जब कभी शेयर बाजार में स्कैम (Share Market Scam) का जिक्र होता है तो हर कोई सबसे पहले हर्षद मेहता का ही नाम लेता है. हर्षद मेहता ने भारत का सबसे बड़ा शेयर मार्केट स्कैम (Harshad Mehata Scam) किया था, जिसकी वैल्यू करीब 5000 करोड़ की थी. आज हम आपको बताएंगे दुनिया के सबसे बड़े स्कैम (Biggest investment Fraud) के बारे में, जिसे बर्नी मेडॉफ (Bernie Madoff) नाम के शख्स ने किया था. इसने एक ऐसी पोंजी स्कीम (Ponzi scheme) चलाई थी, जिसमें एक के बाद एक तमाम लोग फंसते चले गए. इसके फ्रॉड की वैल्यू करीब 5.3 लाख करोड़ रुपये थी. इसीलिए इसे दुनिया के महाठग (Biggiest con in history) के नाम से भी जाना जाता है. इस महाठग के चक्कर में बहुत सारे लोग इसलिए पड़ गए, क्योंकि यह सरकार की एजेंसियों में भी बड़े पदों पर रहा था, जिसके चलते इस पर किसी को शक नहीं हुआ. 

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2008 की मंदी ने बर्नी मेडॉफ के इस गंदे खेल का पर्दाफाश कर दिया. अगर मंदी नहीं आती तो इस स्कैम का आंकड़ा और भी बड़ा होता. जब ये फ्रॉड सामने आया था तो अधिकारी हैरान रह गए, क्योंकि यह करीब 65 अरब डॉलर का स्कैम था. इस स्कैम की चपेट में बड़े-बड़े बिजनेसमैन, फिल्म अभिनेता, सेना के बड़े अधिकारी, फिल्म निर्माता और निर्देशक तक आए, जिन्हें भारी नुकसान हुआ. बर्नी मेडॉफ की पोंजी स्कीम में 130 से भी अधिक देशों के 37 हजार लोगों ने पैसे लगाए थे. आइए जानते हैं क्या था ये पूरा फ्रॉड और कैसे बर्नी मेडॉफ 40 साल से भी ज्यादा तक लोगों को बेवकूफ बनाता रहा.

बर्नी मेडॉफ की कहानी किसी ड्रामे से कम नहीं

1938 में न्यूयॉर्क में जन्मे बर्नी मेडॉफ ने गरीबी देखी थी. बार-बार पिता को फेल होते देखा. रोजी-रोटी कमाने के लिए मां को ब्लड बैंक में काम करते देखा. हालात एक वक्त पर इतने खराब हो गए थे कि उनका घर तक खतरे में आ गया. बर्नी ने उसी वक्त ये ठान लिया था कि किसी भी हालत में फेल नहीं होना है. वक्त गुजरता गया और धीरे-धीरे बर्नी दुनियादारी सीखता रहा. हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान बर्नी की मुलाकात रूथ से हुई थी, जिनके पिता का एक बड़ा अकाउंटिंग बिजनेस था. रूथ से शादी के बाद बर्नी ने अपने ससुर की कंपनी में ही एक डेस्क से अपनी कंपनी शुरू की. महज 5000 डॉलर के साथ 1960 में बर्नी ने Bernard L. Madoff Investment Securities LLC नाम की कंपनी की शुरुआत की. उनकी पत्नी रूथ ने भी इस बिजनेस में उनका साथ दिया और उनकी कंपनी वॉल स्ट्रीट पर ट्रेडिंग करने लगी. बर्नी के ससुर ने अपने बहुत सारे क्लाउंट भी उन्हें दे दिए. बर्नी एक शानदार स्टॉक ब्रोकर बन चुका था, जो अपने क्लाइंट्स को तगड़ा रिटर्न देने लगा.

