मेडिकल इमरजेंसी किसी को कभी भी पड़ सकती है. आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम खुद की तरफ तभी ध्यान दे पाते हैं, जब शरीर एकदम साथ छोड़ने लगता है और हमें अस्पतालों की तरफ दौड़ लगानी पड़ती है. महंगाई के इस समय में मेडिकल खर्चे भी अब लाखों में होने लगे हैं. छोटा-मोटा बुखार भी अब कई हजार रुपये की चपत लगाकर जाता है. हमारे देश में हर साल न जाने कितने लोग सही इलाज नहीं मिल पाने के कारण दम तोड़ देते हैं और आर्थिक वजहों के कारण अधिकांश लोगों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता है. मेडिकल इमरजेंसी के समय अच्छे-अच्छे लोगों को अपने परिजनों और मित्रों से आर्थिक मदद लेनी पड़ती है. लेकिन लाखों-करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें कहीं से मदद नहीं मिल पाती है.

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जरुरतमंदों को पैसे की कमी के कारण सही इलाज से महरूम नहीं रहने पड़े इसके लिए निवेश खंडेलवाल जैसे नौजवान ने मेडिकल लोन और मेडिकल क्रेडिट कार्ड जैसी पहल शुरू की है. इस सुविधा के तहत मरीजों को अस्पताल से उनके इलाज का लोन मिल जाता है, जिसे वह बाद में बिना किसी ब्याज के बहुत कम किश्तों में चुका सकते हैं. निवेश खांडेलवाल ने लेट्सएम नाम से एक स्टार्टअप शुरू करके जरूरतमंद मरीजों की मदद करना शुरू किया है और अब तक वह 7,000 से अधिक मरीजों की आर्थिक मदद कर चुके हैं.

निवेश बताते हैं कि उन्होंने लेट्सएमडी के तहत मेडिकल लोन और मेडिकल क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधा शुरू की है.

मेडिकल लोन

निवेश खांडेलवाल बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली-एनसीआर समेत देश के 700 से अधिक अस्पतालों के साथ समझौता किया हुआ है. इस समझौते के तहत अगर कोई मरीज आर्थिक परेशानी के चलते सही इलाज करवाने में सक्षम नहीं तो ऐसे में हॉस्पिटल उनका पूरा इलाज करेगा और इस इलाज का खर्ज उनकी तरफ से वहन किया जाएगा. यानी वह मरीजों को मेडिकल लोन मुहैया कराएंगे. 

मेडिकल लोन के तहत 30,000 रुपये से लेकर 20,00,000 रुपये तक की आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है. जिसका भुगतान मरीज बाद में बिना ब्याज वाली किश्तों में कर सकता है. निवेश ने बताया कि इसके लिए लोन पर ब्याज हॉस्पिटल की तरफ से चुकाया जाता है. ये किश्तें 6 महीने से लेकर 48 महीने तक की हो सकती हैं.

वह बताते हैं कि मेडिकल लोन बिना गारंटी वाला होता है, इसके लिए आवेदन के समय पैन कार्ड और बैंक स्टेटमेंट दिखानी होती है. 6 महीने की बैंक स्टेटमेंट के आधार पर मरीज या उसके परिजनों को मेडिकल लोन मुहैया कराया जाता है और यह काम महज दो घंटे के अंदर हो जाता है.

मेडिकल क्रेडिट कार्ड

LetsMD ने क्रेडिट कार्ड की तर्ज पर अस्पताल में मेडिकल बिलों का भुगतान करने के लिए मेडिकल पेमेंट कार्ड लांच किया है. इस कार्ड से भुगतान पर करने पर 18 ईएमआई में बिना किसी ब्याज के भुगतान किया जा सकता है. इसके बारे में निवेश खंडेलवाल ने बताया कि लेट्सएमडी पेमेंट कार्ड किसी क्रेडिट कार्ड की तरह ही काम करता है. इसकी लिमिट 5 लाख रुपये तक है तथा 18 महीने के अंदर भुगतान करने पर कोई ब्याज नहीं चुकाना होता है. 

