शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में कई तरह के स्टार्टअप (Startup) आए हैं. पिछले दिनों आए एपिसोड में एक ऐसा स्टार्टअप आया, जो हीरों के बिजनेस से जुड़ा था. हालांकि, यह स्टार्टअप जो ज्वैलरी बेचता है, वह असली हीरे की नहीं होती हैं. असल में इन हीरों (Diamonds) के लैब में तैयार (Lab Grown Diamonds) किया जाता है. यानी देखा जाए तो ये नकली हीरे हैं, लेकिन अगर पेनटेस्टर से चेक करेंगे तो दोनों में ये पता कर पाना नामुमकिन है कि कौन सा असली है और कौन सा नकली. बता दें कि अगर असली हीरा 4 लाख का है, तो वैसा ही लैब ग्रोन डायमंड 50 हजार रुपये में मिल जाएगा.

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इस स्टार्टअप का नाम है Jewelbox, जिसकी शुरुआत दो भाई-बहन विदिता कोचर और निपुण कोचर ने 2022 में की थी. इसके बारे में विदिता को पहली बार 2021 में पता चला था, जब उनके पति अमन ने उन्हें एक बड़ी सी डायमंड रिंग देकर प्रपोज किया था. जब विदिता ने कहा कि इतनी महंगी रिंग की क्या जरूरत थी, तो अमन ने बताया कि यह असली हीरा नहीं, बल्कि लैब ग्रोन डायमंड है, यानी इस हीरे को लैब में बनाया गया है.

भाई-बहन ने मिलकर शुरू किया बिजनेस

इसके बाद इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस, हैदराबाद से एमबीए और पेशे से सीए विदिता ने इसके बारे में अपने भाई निपुण से बात की. बता दें कि निपुण भी सीए हैं और दोनों ने मिलकर एक कंपनी की शुरुआत की, जो लैब ग्रोन डायमंड की ज्वैलरी बेचती है. बता दें कि अमेरिका में इसका एक बड़ा मार्केट है और यही वजह है कि दोनों भाई-बहन को उम्मीद है कि यह बिजनेस भारत में भी तेजी से पैर पसारेगा. 

कैसे बनता है लैब ग्रोन डायमंड?

लैब ग्रोन डायमंड को बनाने के लिए नेचुरल डायमंड की पतली सी शीट को कुछ लैब कंडीशन में रिएक्टर में डाला जाता है. उसमें इसे करीब 2300 डिग्री फॉरेनहाइट तक के टैंप्रेचर पर रखते हैं. साथ ही उसमें कार्बन गैस और मीथेन गैस डालकर प्रेशर भी अप्लाई किया जाता है. धीरे-धीरे उससे एक पत्थर बन जाता है, जो लैब ग्रोन डायमंड होता है. बाद में इसकी कटिंग और पॉलिसिंग होती है और फिर उससे ज्वैलरी बनती है. बता दें कि 1 कैरैट का पत्थर यानी लैब ग्रोन डायमंड बनने में 21-24 दिन तक का समय लगता है.

नेचुरल डायमंड से 80 फीसदी सस्ता

यह नेचुरल डायमंड से 80 फीसदी तक सस्ता होता है और पर्यावरण को इससे कोई नुकसान भी नहीं होता. बता दें कि नेचुरल हीरा निकालने के लिए माइन्स में खुदाई की जाती है, जिससे पर्यावरण को और खुदाई में लगे मजदूरों दोनों को नुकसान होता है. लैब ग्रोन डायमंड्स इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट और जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ अमेरिका से सर्टिफाई होते हैं. यह स्टार्टअप अपनी सारी ज्वैलरी को सर्टिफाई कराता है और हॉलमार्किंग भी करता है. साथ ही ग्राहकों को 80 फीसदी बायबैक और 100 फीसदी एक्सचेंज का फायदा भी देता है.

मिली 5 शार्क डील

इस सीजन का ये पहला स्टार्टअप है, जिसे ऑल 5 शार्क डील मिली है यानी सभी शार्क ने उसमें पैसे लगाए हैं. अपनी पिच की शुरुआत में इस स्टार्टअप ने 50 करोड़ रुपये की वैल्युएशन मांगी थी. इसके तहत उन्होंने 2 फीसदी इक्विटी के लिए 1 करोड़ रुपये की डील ऑफर की थी. वित्त वर्ष 2022-23 में कंपनी ने 3.8 करोड़ रुपये की सेल की है और 2023-24 में कंपनी करीब 12 करोड़ रुपये का बिजनेस करने की राह पर है. 

अभी तक ये स्टार्टअप बूटस्ट्रैप्ड है, लेकिन 45 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर एक टर्मशीट साइन हो चुकी है और जल्द ही पैसा कंपनी के खाते में आ जाएगा. काफी देर तक तमाम शार्क के साथ मोलभाव करने के बाद विदिता और निपुण ने 2 करोड़ रुपये के निवेश के बदले 6 फीसदी इक्विटी दे दी यानी 33.33 करोड रुपये का वैल्युएशन हासिल किया. हालांकि, इसके बदले उन्हें ऑल 5 शार्क डील मिली, जो हर किसी को नहीं मिल पाती.