्शन का उन्हें कोई अनुभव नहीं था, लेकिन उन्हें ये अहम पद दिया गया, क्योंकि यह सब कुछ सिर्फ दुनिया को गुमराह करने के लिए किया जा रहा है. काफी वक्त गुजर गया, लेकिन ट्रक अभी तक बाजार में उतर नहीं पाया था. हालांकि, कंपनी तेजी से पैसे जुटाती रही और डील्स करती रही. 8 सितंबर 2020 को कंपनी ने जनरल मोटर के साथ करीब 2 अरब डॉलर की पार्टनरशिप डील की थी और उसे 11 फीसदी स्टेक दिया था.  

हिंडनबर्ग ने खोल दी पोल, ट्रेवर को हुई 20 साल की जेल

जनरल मोटर से हुई इतनी बड़ी डील को लेकर अभी निकोला वन कंपनी जश्न मना ही रही थी कि उधर शॉर्ट सेलिंग इन्वेस्टमेंट फर्म हिंडनबर्ग ने एक बड़ा खुलासा कर दिया. 10 सितंबर 2020 को हिंडनबर्ग ने बताया कि निकोला मोटर्स असल में एक फ्रॉड है. निकोला के चीफ इंजीनियर रह चुके केविन लिंक से पता चला कि निकोला वन ट्रक असल में कुछ था ही नहीं. यानी लोगों को सिर्फ एक सपना बेचा जा रहा था, जो असल में था ही नहीं. निकोला वन ट्रक को पहले खींच कर पहाड़ पर ले जाया गया और फिर वहां से लुढ़का दिया गया. उसके बाद उसकी वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालते हुए कहा गया कि यह ट्रक बन चुका है और जल्द ही बाजार में लॉन्च होगा. 

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट शुरू हो गई. ट्रेवर ने उसके बाद सबसे वादा किया वह सबका बकाया चुका देंगे, लेकिन निवेशकों के पैसे चुकाने के बजाय अपने सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर के गायब हो गया. कंपनी के शेयरों में लगातार गिरावट आती रही और इसके शेयरों में करीब 90 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली. हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद निकोला वन के खिलाफ जांच शुरू हो गई. जांच से पता चला कि उस पर लगे सारे आरोप सही साबित हो रहे हैं. असल में निकोला वन ट्रक वो है ही नहीं, जो कहकर बेचा जा रहा है. ट्रेविस मिल्टन को फिर गिरफ्तार किया गया और अक्टूबर 2022 के दौरान अमेरिका की अदालत ने उसे 20 साल जेल की सजा सुनाई.

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