Ola के भाविश ने 22 भाषाओं में लॉन्च किया 'देसी ChatGPT', OpenAI और Google को देगा टक्कर
ओला (Ola) के को-फाउंडर और सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने देसी चैटजीपीटी (ChatGPT) लॉन्च कर दिया है. इसका नाम है कृत्रिम एआई (Krutrim AI), जिसे 22 भारतीय भाषाओं में लॉन्च किया गया है.
ओला (Ola) के को-फाउंडर और सीईओ भाविश अग्रवाल (Bhavish Aggarwal) ने देसी चैटजीपीटी (ChatGPT) लॉन्च कर दिया है. इसका नाम है कृत्रिम एआई (Krutrim AI), जिसे 22 भारतीय भाषाओं में लॉन्च किया गया है. भाविश अग्रवाल ने इस 15 दिसंबर को लॉन्च किया है, जो एक मल्टी-लैंग्वेज मॉडल है. इस एआई की मदद से अब भाविश अग्रवाल एआई के ग्लोबल कॉम्पटीशन से टक्कर ले रहे हैं. भारत का यह एआई ChatGPT और Bard को तगड़ी टक्कर देगा.
'कृत्रिम' नाम क्यों चुना?
भाविश अग्रवाल ने भारत के एआई का नाम कृत्रिम यूं ही नहीं रखा है, बल्कि इसका भारत की संस्कृति से सीधा नाता है. एआई यानी आर्टीफीशियल इंटेलिजेंस को हिंदी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं. संस्कृत में भी आर्टीफीशियल को कृत्रिम कहते हैं, ऐसे में भी यह नाम भारत की संस्कृति को दिखाता है.
दो मॉडल हैं इसके
कृत्रिम AI मॉडल 2 तरह के मॉडल में आएगा. पहला है बेस मॉडल, जिसका नाम 'कृत्रिम' है. इसे करीब 2 लाख करोड़ टोकन और एक बड़े डेटा के साथ ट्रेनिंग देकर तैयार किया गया है. वहीं इसके दूसरे मॉडल का नाम कृत्रिम प्रो (Krutrim Pro) है, जो अभी लॉन्च नहीं हुआ है. इसे अगले साल की शुरुआत में लॉन्च करने की प्लानिंग है. इसे एडवांस प्रॉब्लम को सॉल्व करने और टास्क को पूरा करने की क्षमताओं से लैस किया गया है.
चैटजीपीटी और बार्ड को देखा टक्कर
लॉन्चिंग कार्यक्रम के दौरान भाविश अग्रवाल ने AI चैटबॉट का प्रिव्यू दिखाया. यह बिल्कुल चैटजीपीटी और बार्ड की तरह काम करता है. यह भारत की 22 भाषाओं को समझ सकता है और 10 भाषाओं में टेक्स्ट तैयार कर के आपको नतीजे दे सकता है. कृत्रिम टीम के सदस्य भारत और अमेरिका दोनों ही जगहों से काम करते हैं.
इससे पहले स्टार्टअप सर्वम ने भी 'ओपनहाथी (OpenHathi)' नाम से एक AI मॉडल लॉन्च किया था. ओपनहाती को देश का पहला हिंदी लार्ज लैंग्वेज मॉडल बताया जा रहा है. बता दें कि हाल ही में इस स्टार्टअप ने लाइटस्पीड वेंचर्स, पीक XV पार्टनर्स और खोसला वेंचर्स के नेतृत्व में एक फंडिंग राउंड से करीब 41 मिलियन डॉलर जुटाए थे.
भाविश करते रहे हैं एआई की तरफदारी
भाविश अग्रवाल काफी पहले से ही एआई की तरफदारी करते रहे हैं. वह कहते हैं कि एआई उत्पादकता बढ़ाने के लिए एक विशाल प्रौद्योगिकी उपकरण है और भारत को ऐसी प्रौद्योगिकियों को अपनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने हमेशा इस बात पर भी जोर दिया है कि इस तकनीक के उपयोग से उत्पादकता 10 गुना बढ़ सकती है. भाविश कहते हैं, 'हमें एआई को अपनाने वाला पहला होना चाहिए और दुनिया में सबसे अधिक उत्पादक बनना चाहिए।'