वैसे तो आपने कई तरह के स्कैम (Scam) के बारे में सुना होगा. आज से करीब 9 साल पहले एक ऐसा स्टार्टअप शुरू हुआ, जिसका स्कैम आज भी लोगों को चिंता में डाल देता है. यह स्कैम मोदी सरकार की तरफ से स्टार्टअप इंडिया (Startup India) की शुरुआत के महज कुछ महीनों बाद ही हुआ. हम बात कर रहे हैं Freedom 251 स्मार्टफोन की. इसके तहत सिर्फ 251 रुपये में स्मार्टफोन (Rs. 251 Smartphone) दिए जाने का वादा किया गया. इससे पहले कि जांच एजेंसियों को कुछ समझ आ पाता, इस स्कैम में लाखों लोग फंस गए, क्योंकि ऑफर ही इतना आकर्षक था. जांच के बाद पता चला कि यह एक पोंजी स्कीम (Ponzi Scheme) थी, जिससे लोगों को लूटा गया.

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ये बात है 18 फरवरी 2016 की. रिंगिंग बेल नाम की एक कंपनी Freedom 251 स्मार्टफोन लाई, जिसकी कीमत थी महज 251 रुपये. इस स्मार्टफोन को लॉन्च करने से पहले ही कंपनी ने इसकी तगड़ी मार्केटिंग की थी. लॉन्च होने से पहले ही पूरे देश को अच्छे से पता चल चुका था कि सिर्फ 251 रुपये में स्मार्टफोन मिलेगा. यहां तक कि विदेशी मीडिया में भी इस स्मार्टफोन की बातें होने लगी थीं. उस जमाने में स्मार्टफोन बनाने की लागत ही करीब ढाई हजार रुपये आती थी. इसके बावजूद ये कंपनी सिर्फ 250 रुपये का स्मार्टफोन दे रही थी, जिसे दुनिया का सबसे सस्ता स्मार्टफोन कहा जा रहा था.

लॉन्च इवेंट में पहुंचे भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी

जब रिंगिंग बेल्स ने अपने फ्रीडम 251 स्मार्टफोन को लॉन्च किया तो उस इवेंट में उस वक्त के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को बुलाए जाने की बात कही थी. हालांकि, इवेंट में वह नहीं आए और कहा गया कि किसी कैबिनेट मीटिंग की वजह से मनोहर पर्रिकर लॉन्च इवेंट में नहीं आ सके. वहीं इस इवेंट में भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी को बुलाया गया था. धूमधाम से हुई लॉन्चिंग ने सबका ध्यान खींचा और इस फोन की देखते ही देखते मुफ्त में तगड़ी मार्केटिंग हो गई. हर टीवी-अखबार में इसकी ही चर्चा थी. इससे कुछ महीने पहले ही 15 अगस्त 2015 को पीएम मोदी ने स्टार्टअप इंडिया की शुरुआत की थी. वहीं कार्यक्रम को इस कंपनी को मालिक मोहित गोयल ने कुछ इस तरह दिखाया मानो उन्हें सरकार की मदद मिल रही हो. ये सब देखते हुए भी बहुत सारे लोग मोहित गोयल के झांसे में आ गए.

स्मार्टफोन खरीदने टूट पड़े लोग, क्रैश हो गई वेबसाइट

जब फ्रीडम 251 स्मार्टफोन लॉन्च हुआ तो कंपनी ने कहा कि इस फोन की कीमत 251 रुपये इसका प्रमोशनल प्राइस है. यह सिर्फ 18 फरवरी से लेकर 21 तक ही रहेगा, जिसके बाद फोन के लिए 500 रुपये चुकाने होंगे. इसे पाने के लिए यूजर्स को ऑनलाइन इसकी प्री-बुकिंग करनी थी. कंपनी ने ये साफ कर दिया था कि इसके लिए कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन नहीं है. ऐसे में जो इसकी बुकिंग करना चाहता था, उसे 250 रुपये चुकाने थे. 

