कभी फाइनेंशियल गड़बड़ी में फंसी थी कंपनी, अब जुटाए ₹50 करोड़, जानें किस वजह से निकाले गए थे 70% कर्मचारी
कुछ वक्त पहले GoMechanic में एक बड़ी गड़बड़ी की बात सामने आई थी. करीब 7 महीने पहले Lifelong Group की कंपनी Servizzy ने इसका अधिग्रहण कर लिया था. अब खबर आ रही है कि कंपनी ने 6 मिलियन डॉलर यानी करीब 50 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है.
कुछ वक्त पहले GoMechanic में एक बड़ी गड़बड़ी की बात सामने आई थी. करीब 7 महीने पहले Lifelong Group की कंपनी Servizzy ने इसका अधिग्रहण कर लिया था. अब खबर आ रही है कि कंपनी ने 6 मिलियन डॉलर यानी करीब 50 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है. इन पैसों से कंपनी का बिजनेस बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा और साथ ही नए प्रोडक्ट भी लॉन्च किए जाएंगे. अभी इस फंडिंग को लेकर ज्यादा जानकारियां बाहर नहीं आई हैं. अगर मौजूदा निवेशकों की बात करें तो Stride Ventures और दिल्ली की Lifelong India Pvt Ltd. पहले से ही इस कंपनी में निवेशक हैं. बता दें कि अधिग्रहण होने से पहले तक गोमैकेनिक ने Tiger Global Management, Peak XV Partners, Orios Venture Partners और Chiratae Ventures से करीब 62 मिलियन डॉलर का फंड जुटा लिया था.
इसी साल की शुरुआत में गोमैकेनिक में कई वित्तीय गड़बड़ियां सामने आई थीं, जिसके बाद कंपनी को दिवाला प्रक्रिया शुरू करने के लिए नोटिस दिया गया था. कुछ वक्त बाद खुद कंपनी को-फाउंडर अमित भसीन ने लिंक्डइन पर आकर वित्तीय आंकड़ों की गलत रिपोर्टिंग करने की बात स्वीकार की थी. उसके करीब दो महीने बात गोमैकेनिक का अधिग्रहण हो गया था.
घर-घर जाकर लोगों की गाड़ियों से जुड़ी तमाम सर्विस देने वाली कंपनी गोमैकेनिक इसी साल की शुरुआत में बुरे संकट में फंस गई थी. कंपनी में तमाम वित्तीय गड़बड़ियां होने की खबरें सामने आ रही थीं. खुद कंपनी के को-फाउंडर अमित भसीन ने लिंक्डइन पर वित्तीय गड़बड़ी की बात स्वीकारी थी. इसके चलते कंपनी के तमाम कर्मचारियों को भी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था और करीब 70 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था. गोमैकेनिक की शुरुआत साल 2016 में कुशल कारवां, नितिन राणा, अमित भसीन और ऋषभ कारवां ने की थी. यह चारों को-फाउंडर आईआईएम अहमदाबाद से पढ़े थे.
साल 2020 के दौरान कंपनी ने 42 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई थी. उसके करीब दो साल बाद सामने आया कि गोमैकेनिक ने अपने रेवेन्यू को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए फाइनेंशियल बिल तैयार किए थे. इस हेरा-फेरी के बाद फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश दिया गया था, जिससे कंपनी की पोल खुल गई. इससे निवेशकों को तो नुकसान उठाना ही पड़ा, साथ ही कंपनी में काम करने वालों को भी दिक्कत का सामना करना पड़ा.
...तो यूनिकॉर्न बन जाती कंपनी
इस कंपनी ने बॉलीवुड एक्टर शरमन जोशी और WWE रेसलर खली को अपने विज्ञापनों के लिए साइन किया था. ऐसे में उन्हें देखकर भी लोग भरोसा करते रहे और कंपनी तेजी से आगे बढ़ती चली गई. साल 2016-19 के बीच निवेशकों का इस स्टार्टअप में खूब इंस्ट्रेस्ट जगा और फिर धीरे-धीरे बहुत सारे निवेशकों ने पैसे लगाए. साल 2022 में दिक्कतें सामने आने लगीं. उस वक्त कंपनी सॉफ्टबैंक के साथ मीटिंग कर रही थी और करीब 1 अरब डॉलर की वैल्युएशन पर फंडिंग जुटाने की योजना बना रही थी. अगर वित्तीय गड़बड़ी सामने ना आती तो यह स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन चुका होता.