केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के अनुसार, भारत में 2014 में केवल 50 बायोटेक स्टार्टअप (Biotech Startup) थे जो पिछले दशक में बढ़कर लगभग 9,000 हो गए हैं. राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में, केंद्रीय मंत्री ने इस वृद्धि का श्रेय पिछले 10 वर्षों में जैव-अर्थव्यवस्था में शानदार वृद्धि को दिया,जो कि 2014 में 10 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2024 में 130 बिलियन डॉलर से अधिक की हो गई. जैव-अर्थव्यवस्था उद्योग के 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "प्रदूषण, जलवायु चुनौतियों आदि के खतरे के साथ, इस सरकार ने स्थिरता को प्राथमिकता दी है. यह लगभग 10-15 साल पहले के समय के बिल्कुल विपरीत है, जब भारत को जलवायु या हरित चिंताओं जैसे मुद्दों के रूप में बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता था, क्योंकि उन्हें लगता था कि या तो भारत इससे अलग है या शायद हम इसकी गंभीरता को नहीं समझते हैं."

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि "प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन चुनौतियों" के निरंतर खतरे के बीच सरकार के लिए "स्थिरता" उच्च प्राथमिकता है. उन्होंने 2070 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य पर भी प्रकाश डाला, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में सीओपी-26 में घोषणा की थी.

केंद्रीय मंत्री सिंह ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने स्थिरता की दिशा में कई पहल की हैं. इसमें ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, जलवायु परिवर्तन के लिए मिशन और गहरे समुद्र मिशन शामिल हैं. सरकार की हाल ही में शुरू की गई 'बायोई3 नीति' भी जलवायु परिवर्तन, घटते नॉन- रिन्यूएबल संसाधनों और अनसस्टेनेबल वेस्ट जनरेशन की पृष्ठभूमि में सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, "बायोटेक स्टार्टअप का उदय हमारी भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है. केंद्रीय मंत्री सिंह ने अक्टूबर में कहा, "ये प्रयास भारत को वैश्विक बायोप्लास्टिक मूवमेंट में सबसे आगे रखते हैं, जो दुनिया को दिखाते हैं कि जैव प्रौद्योगिकी कैसे स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य में योगदान दे सकती है."