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सबसे छुप-छुप कर काम करते हैं ये Startup, कानों-कान नहीं होती किसी को खबर, जानिए कैसे कमाते हैं पैसे

क्या आपने कभी स्टील्थ स्टार्टअप (Stealth Startup) के बारे में सुना है? क्या आप जानते हैं ये क्या होता है और कैसे काम करता है? इसका नाम ऐसा अजीब क्यों है? सवाल ये भी है कि आखिर ये पैसे कैसे कमाते हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ.
Updated on: June 30, 2024, 02.42 PM IST
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क्या होते हैं स्टील्थ स्टार्टअप?

यह ऐसे स्टार्टअप होते हैं जो शुरू होने के कुछ सालों तक बिल्कुल चुपचाप काम करते हैं. यह ना तो अपना कोई प्रमोशन करते हैं, ना ही इन्हें किसी तरह की पब्लिसिटी अच्छी लगती है. यही वजह से है कि यह स्टार्टअप जल्दी किसी से निवेश भी नहीं लेते हैं, क्योंकि ऐसी हालात में निवेशक को अपना निवेश बताना होता है, जिससे स्टार्टअप के बारे में भी लोगों को पता चल सकता है. अगर कहीं इन स्टार्टअप्स को जानकारी देना जरूरी हो जाता है, तो भी वह बहुत ही कम और सामान्य सी जानकारी देते हैं, ताकि उनके काम को ना समझ सके.

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सबसे छुपकर क्यों काम करते हैं ये स्टार्टअप?

इसकी एक बड़ी वजह ये है कि वह अपने प्रतिद्वंद्वियों को ये नहीं पता लगने देना चाहते हैं कि वह क्या काम कर रहे हैं. वह जितना ज्यादा हो सकता है, उतनी ज्यादा जानकारियां छुपाकर रखते हैं. इसके लिए कई बार नॉन-डिस्क्लोजर एग्रीमेंट का भी सहारा लिया जाता है. इससे कंपनी को अपनी स्ट्रेटेजी बनाकर पूरे मार्केट पर कब्जा करने में आसानी होती है. वह अपना आइडिया और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी को सुरक्षित रखने के लिए ऐसा करते हैं.

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कॉपी हो सकता है आइडिया

अगर कोई स्टार्टअप किसी क्रांतिकारी आइडिया या प्रोडक्ट पर काम कर रहा है, तो अगर वह किसी और को पता चल जाए तो वह कॉपी हो सकता है. वहीं अगर स्टार्टअप छुपकर काम करेगा और अपने प्रोडक्ट की पब्लिसिटी नहीं करेगा तो उसके प्रोडक्ट के बारे में दुनिया को पता ही नहीं चलेगा, जब तक वह प्रोडक्ट लॉन्च ना हो जाए. वैसे तो अपने आइडिया या प्रोडक्ट को पेटेंट और कॉपीराइट से प्रोटेक्ट किया जा सकता है, लेकिन वह एक लंबी और महंगी प्रक्रिया होती है. ऐसे में शुरुआती दौर में स्टार्टअप छुप-छुपकर अपने प्रोडक्ट पर काम करते हैं और जब पेटेंट मिल जाता है तो फिर वह अपने प्रोडक्ट को लॉन्च करते हैं.

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कैसे छुपकर रहते हैं ये स्टार्टअप?

अपने प्रोडक्ट या आइडिया को छुपाने के लिए यह कंपनियां अपने बारे में बहुत ही कम जानकारी देती हैं. कई बार तो ऐसी जानकारी देती हैं, जिनसे यह पता ही नहीं चलता कि कंपनी कर क्या रही है. जैसे कोई कंपनी कह देगी कि वह बी2सी प्रोडक्ट बना रही है, जो लोगों को कई सहूलियत देगा. कंपनी के नाम की जगह वह स्टील्थ स्टार्टअप लिख देती हैं. वेबसाइट लिंक की जगह ऐसी कंपनियां अक्सर विकीपीडिया के पेज का लिंक डाल देती हैं, जहां बताया गया होता है कि स्टील्थ स्टार्टअप क्या होता है.

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स्टील्थ स्टार्टअप के फायदे

एक स्टील्थ स्टार्टअप का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि वह अपने आइडिया को प्रोटेक्ट रख सकता है. उसे अपने आइडिया को टेस्ट करने का वक्त मिल जाता है. ऐसे स्टार्टअप को अपने काम पर फोकस करना आसान हो जाता है.

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नुकसान भी कम नहीं

स्टील्थ स्टार्टअप के कई नुकसान भी होते हैं. छुपकर काम करने की वजह से ऐसे स्टार्टअप को प्रोडक्ट मार्केट-फिट मिलने में वक्त लग जाता है. कम्युनिटी का सपोर्ट ऐसे स्टार्टअप को ठीक से नहीं मिल पाता है. वहीं फंड जुटाने के विकल्प भी ऐसे स्टार्टअप के लिए बहुत कम हो जाते हैं, क्योंकि ऐसे स्टार्टअप का बिजनेस मॉडल साबित नहीं हो पता है. किसी टैलेंट को हायर करने में भी दिक्कत होती है, क्योंकि लोग ऐसे स्टार्टअप को शक की निगाह से देखते हैं. ब्रांड बिल्डिंग में भी बहुत वक्त लग जाता है.