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इंटरनेशल हुआ सिलाव का खाजा, घर बैठे चखें स्पेशल का जायका, जानें कामयाबी की कहानी

बिहार स्थित राजगीर और नालंदा के बीच एक कस्बा है सिलाव. सिलाव इन दिनों अपनी एक खास तरह की मिठाई के लिए बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश और यहां तक कि दुनिया के कई देशों में चर्चा में है. 
Updated on: September 17, 2020, 06.10 PM IST
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सिलाव की खाजा मिठाई

सिलाव में एक मिठाई बनती है उसका नाम है खाजा. वैसे तो खाजा देश के कई हिस्सों में बनाया और खाया जाता है, लेकिन सिलाव के खाजा की बात ही कुछ और है. 

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52 परतों का खाजा

यहां का खाजा बेहद खास होता है जिसे 52 परतों में बनाया जाता है. यह दिखने में पैटीज जैसी होता है लेकिन स्वाद में मीठा और नमकीन होता है. 

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इंटरनेशनल पहचान

सिलाव के खाजा को इंटरनेशनल पहचान दिलाने में काली शाह खाजा दुकान के संचालक संजीव कुमार का अहम रोल है.

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पुस्तैनी काम

संजीव कुमार बताते हैं कि उनकी काली साह सिलाव के खाजा नाम से सबसे पुरानी फर्म है. खाजा बनाने का उनका पुस्तैनी काम है और उनके परिवार में यह काम पिछले 200 सालों से होता आ रहा है.   

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मीठा और नमकीन खाजा

संजीव कुमार बताते हैं कि सिलाव का खाजा प्राचीन काल से चलता आ रहा है. उनके यहां खाजा 52 परतों तो से बनता है जो कि खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और कुरकुरा होता है. खाजा बनाने में मैदा, शक्कर, वनस्पति तेल या शुद्ध घी की इस्तेमाल होता है. यह नमकीन और मीठा, दोनों ही स्वाद में बनता है. 

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संस्कृति में रचा-बचा

बिहार की संस्कृति में खाजा पूरी तरह से रचा-बसा है. यहां ब्याह-शादी में खाजा खाने का प्रचलन है. शादी में लड़कियों के विदाई के समय यह भेंट में दिया जाता है. संजीव कुमार ने बताया कि सिलाव में खाजा की करीब 75 दुकानें हैं. उन्होंने बताया कि काली शाह परिवार ने ही खाजा की ऑनलाइन बिक्री शुरू की है. उनका खाजा लंदन, दुबई और पेरिस भेजा जा रहा है. फिल्मी दुनिया से जुड़े कई दिग्गज और राजनेता सिलाव के खाजा के मुरीद हैं. 

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जीआई टैग

सिलाव के खाजा को हाल ही में भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) दिया गया है. जीआई टैग मिलने से खाजा की डिमांड और बढ़ गई है. जीआई टैग मिलने से यहां खाजा बनाने वाले लोग इसकी क्वालिटी भी ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

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खाजा को उद्योग का दर्जा 

वर्ष 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खाजा निर्माण को एक उद्योग का दर्जा दिया था. साथ ही इस उद्योग को सरकार की क्लस्टर विकास योजना से भी जोड़ा गया. नीतीश कुमार भी जब कभी नालंदा आते हैं तो सिलाव का खाजा जरूर खाते हैं. 

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ऑनलाइन बिक्री

संजीव कुमार बताते हैं कि वह विदेश के लोगों को ऑनलाइन खाजा पहुंचाने के लिए 'श्रीकाली शाह' (Sri Kali Sah Khaja) नाम से ऐप बनाया गया है. srikalisah.com नाम से एक वेबसाइट भी है जहां आप खाजा का ऑर्डर दे सकते हैं.

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क्या है कीमत 

संजीव कुमार बताते हैं कि उनके यहां तीन तरह का खाजा बनता है. शुद्ध देशी घी में बने मीठे खाजा की कीमत 920 रुपये किलो (ऑनलाइन), वनस्पति घी में बना मीठा खाजा 400 रुपये किलो और सादा व नमकीन खाजा 450 रुपये किलोग्राम है.