Mahadev Betting Scam: कभी जूस-टायर बेचने वाले दोस्तों ने किया ₹6000 करोड़ का स्कैम, 200 करोड़ की शादी ने खोल दी पोल
इन दिनों आप अक्सर खबरों में महादेव बेटिंग स्कैम (Mahadev Betting Scam) के बारे में सुनते होंगे. इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) की तरफ से इस स्कैम (Scam) की जांच की जा रही है. अभी तक ईडी को लग रहा है कि यह स्कैम करीब 6000 करोड़ रुपये का है.
इन दिनों आप अक्सर खबरों में महादेव बेटिंग स्कैम (Mahadev Betting Scam) के बारे में सुनते होंगे. इस वक्त प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (ED) की तरफ से इस स्कैम (Scam) की जांच की जा रही है. अभी तक ईडी को लग रहा है कि यह स्कैम करीब 6000 करोड़ रुपये का है, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि आंकड़ा इससे काफी बड़ा हो सकता है. इस बेटिंग स्कैम में ना सिर्फ इस कंपनी के प्रमोटर शामिल हैं, बल्कि बहुत सारे फिल्मी सितारे भी इस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं. ईडी की तरफ से उन्हें भी समन भेजे गए हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है. ये फिल्मी सितारे या तो महादेव बेटिंग ऐप को प्रमोट करते थे या इन्होंने दुबई में हुई सौरभ चंद्राकर (Sourabh Chandrakar) की शादी में शिरकत की थी. अब सवाल ये है कि आखिर इस मामले में फिल्मी सितारों से पूछताछ क्यों हो रही है? उससे भी बड़ा सवाल ये है कि आखिर महादेव बेटिंग स्कैम चल कैसे रहा था और इसकी पूरी कहानी क्या है? आइए Startup Scam की सीरीज में आज जानते हैं इस स्कैम के बारे में वो सब कुछ, जो आप जानना चाहते हैं.
जूस की दुकान से सट्टेबाजी के बिजनेस तक
महादेव बेटिंग ऐप की शुरुआत की थी सौरभ चंद्राकर और रवि उपल (Ravi Uppal) ने, जो 2012-13 के दौरान छत्तीसगढ़ के भिलाई के नेहरू नगर में बहुत ही छोटे कारोबारी थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सौरभ एक जूस की दुकान चलाया करते थे, जबकि रवि उपल एक टायर की दुकान चलाते थे. दोनों का बिजनेस भले ही छोटा था, लेकिन उन्हें पैसे कमाने की बहुत जल्दी थी. ऐसे में दोनों ने सट्टेबाजी का भी सहारा लिया, लेकिन उसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ. ऐसे में दोनों ये बात समझ गए कि अगर सट्टेबाजी से पैसे कमाने हैं तो इसका बिजनेस करना होगा, वो भी कुछ इस तरह कि हर हालत में सिर्फ मुनाफा ही मुनाफा हो. दोनों ने तय किया कि सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया जाए, लेकिन भारत में सट्टेबाजी गैर-कानूनी है तो दोनों ने दुबई जाने का फैसला किया. वहां जाकर दोनों ने महादेव बेटिंग ऐप के तहत सट्टेबाजी का बिजनेस शुरू किया. ईडी ने अनुमान लगाया है कि इस सट्टेबाजी बिजनेस से कंपनी के प्रमोटर्स हर महीने करीब 450 करोड़ रुपये कमा रहे थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट में तो यह भी दावा किया जा रहा है कि वह हर रोज 200 करोड़ रुपये कमा रहे थे. इनका बिजनेस सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका तक फैला हुआ है.
क्या है महादेव बेटिंग स्कैम का बिजनेस मॉडल?
रोज 200 करोड़ रुपये कमाई वाले इस बिजनेस के बारे में सुनकर आपके मन में भी ये बात जरूर आई होगी कि आखिर इस ऐप का बिजनेस मॉडल क्या है. सौरभ और रवि ने मिलकर जो महादेव बेटिंग ऐप बनाया है, उन्होंने उसका एल्गोरिद्म कुछ ऐसा सेट किया है कि हर हालत में कंपनी को मुनाफा ही होता है. अपने बिजनेस को फैलाने के लिए इन्होंने फ्रेंचाइजी मॉडल चुना और इसके तहत पूरे भारत में करीब 4000-5000 पैनल ऑपरेटर बनाए हैं. ये सभी अपने-अपने इलाके में इस ऐप को प्रमोट करते हैं और वहां से बिजनेस लाते हैं. पैसों को भारत से दुबई तक पहुंचाने के लिए इन्होंने बहुत सारे बैंक खातों का एक जाल भी बुना है, ताकि उन्हें पकड़ना मुश्किल हो सके. इन पैनल ऑपरेटर्स को 30-70 फीसदी तक का कमीशन दिया जाता था.