पोंजी स्कीम के लिए बनाई एक दूसरी कंपनी

सब अच्छा चल रहा था, लेकिन बर्नी की ख्वाहिशें आसमान से भी ऊपर निकल जाने की थीं. एक दिन बर्नी ने सोचा कि अपना इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी का बिजनेस शुरू किया जाए, जिसके तहत वह लोगों के पैसे मैनेज करेगा. फिर चुपके से बर्नी ने इसकी शुरुआत कर दी, लेकिन उसे सिक्योरिटीज एक्सचेंज पर रजिस्टर नहीं कराया. यह गैर-कानूनी था, लेकिन शायद बर्नी के दिमाग में पहले से ही ये तय था कि उसे बहुत बड़ा स्कैम करना है. जब बर्नी के ससुर 1970 में रिटायर हो गए, तो बर्नी ने उनकी कंपनी का नाम बदल कर A&B कर दिया. इसका मतलब था Michael Bienes और Frank Avellino, जो कंपनी में अकाउंटेंट्स थे. वह क्लाइंट्स से पैसे लेते थे और अच्छे रिटर्न का वादा कर के पैसे बर्नी को दे देते थे. इधर बर्नी उन पैसों के जरिए शेयर बाजार के कई पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट करता था और तगड़ा मुनाफा कमाता था.

मार्केट क्रैश में की तगड़ी खरीदारी और कमाया मुनाफा

साल 1987 तक बर्नी मेडॉफ एक अमीर आदमी बन चुका था. उसने 885 3rd avenue की लिपस्टिक बिल्डिंग में 19वें फ्लोर पर ऑफिस बनाया. यह बिल्डिंग लिपस्टिक जैसी दिखती थी. बर्नी ने अपने साथ छोटे भाई पीटर, पत्नी रूथ और दोनों बेटों एंडी और मार्क को भी ले लिया. 19 अक्टूबर 1987 को सुबह 9.30 बजे जब मार्केट खुला तो वॉल स्ट्रीट पर तबाही का मंजर देखने को मिला. स्टॉक मार्केट क्रैश हो गया. 1929 के बाद यानी करीब 58 सालों के बाद इतना बड़ा क्रैश हुआ था. उस वक्त लोग तेजी से सब कुछ बेचकर मार्केट से निकलने लगे, लेकिन बर्नी मेडॉफ को वहीं मौका दिखा और वह तेजी से स्टॉक खरीदता गया. बर्नी ने अपने क्लाइंट्स को 15-19 फीसदी तक रिटर्न दिया. वह 3 बार नैसडैक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी चुना गया.

और फिर जांच एजेंसियों को हुआ शक

ये बात है 1992 की, जब सिक्योरिटीज एक्सचेंज को एक ब्रॉशर मिला. उसमें 100 फीसदी गारंटी के साथ रिटर्न देने का वादा किया गया था. बिना किसी रिस्क की बात सुनकर सिक्योरिटीज एक्सचेंज ने A&B कंपनी के Michael Bienes और Frank Avellino से पूछताछ की. तब पता चला कि कंपनी तो रजिस्टर्ड ही नहीं है, जो गैर-कानूनी है. तब सिक्योरिटीज एक्सचेंज ने ट्रांजेक्शन की डिटेल्स मांगीं. बर्नी ने फिर Frank Dipascali को बिजनेस में शामिल किया, जिसने बर्नी के लिए ढेर सारे फर्जी ट्रांजेक्शन और पेपर ट्रेल के दस्तावेज तैयार किए, जो बिल्कुल असली लगते थे. दस्तावेज देकर बर्नी को सिक्योरिटीज एक्सचेंज ने छोड़ तो दिया, लेकिन कंपनी को बंद कर के निवेशकों के 444 मिलियन डॉलर लौटाने को कहा.

किसी भी हालत में खुद को फेल नहीं दिखाना चाहते थे बर्नी

बर्नी जब पैसे वापस देने लगे तो निवेशकों ने पैसे लेने से मना कर दिया और कहा कि वह अपनी कंपनी (Bernard L. Madoff Investment Securities LLC) में सारे पैसे लगा लें. बर्नी पर निवेशक इसलिए बहुत भरोसा करते थे क्योंकि शेयर बाजार में गिरावट आने और नुकसान के बावजूद वह अपने निवेशकों को रिटर्न देते थे. बर्नी कहते थे कि वह किसी निवेशक का भरोसा नहीं तोड़ना चाहते हैं, इसलिए वह खुद को फेल होता दिखाने के बजाय झूठा बना लेते थे और नुकसान के बावजूद निवेशकों को रिटर्न देते थे. मेडॉफ अपने पिता की तरह फेल नहीं होना चाहते थे.

