फिनटेक फर्म One97 Communications का जीएमवी (GMV) अप्रैल-मई 2023 में साल दर साल के आधार पर 35 फीसदी बढ़ा है. इस बढ़त के साथ अब जीएमवी 2.65 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो इसी अवधि में पिछले साल 1.96 लाख करोड़ रुपये था. पेटीएम ब्रांड One97 Communications कंपनी का ही है. बता दें कि जीएमवी यानी ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू का मतलब होता है किसी भी कंपनी पर हुई खरीद-फरोख्त की कुल वैल्यू. अगर पेटीएम की बात करें तो कंपनी का ऐप इस्तेमाल करते हैं जितने भी रुपयों की ट्रांजेक्शन हुई होगी या लोन डिस्बर्स हुए होंगे, वह सब जीएमवी में आएगा. ध्यान रहे कि यह पेटीएम का रेवेन्यू नहीं है, क्योंकि कंपनी की कमाई कमीशन, चार्ज और ब्याज आदि से होती है.

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पेटीएम ने कहा है कि पिछली कुछ तिमाही से कंपनी का फोकस लगातार पेमेट वॉल्यूम पर रहा है, जिससे कंपनी का मुनाफा बढ़ता है. इस साल अप्रैल-मई के दौरान पेटीएम का इस्तेमाल करते हुए इसके पार्टनर्स के जरिए लोन देने की संख्या दोगुना हो गई है. पिछले साल इसी अवधि में ये आंकड़ा 3,576 करोड़ रुपये था, जो इस साल 9,618 करोड़ रुपये हो गया है. 

डबल हुई पेटीएम के पेमेंट डिवाइस की संख्या

कंपनी के ऐप पर हर महीने ट्रांजेक्शन करने वाले यूजर्स की संख्या में करीब 24 फीसदी की तेजी देखने को मिली है. साल भर पहले अप्रैल-मई के दौरान यह आंकड़ा 7.4 करोड़ था, जो अब 9.2 करोड़ हो गया है. पेटीएम की तरफ से पेमेंट डिवाइस इंस्टॉल कराए जाने की संख्या भी दोगुनी हो गई है. पिछले साल अप्रैल-मई के दौरान 34 लाख पेमेंट डिवाइस इंस्टॉल हुए थे, जो इस साल बढ़कर 75 लाख हो गए हैं. अगर इससे पिछले महीने से तुलना करें तो भी इसमें करीब 4 लाख डिवाइस की बढ़ोतरी हुई है.

पेटीएम ने कहा है कि पेमेंट मॉनेटाइजेशन में पेटीएम अभी भी लीडर है. उसने कहा है कि कंपनी की तरफ से दिए जाने वाले सब्सक्रिप्शन डिवाइस जैसे साउंडबॉक्स और पीओएस मशीनों को तमाम मर्चेंट तेजी से अपने यहां लगवा रहे हैं.

तेजी से मुनाफे की ओर बढ़ रही कंपनी

पेटीएम जब से शुरू हुआ है, तब से लेकर आज तक कभी मुनाफे में नहीं रही है. हालांकि, अगर आज के वक्त में पेटीएम का मार्केट देखा जाए तो आपको हर जगह पेटीएम के क्यूआर कोड, पीओएस मशीन या अन्य डिवाइस लगे मिल जाएंगे. वित्त वर्ष 2022 में कंपनी का रेवेन्यू करीब 3892 करोड़ रुपये था, जो 2023 में बढ़कर 6027 करोड़ रुपये हो गया. वहीं कंपनी का नेट लॉस 2022 में 2325 रुपये था, जो 2023 में थोड़ा कम होकर 1855 करोड़ रुपये रह गया है.