2 घंटे के अंदर भुगतान

उन्होंने बताया कि इस कार्ड की मदद से 2 घंटे से भी कम समय में तुरंत अस्पताल में सर्जरी अथवा अन्य बिलों का भुगतान किया जा सकता है. इस कार्ड से लिए गए ऋण का भुगतान 60 महीनों की अवधि में किया जा सकता है. यह कार्ड परिवार के चार सदस्यों या उससे ज्यादा के लिए भी वैध होता है. 

निवेश खंडेलवाल ने कहा कि इसके साथ ही यह कार्ड चिकित्सा बीमा कटौती को भी कवर करता है, जिससे आप कर छूट हासिल कर सकते हैं. इस कार्ड के साथ 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा मुफ्त प्रदान किया जाता है. इस कार्ड का उपयोग सभी तरह की बीमारियों में किया जा सकता है, जिसमें आईवीएफ, सेरोगेसी और कॉस्मेटिक सर्जरी भी शामिल है. 

1000 से ज्यादा अस्पतालों में वैध

उन्होंने बताया कि यह कार्ड दिल्ली एनसीआर के 1000 से ज्यादा चिकित्सा केंद्रों में 1000 से ज्यादा बीमारियों के लिए वैध है और इसकी लागत 11 रुपये रोजाना है. यानी 999 रुपये में एक कार्ड लेने पर एक साल के लिए करीब दो लाख रुपये के मेडिकल बिलों का भुगतान किया जा सकता है. 

खंडेलवाल ने एक घटना का जिक्र करते हुए  बताया, "हमने एक उधारकर्ता को 20 लाख रुपये का ऋण दिया, जो एक बड़ी कंपनी के निदेशक थे और उनकी मासिक आय 5 लाख रुपये प्रति महीने थी. उनके बेटे के इलाज के खर्च का बकाया 40 लाख रुपये था, क्योंकि वह दो महीने से ज्यादा समय से आईसीयू में दाखिल था. पिता ने हालांकि कई निवेश कर रखे थे, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें राशि जुटाना संभव नहीं था. इसलिए उन्होंने ऋण लेने की सोची. यह एक ऐसे मामले का उदाहरण है, जहां मेडिकल बिल अच्छी कमाई करने वाले परिवारों को भी अपंग बना सकते हैं." 

उन्होंने कहा, "हमारे पास कई ऐसे मरीज आते हैं, जो हमसे आईवीएफ, सरोगेसी के लिए ऋण के बारे में पूछते हैं. भारत जैसे देशों में बच्चा पैदा करने में असमर्थता तलाक के बड़े कारणों में से एक है. भारत में आईवीएफ की औसत कीमत 1.5 लाख रुपये है और सरोगेसी की औसत कीमत 12 लाख रुपये है. जिन लोगों को आईवीएफ कराने की सलाह दी जाती है, उनमें से 70 से 80 फीसदी लोग इसके लिए भुगतान करने में सक्षम नहीं है. लेट्सएमडी के 0 फीसदी ब्याज वाले उत्पादों ने देश भर के 4,000 से ज्यादा आईवीएफ मरीजों की मदद की है." 

स्वास्थ्य क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर उस दिशा में काम करने वाले निवेश ने कहा, "हम कई सारे मरीजों की कॉस्मेटिक सर्जरी कराने में भी मदद करते हैं, जिसमें हेयर ट्रांसप्लांट और स्किन ट्रीटमेंट जैसी सर्जरी शामिल है. ये उपचार हालांकि लोगों के लिए जरूरी नहीं होते, जिन्हें इनकी जरूरत नहीं है. लेकिन भारत में ये बहुत बड़े सामाजिक कलंक का कारण होते हैं और कई लोग इसे कराना चाहते हैं."