प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद अब सुस्‍त पड़ी इकोनॉमी में जान फूंकने की है. इसके तहत सेक्टर विशेष के लिए जल्द पैकेज पर विचार किया जा रहा है, जिसकी घोषणा 17 अगस्‍त को संभव है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम के साथ बैठक के दौरान PM मोदी ने जल्द सुधार के उपायों पर जोर दिया है. 

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इससे उम्‍मीद है कि सेक्टर विशेष के लिए पैकेज की घोषणा जल्द हो सकती है. ऑटो और रियल्टी सेक्टर की हालत खराब है. उपभोग में 10 साल बाद भारी कमी आई है. बचत दर कई साल के निचले स्तर पर है और सुस्ती की आशंका सता रही है, क्योंकि सभी घटकों में नकारात्मक रुझान देखने को मिल रहा है. 

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) पर सरचार्ज लगाने से पूंजी बाजार में भारी उथल-पुथल है. बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) सेंसेक्स में जून के बाद 8 फीसदी की गिरावट आ गई है. FM निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने बजट भाषण में अल्‍ट्रा रिच टैक्‍स पेयर पर सरचार्ज में बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी. संसद में बिल पास होते वक्‍त कहा गया कि इससे रेवेन्‍य में असाधारण बढ़त देखने को मिलेगी. बाद में वित्त मंत्रालय ने इसमें बदलाव के लिए कानून मंत्रालय से राय मांगी है.

इनकम टैक्‍स के सेक्‍शन 119 में ग्रैंडफादरिंग (मौजूदा स्थिति में पूर्व प्रावधान लागू होना) का विकल्प है. इसके अलावा अध्यादेश लाना भी एक विकल्प है, लेकिन पहले वाला विकल्प (ग्रैंडफादरिंग) बेहतर है.

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई, जोकि पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है. 

वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इन दुखद बिंदुओं पर प्रेजेंटेशन तो दिया, लेकिन प्रधानमंत्री का साफ कहना था कि वह अर्थव्यवस्था में तेजी की शुरुआत करना चाहते हैं.

हालांकि राजकोषीय घाटा और तत्काल उपलब्ध संसाधनों का अभाव होने के कारण राहत पैकेज की गुंजाइश कम है, लेकिन जिन व्यापक व निर्णायक उपायों की अपेक्षा की जाती है, वे इस प्रकार हो सकते हैं : 

> प्रधानमंत्री इस बात से सहमत हैं कि अर्थव्यवस्था को विकास की पटरी पर लाने की सख्त जरूरत है. सरकार सुस्त अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. 

> सरकार इस बात से आश्वस्त है कि विनिवेश के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उत्साहपूर्ण पूंजी बाजार अत्यंत आवश्यक है. 

> सुधार के माध्यम से एफपीआई पर प्रस्तावित सरचार्ज की वापसी हो सकती है, क्योंकि इससे बेहिसाब नुकसान हुआ है. 

> लंबी अवधि के कैपिटल गेन टैक्स (पूंजीलाभ कर) को बढ़ाकर तीन साल तक किया जा सकता है. 

> ऑटो सेक्टर की सुस्ती गंभीर है, जिसके कारण नौकरियां जाने का खतरा बना हुआ है और सरकार इसको लेकर चिंतित है. पूरे ऑटो सेगमेंट पर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) की दर घटा कर 18 फीसदी की जा सकती है. इसके अलावा, पंजीकरण शुल्क और पथ कर में कमी किए जाने से अतिरिक्त प्रोत्साहन मिल सकता है, क्योंकि आगे त्योहारी सीजन शुरू होने जा रहा है. 

> रियल स्टेट डेवलपर्स के लिए एक बार के प्रोत्साहन पैकेज पर विचार किया जा रहा है, क्योंकि ऑटो और रियल्टी दोनों सेक्टरों में नौकरियों के अवसर हैं.