पिछले ही महीने चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग की है. भारत की इस सफलता से पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन हो गया है. चंद्रयान-3 की सफलता का सबसे बड़ा श्रेय जाता है इसरो को. साथ ही बहुत सारी कंपनियों और स्टार्टअप्स (Startups) ने भी इस मिशन को सफल बनाने में अपना योगदान दिया है. Ernst&Young के अनुसार कुछ साल पहले ही 2020 में भारत की स्पेस इकनॉमी 9.6 अरब डॉलर की थी, लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि 2025 तक ये 13 अरब डॉलर तक जा पहुंचेगी. आइए आज अंतरराष्ट्रीय खगोल विज्ञान दिवस (International Astronomy Day) के मौके पर जानते हैं ऐसे 5 स्टार्टअप्स के बारे में, जो स्पेस टेक्नोलॉजी से लैस हैं और अंतरिक्ष के रहस्यों को उजागर करने में मददगार साबित हो रहे हैं.

कौन-कौन से स्टार्टअप काम कर रहे हैं स्पेस सेक्टर में?

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भारत में कई ऐसे स्टार्टअप हैं जो स्पेस-टेक सेक्टर में काम कर रहे हैं. आइए देखते हैं इनमें से 5 खास स्टार्टअप्स की लिस्ट.

1- Omnipresent Robot Technologies

चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर में इस्तेमाल होने वाले दो कैमरों के सॉफ्टवेयर (Software) को नोएडा के एक स्टार्टअप Omnipresent Robot Technologies ने बनाया है. इस स्टार्टअप की शुरुआत आकाश सिन्हा ने साल 2010 में की थी. इस स्टार्टअप की तरफ से डिजाइन किए गए सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह को स्कैन किया और अहम जानकारियां भेजीं. उनके स्टार्टअप ने जो सॉफ्टवेयर चंद्रयान-3 के लिए डिजाइन किया है, उसका नाम ‘पर्सेप्शन नेविगेशन सॉफ्टवेयर’ है. देखा जाए तो ये कहना गलत नहीं होगा कि चंद्रयान-3 की कैमरे रूपी आंखों को ये सॉफ्टवेयर रोशनी देने का काम कर रहा है.

2- Pixxel

पिक्सल स्टार्टअप की शुरुआत साल 2019 में Awais Ahmed और Kshitij Khandelwal ने की थी, जो हैदराबाद का स्पेस-टेक स्टार्टअप है. यह हाइपरस्पेक्ट्रल अर्थ-इमेजिंग सैटेलाइट बनाने का काम करता है, जो हाई-रिजॉल्यूशन इमेज इकट्ठा करने का काम करते हैं. पिक्सल सैटेलाइट की रिमोट-सेंसिंग टेक्नोलॉजी जमीन की सारी डीटेल्स जानने में मदद करता है. इससे पानी, हवा की क्वालिटी, जमीन की हेल्थ और काफी कुछ मॉनिटर किया जा सकता है. यह स्टार्टअप बहुत सारा रीयल टाइम डेटा और एनालिटिक्स मुहैया करता है, जिससे तमाम इंडस्ट्रीज को डिसीजन लेने और प्लानिंग में मदद मिलती है. साल 2022 में इसने अपना पहला हाइपरस्ट्रक्चरल सैटेलाइट Shakuntala लॉन्च किया था. इसे एलन मस्क की कंपनी SpaceX के Falcon-9 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था. इस स्टार्टअप को गूगल, टेकस्टार्स, ओमनीवोर वीसी, रेडिकल वेंचर्स आदि से फंडिंग मिली हुई है.

3- Agnikul Cosmos

अग्निकुल कॉस्मोस एक निजी एयरोस्पेस स्टार्टअप है, जो आईआईटी मद्रास का है. इसे साल 2017 में श्रीनाथ रविचंद्रन और मोइन एसपीएम ने शुरू किया था, ताकि किफायती और कस्टमाइजेबल स्पेस व्हीकल बनाए जा सकें. इस एयरोस्पेस फर्म का मुख्य फोकस ऑर्बिटल-क्लास रॉकेट बनाना और लॉन्च करना है, खासकर माइक्रो और नैनोसैटेलाइट के लिए. मौजूदा वक्त में अग्निकुल कॉस्मोस एक 3डी-प्रिंटेड सैटेलाइट डेवलप कर रहा है. साल 2022 में इसने भारत का पहला लॉन्च पैड श्रीहरिकोटा में सेटअप किया. इस स्टार्टअप ने अब तक कुल मिलाकर करीब 35 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटा ली है. कंपनी में पैसे लगाने वालों में Mayfield Fund, and LionRock Capital. CIIE, Globevestor जैसे निवेशक शामिल हैं.

4- Skyroot Aerospace

तेलंगाना का ये स्टार्टअप निजी एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरर और कमर्शियल लॉन्च सर्विस प्रोवाइडर है. इसकी शुरुआत ISRO के पूर्व इंजीनियर और साइंटिस्ट पवन कुमार चंदना और नागा भारत डाका ने की थी. मौजूदा वक्त में यह स्टार्टअप विक्रम सीरीज को डेवलप और लॉन्च करने की दिशा में काम कर रहा है. विक्रम 1, 2 और 3 की मदद से 200 किलो से 700 किलो तक का पेलोड को लो अर्थ ऑर्बिट और सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट में ले जाया जा सकता है. इस फर्म को National Startup Awards 2020 से भी सम्मानित किया जा चुका है. साल 2022 में इस स्टार्टअप ने GIC के नेतृत्व में सीरीज सी की फंडिंग में करीब 51 मिलियन डॉलर जुटाए थे.

5- Dhruva Space

साल 2012 में शुरू हुआ ये स्टार्टअप कमर्शियल, सरकारी और एकेडेमिक मार्केट के लिए छोटे सैटेलाइट प्लेटफॉर्म बनाता है. यह स्टार्टअप फुल-स्टैक स्पेस इंजीनियरिंग सॉल्यूशन मुहैया कराता है. इसकी सेवाओं में सैटेलाइट लॉन्च करना, उसे डेवलप करना और ग्राउंड स्टेशन सॉल्यूशन भी शामिल है. इस स्टार्टअप ने तेलंगाना स्टेट इंडस्ट्रियल अवॉर्ड 2022 में Best Startup–Silver का अवॉर्ड जीता था. Dhruva Space को साल 2020 में Dubai Expo के लिए FICCI की तरफ से आमंत्रित किया गया था. साल 2021 में कंपनी ने IAN Fund और Blue Ashva Capital के नेतृत्व में 22 करोड़ रुपये का फंड हासिल किया था.