एक नया बिजनेस (Business) शुरू करना आसान नहीं होता है. यह बहुत ही उत्साह वाला तो होता ही है, साथ ही ढेर सारी चुनौतियों से भी भरा हुआ होता है. हर स्टार्टअप (Startup) की सफलता की एक बड़ी वजह होता है उसकी विज्ञापन (Advertising) या प्रमोशन की स्ट्रेटेजी. सिर्फ अच्छा प्रोडक्ट भर बना देना काफी नहीं, उसके बारे में लोगों को बताना और जागरूक करना भी जरूरी है और इसके लिए जरूरत होती है विज्ञापन और प्रमोशन की. स्टार्टअप के पास आमतौर पर पैसों की कमी रहती है, तो ऐसे में विज्ञापन या प्रमोशन के लिए बजट बनाते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. 

सबसे पहले अपना मकसद तय करें

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अपने स्टार्टअप के लिए विज्ञापन के चैनल और बजट एलोकेशन के बारे में सोचने से पहले आपके लिए यह जरूरी है कि आप अपने स्टार्टअप को मकसद को पहचानें. इससे आपको मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बनाने में आसानी होगी. आपको ये तय करना होगा कि विज्ञापन का मकसद सेल्स बढ़ाना है, जागरूकता फैलाना है या नए ग्राहक बनाना है.

अपने टारगेट ऑडिएंस को समझें

आपको यह भी समझना होगा कि आपका टारगेट ऑडिएंस कौन है और उसी हिसाब से आपको विज्ञापन पर खर्च करने का बजट बनाना होगा. बजट बनाने के बाद विज्ञापन भी उसी आधार पर बनाना होगा. अगर आपका टारगेट ऑडिएंस बुजुर्ग लोग हैं तो आप युवाओं के हिसाब से विज्ञापन नहीं बना सकते हैं. ऐसे में विज्ञापन का बजट बेकार हो जाएगा. अपने विज्ञापन के जरिए आप जो मैसेज देना चाहते हैं, वह भी टारगेट ऑडिएंस के हिसाब से ही तय करना होगा.

तमाम चैनलों की करें एनालिसिस

विज्ञापन के लिए आपके स्टार्टअप के सामने क्या-क्या विकल्प या यूं कहें कि कौन-कौन से चैनल मौजूद हैं, आपको उन पर रिसर्च और एनालिसिस भी करनी चाहिए. आपको ये देखना होगा कि प्रिंट मीडिया, टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया, होर्डिंग आदि में से कौन से चैनल पर कितना खर्च आ रहा है और उससे आपका मकसद किस हद तक पूरा हो रहा है.

विज्ञापन के लिए कैसे एलोकेट करें पैसे?

सबसे पहले तो आपको अपनी कमाई का एक हिस्सा विज्ञापन के लिए तय करना होगा. कितना फंड विज्ञापन के लिए निकालना है, ये पता करने के लिए आपको अपनी कंपनी की वित्तीय हालत की एनालिसिस करनी होगी. उसके बाद आपको विज्ञापन के बजट को अलग-अलग चैनल के लिए एलोकेट करना होगा. फंड एलोकेट करते वक्त उस चैनल को अधिक एलोकेशन दें, जहां से आपको ये पक्का पता है कि आपका उद्देश्य पूरा हो ही जाएगा. वहीं नए चैनलों पर यानी जिन्हें आपने पहले आजमाया नहीं है, उनके लिए शुरुआत में कम फंड एलोकेट करें. इन तमाम चैनलों की परफॉर्मेंस को पूरे समय देखते रहें और एनालिसिस करते रहें और देखें कि क्या आपको अपने एलोकेशन में कोई बदलाव करने की जरूरत है.

डिजिटल विज्ञापन पर दें खास ध्यान

डिजिटल इंडिया के इस दौर में डिजिटल विज्ञापन पर खास ध्यान दें. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि इसकी लोगों तक पहुंच बहुत ज्यादा है और आसान है. वहीं डिजिटल विज्ञापन बाकी चैनलों की तुलना में सस्ता भी पड़ता है. साथ ही आप अपने विज्ञापन के प्रदर्शन को ट्रैक भी कर सकते हैं. सोशल मीडिया के जरिए डिजिटल विज्ञापन का सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि आप टारगेट ऑडिएंस तक अपना विज्ञापन पहुंचा सकते हैं, जिससे आपको फायदा होगा.

रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट का करें कैलकुलेशन

आखिर में आपको अपने इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले रिटर्न का भी कैलकुलेशन करना होगा. ये देखना होगा कि आपने कितने पैसे खर्च किए और उससे आपको कितना फायदा हुआ. ध्यान रहे कि यह फायदा जरूरी नहीं कि पैसों में हो. आपको फायदा हुआ या नहीं, इसका पता करने के लिए आपको अपने मकसद या उद्देश्य को एक बार फिर से देखना होगा. अगर आपका उद्देश्य पूरा हो रहा है तो ठीक है, वरना आपको अपनी स्ट्रेटेजी बदलनी चाहिए और एक बार फिर से एनालिसिस करनी चाहिए.