ग्रामीण स्टार्टअप (Startup) रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नए कार्यक्रमों के वास्ते मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं. जमीनी स्तर के उद्यमी को सुव्यवस्थित आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain), सब्सिडी (Subsidy), बेहतर बुनियादी ढांचे (Infrastructure) और कोष (Funds) तक आसान पहुंच की दरकार हैं. अगर ये 4 सुविधाएं मिल जाएं तो गांव-मोहल्लों के स्टार्टअप भी बड़े बन सकते हैं. बजट और लोकसभा चुनाव के नजदीक आने पर स्टार्टअप को उम्मीद है कि सरकार इन मुद्दों पर ध्यान देगी. हालांकि, पिछले कुछ साल में तमाम नीतिगत बदलावों से उनके समग्र प्रदर्शन में सुधार हुआ है.
क्रिनी स्पाइसेज के संस्थापक प्रदीप कुमार यादव ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को पुराने उपकरण, अप्रभावी आपूर्ति श्रृंखला, खराब बुनियादी ढांचे और सीमित वित्त उपलब्धता जैसी कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. हम उम्मीद करते हैं कि सरकार हमें वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं से जुड़ने में मदद करेगी ताकि हम अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात कर सकें.”
क्रिनी स्पाइसेस को मार्च 2017 में शुरू किया गया था. इसमें 22 प्रत्यक्ष और 100 से अधिक अप्रत्यक्ष कर्मचारी हैं. कंपनी ने 2022-23 में 4.19 करोड़ रुपये का कारोबार किया. विभिन्न स्टार्टअप ने अपनी इच्छित बजट सूची में निर्यात तंत्र को आसान बनाने की मांग की.
सरकार अगले महीने संसद में लेखानुदान पेश करेगी और आम चुनाव के बाद नई सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी. कृषि फिल्म और औद्योगिक पैकेजिंग फिल्म का विनिर्माण करने वाली पुणे की आइरिस पॉलीमर्स के संस्थापक अरुण अवातडे ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति और बिक्री श्रृंखलाओं से जुड़ने में मदद कर सकती है ताकि कच्चे माल का आयात तथा तैयार उत्पादों का निर्यात आसान हो सके.
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