पोंजी स्कीम की मदद से चल रहा था पूरा खेल

बर्नी अपने निवेशकों को रिटर्न इसलिए दे पा रहे थे, क्योंकि वह एक पोंजी स्कीम चला रहा थे. वह नए निवेशकों के पैसों को पुराने निवेशकों को रिटर्न की तरह देते थे. इसके लिए फर्जी दस्तावेज से लेकर फर्जी ऑफिस तक सब तैयार किया था. जब कोई पुराने दस्तावेज मांगता तो उसे प्रिंट कर लिया जाता. कहा जाता है कि तुरंत निकले प्रिंट गरम होते थे तो उन्हें कुछ देर फ्रिज में रखकर ठंडा किया जाता था, पुराना बनाने के लिए नीचे गिराकर पैरों से रौंदा जाता था.

2008 की मंदी ने खोल दी पोल

साल 2000 के दौरान सिक्योरिटीज एक्सचेंज को मेडॉफ पर शक तो हुआ, लेकिन जांच की हर कोशिश को मेडॉफ ने दबा दिया. इसके बाद 2008 में मंदी ने दस्तक दी, शेयर बाजार क्रैश हो गया और देखते ही देखते मेडॉफ का भी पर्दाफाश हो गया. लोगों के पास जब पैसों की दिक्कत हुई तो वह अपने पैसे निकालने लगे. वहीं बर्नी को नए निवेशक नहीं मिल पा रहे थे, जिनसे पोंजी स्कीम आगे चल सके और इसका पर्दाफाश हो गया. इसके बाद शेयर बाजार में एक और बड़ी गिरावट आई थी. बर्नी ने भी खुद को बचाने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि सब सच बता दिया. बर्नी ने ये भी कहा कि उन्हें पहले से पता था एक दिन यह पोंजी स्कीम खुल जाएगी. 

150 साल की हुई सजा, अस्थियां तक नहीं लेने आया परिवार

बर्नी ने इस पोंजी स्कीम से अपने परिवार को दूर रखा था. लिपस्टिक बिल्डिंग में ही बर्नी ने 17वें फ्लोर पर इस पोंजी स्कीम के लिए ऑफिस लिया था, जहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं थी. बर्नी के पोंजी स्कीम के खुलने से बहुत सारे निवेशकों के पैसे डूब गए, कइयों ने तो आत्महत्या तक कर ली. लोगों ने बर्नी के परिवार वालों को भी खूब परेशान किया, जिसके चलते एक बेटे ने आत्महत्या कर ली और दूसरे की बीमारी से मौत हो गई. 70 साल के बूढ़े बर्नी मेडॉफ को इतने बड़े गुनाह के लिए 150 साल जेल की सजा सुनाई और सारी संपत्ति जब्त कर ली. बर्नी के साथियों को भी जेल हुई. वैसे तो इस पोंजी स्कीम में निवेशकों के लगभग 19 अरब डॉलर लगे थे, जिसमें से 14 अरब डॉलर रिकवर हो गए, लेकिन इस पोंजी स्कीम की वैल्यू करीब 65 अरब डॉलर (करीब 5.30 लाख करोड़ रुपये) आंकी गई. 14 अप्रैल 2021 को बर्नी मेडॉफ की मौत जेल में ही हो गई. लोग बर्नी से बहुत गुस्सा थे, इसलिए मौत के बाद जेल प्रशासन ने उसे दफनाने के बजाय जलाकर अंतिम संस्कार कर दिया. बर्नी का गुनाह कितना बड़ा था, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद परिवार का कोई अस्थियां तक लेने नहीं आया.