शायद कंपनी को भी अंदाजा नहीं था कि उन्होंने कितना बड़ा वादा कर दिया है, क्योंकि पहले ही दिन जब लोग फोन बुक करने के लिए वेबसाइट पर आए तो वेबसाइट क्रैश हो गई. कंपनी ने जून 2016 तक 50 लाख स्मार्टफोन बेचने का टारगेट रखा था, लेकिन पहले ही दिन वेबसाइट क्रैश होने के बावजूद कंपनी को 30 हजार मोबाइल के ऑर्डर आ गए. बुकिंग बंद करते वक्त कंपनी ने दावा किया था कि उन्हें 1.75 करोड़ रुपये के प्री-ऑर्डर मिल चुके हैं.

अब बारी थी फोन डिलीवर करने की

लोगों से फ्रीडम 251 का ऑर्डर ले लेने के बाद अब बारी थी फोन डिलीवर करने की. इसी बीच कंपनी को लेकर बहुत सारी निगेटिव बातें होने लगीं, जिसके चलते कंपनी ने पहले दिन हुई 30 हजार बुकिंग करने वालों के पैसे रिफंड करने का दावा किया. कंपनी ने कहा कि अब उनसे पैसे तब लिए जाएंगे, जब बुकिंग करने वालों को मोबाइल डिलीवर कर दिया जाएगा. उसके बाद बार-बार डिलीवरी की तारीख बढ़ाई गई. आखिरकार कुछ समय बाद मोहित गोयल का बयान आया कि 5000 मोबाइल उन्होंने डिलीवर कर दिए हैं और 65 हजार और मोबाइल डिलीवर करने वाले हैं. हालांकि, उसके कुछ समय बाद एक डिस्ट्रीब्यूटर की तरफ से पुलिस केस किए जाने के बाद मोहित को गिरफ्तार कर लिया गया. उस डिस्ट्रीब्यूटर ने मोहित पर फ्रॉड का आरोप लगाया था. जिन्हें फोन मिला उन्होंने भी कंपनी के खिलाफ शिकायत की, क्योंकि जिस फोन की तस्वीर बार-बार प्रमोशन के दौरान दिखाई जा रही थी, उन्हें वह फोन नहीं मिला था.

फिर शुरू हुई जांच

जब जांच हुई तो पता चला कि जो प्रोटोटाइप कंपनी ने दिखाया था, वह दूसरा फोन था. कंपनी ने Adcom के फोन पर वाइटनर लगाकर Freedom का नाम लिखकर बेचने की कोशिश की थी. पता चला कि देसी ब्रांड बोलकर लोगों को एक चाइनीज फोन की सस्ती कॉपी थमा दी गई. कुछ गिने-चुने लोगों को फोन डिलीवर करने के बाद मोहित गोयल ने कह दिया कि सरकार की मदद मिलेगी, उसके बाद ही बाकी लोगों को फोन डिलीवर हो पाएगा. 20 फरवरी 2016 को कंपनी के ऑफिस पर छापा भी मारा गया, जिसके बाद पता चला कि कंपनी ने जो प्रोडक्ट पेश किया है, उसे BIS सर्टिफिकेशन नहीं मिला था. इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर मोहित गोयल और प्रेसिडेंट अशोक चड्ढा के खिलाफ IPC की धारा-420 के तरह के मामला दर्ज हुआ.

दिखाया ऐसे फोन का ख्वाब, जो कभी बना ही नहीं

इंडियन सेल्यूलर एसोसिएशन का कहना था कि एक असली स्मार्टफोन की कीमत कम से केम 3500 रुपये होगी, इससे कम कीमत पर स्मार्टफोन नहीं बेचा जा सका. वहीं उस वक्त आईसीए ने तत्कालीन टेलीकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद से मामले में दखल देने को कहा. शिकायत में यह भी कहा गया था कि इस फोन की लॉन्चिंग के दौरान वहां सरकार के सीनियर मंत्री मौजूद थे. जांच से पता चला कि ऐसा फोन 2300 रुपये से कम में बना पाना ही नामुमकिन है. बहुत सारे लोगों ने कंपनी पर रिफंड नहीं देने का भी आरोप लगाया. यानी कंपनी ने लोगों को ऐसे फोन का ख्वाब दिखाया, जो असल में कभी बना ही नहीं था.