वाट्सऐप से खेला गया पूरा खेल
जब भी कोई महादेव बेटिंग ऐप के जरिए सट्टेबाजी में पैसे लगाता है तो उसे वाट्सऐप के जरिए एक बैंक खाता भेजा जाता है, जहां उसे पैसे डालने होते हैं. उसके बाद वह पैसा दूसरे कई खातों से होता हुआ हवाला के जरिए दुबई पहुंच जाता है. वहीं ऐप में ग्राहक को अपने पैसों की वैल्यू के बराबर प्वाइंट्स दिखने लगते हैं. जब कोई शख्स सट्टेबाजी में पैसे जीतता है और फिर उसे वापस निकालना चाहता है तो फिर से वही वाट्सऐप वाला खेल शुरू होता है. वाट्सऐप के जरिए अकाउंट नंबर मांगा जाता है और उसी खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए जाते हैं. यह पैसे भी कंपनी के खाते से नहीं, बल्कि अलग-अलग लोगों के खातों से आते थे. जांच में पता चला है कि ये कंपनी कई कंपनियों के बंद पड़े चालू खातों को भी दोबारा शुरू करवाकर उसका इस्तेमाल करती थी या कुछ लोगों के नाम पर निजी खाते खुलवाकर उसका इस्तेमाल करते हुए पैसे ट्रांसफर करती थी. यही वजह है कि पैसों के लेन-देन का ये चक्कर जल्दी पकड़ में नहीं आता था और इतने सालों में महादेव बेटिंग स्कैम ने विकराल रूप ले लिया है.
200 करोड़ की शादी, जिससे खुला 6000 करोड़ का स्कैम
हर अपराधी कोई ना कोई गलती जरूर करता है. सौरभ और रवि ने भी ऐसी ही एक गलती कर दी. सौरभ ने इसी साल फरवरी के महीने में शादी की, जिसमें करीब 200 करोड़ रुपये खर्च किए. जांच एजेंसियों के कान तब खड़े हुए जब पता चला कि ये सारे पैसे कैश में दिए गए हैं. यहीं से मामले की जांच शुरू हुई और ईडी ने जगह-जगह छापे मारने शुरू कर दिए. इस मामले में ईडी ने अब तक 400 करोड़ रुपये से भी अधिक की संपत्ति जब्त की है. शुरुआत में अनुमान था कि यह स्कैम 4000-5000 करोड़ रुपये का हो सकता है, लेकिन अब ये आंकड़ा 6000 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. यह भी कहा जा रहा है कि आंकड़ा और बड़ा हो सकता है.
कौन-कौन चढ़ा ED के हत्थे?
न्यूज एजेंसी पीटीआई को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ईडी ने 20 अक्टूबर को रायपुर में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार्जशीट फाइल की है. इसके तहत 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर और रवि उपल भी शामिल हैं. इनके अलावा विकास छापरिया, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, अनिल दमानी, सुनील दमानी, विशाल आहूजा और धीरज आहूजा शामिल हैं. इनके अलावा पुनारम वर्मा, शिव कुमार वर्मा, यशोदा वर्मा और पवन नाथानी के खिलाफ भी शिकायत की गई है. वहीं इस मामले में रायपुर की PMLA स्पेशल कोर्ट ने सौरभ चंद्राकर और रवि उपल के खिलाफ नॉब-बेलेबल अरेस्ट वॉरेंट जारी किया हुआ है. दोनों ही इस वक्त वॉन्टेड अपराधी हैं. अब ईडी की तरफ से दोनों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कराए जाने की कोशिशें हो रही हैं.
फिल्मी सितारों से क्यों हो रही है पूछताछ?
महादेव बेटिंग ऐप के मामले में इन लोगों के अलावा रणबीर कपूर, श्रद्धा कपूर, हुमा कुरैशी, हिना खान, कपिल शर्मा, सनी लियोनी, कपिल शर्मा और नेहा कक्कर जैसे सेलेब्रिटीज से भी ईडी पूछताछ कर रहा है. एक सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ किसी शादी में शिरकत करने की वजह से सेलेब्रिटीज से पूछताछ होगी? दरअसल, इन लोगों से पूछताछ कर के ईडी ये जानना चाहती है कि आखिर ये पैसे आए कहां से हैं.
शेयर बाजार से भी निकल रहा है कनेक्शन
महादेव बेटिंग ऐप का कनेक्शन अब शेयर बाजार तक से जुड़ चुका है. मामले की जांच में पता चला है कि कोलकाता के विकास छपरिया ने हवाला से जुड़े ऑपरेशन्स को मैनेज किया है. ईडी ने जब छपरिया के ठिकानों और उसके करीबीयों के यहां छापे मारे तो करीब 236 करोड़ के असेट फ्रीज किए हैं, जिन्हें शेयर बाजार में लगाया गया है. ईडी ने गोविंद केडिया और विकास छपरिया के साथ-साथ उनसे जुड़े ठिकानों पर भी छापे मारे. जांच से पता चला कि Perfect Plan Investments LLP, Exim General Trading FZCO और Techpro IT Solutions LLC के जरिए भी शेयर बाजार में पैसे निवेश किए जाते थे. गोविंद केडिया की 160 करोड़ रुपये की डीमैट होल्डिंग को भी ईडी ने फ्रीज कर लिया है.
एक ही ट्रैवल कंपनी से होते थे सबके टिकट
इस मामले में एक ट्रैवल कंपनी रैपिड ट्रैवल के ठिकानों पर भी छापा मारा गया, जो भोपाल में धीरज आहूजा और विशाल आहूजा के द्वारा चलाया जाता है. ईडी के अनुसार इसी के जरिए ऐप के प्रमोटर, उनके परिवार, बिजनेस एसोसिएट और सेलेब्रिटीज के टिकटिंग से जुड़े ऑपरेशन को मैनेज किया जाता था. ईडी का दावा है कि बेटिंग पैनल से होने वाली अवैध कमाई को बड़ी चालाकी से आहूजा ब्रदर्स के जरिए टिकट प्रोवाइडर्स के पास जमा करा दिया जाता था. वॉलेट बैलेंस के जरिए घरेलू और इंटरनेशनल टिकट बुक की जाती थीं. इसी ट्रैवल कंपनी के जरिए महादेव ग्रुप के अधिकतर ट्रैवल से जुड़े इंतजाम किए जाते थे.
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