FTX Scam: ₹666376400000 का स्कैम, कैसे एक 30 साल के लड़के ने किया इतना बड़ा फ्रॉड, दिग्गज निवेशक भी फंस गए जाल में
इन दिनों अमेरिका में हुए एक स्कैम (Scam) की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. बताया जाता है कि बर्नी मैडॉफ के स्कैम के बाद यह अपनी कैटेगरी का सबसे बड़ा घोटाला है, जो करीब 66,600 करोड़ रुपये (8 अरब डॉलर) का था.
इन दिनों अमेरिका में हुए एक स्कैम (Scam) की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. बताया जाता है कि बर्नी मैडॉफ के स्कैम के बाद यह अपनी कैटेगरी का सबसे बड़ा घोटाला है, जो 666376400000 रुपये यानी करीब 66,600 करोड़ रुपये (8 अरब डॉलर) का था. इस स्कैम में बहुत सारे लोगों की जिंदगी भर की कमाई चली गई और लोग सड़क पर आ गए. यहां बात हो रही है क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज FTX की, जिसे शुरू करने वाले सैम बैंकमैन फ्रायड को हाल ही में अमेरिकी अदालत ने 7 मामले में दोषी पाते हुए 25 साल जेल की सजा सुनाई है. यहां तक कि जेल से छूटने के बाद भी वह 3 साल सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में रहेंगे.
सैम बैंकमैन फ्रायड ने छोटी सी उम्र में कितनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं वह फॉर्च्यून मैगजीन के कवर पेज पर आ चुका था. इतना ही नहीं, वह फोर्ब्स की रिचेस्ट बिलियनेर्स की लिस्ट में भी जगह बना चुका था. उसकी कंपनी में करीब 25 वेंचर कैपिटल फर्म ने पैसा लगाया था. यहां एक बड़ा सवाल ये है कि करीब 30 साल के एक लड़के ने आखिर इतना बड़ा फ्रॉड किया कैसे और क्यों इतने बड़े-बड़े लोग भी उसकी चाल नहीं समझ सके. आइए Startup Scam सीरीज में आज जानते हैं FTX Scam के बारे में.
लेहमन ब्रदर्स क्राइसिस के दौरान ही पड़ गया था बीज
FTX Scam का खुलासा तो नवंबर 2022 में हुआ, लेकिन इसका बीज 2008 के लेहमन ब्रदर्स क्राइसिस के दौरान ही पड़ गया था. उस दौरान मार्केट बुरी तरह टूट गए थे और लोगों में एक गुस्सा भर गया था. लोग चाहते थे कि जब सरकार अपनी सेंट्रलाइज करंसी का ख्याल नहीं रख सकती तो चीजों को डीसेंट्रलाइज किया जाना चाहिए. उसी दौरान क्रिप्टोकरंसी फोकस में आया, जो पूरी तरह से डीसेंट्रलाइज था और सैम की नजर भी क्रिप्टो पर पड़ी.
हर साल 15 फीसदी रिटर्न देने का वादा
सैम का जन्म सिलिकॉन वैली में हुआ था. अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उसने एक कंपनी ने में काम किया, लेकिन उसे तेजी से ग्रोथ चाहिए थी, इसलिए नौकरी छोड़ दी. उस दौरान बिटकॉइन तेजी से बढ़ रहा था. सैम की फाइनेंस में बहुत दिलचस्पी थी, इसलिए 2017 में सैम ने एलीमेडा रिसर्च (Alameda Research) नाम की अपनी कंपनी शुरू की. यह कंपनी क्रिप्टो पर काम करती थी, जो एक हेजिंग का काम करती थी. सैम ने तमाम निवेशकों को इस बात का भरोसा दिला दिया कि उसने एक ऐसी रणनीति बना ली है, जिससे हर साल 15 फीसदी का रिटर्न बनता रहेगा और किसी भी साल नुकसान नहीं होगा.
आया एक और आइडिया, शुरू किया FTX क्रिप्टो एक्सचेंज
इस बिजनेस में अमेरिका में रहकर सैम को रिटर्न बहुत कम मिल रहा था तो उसने अपना बिजनेस हांगकांग शिफ्ट करने का फैसला किया. इसी बीच सैम को एक और बड़ा आइडिया आया, जिसे उसने तमाम वीसी के सामने रखा. सैम ने एक क्रिप्टो प्लेटफॉर्म एफटीएक्स शुरू करने का आइडिया दिया, जिस पर लोग क्रिप्टो को ट्रेड कर सकते थे. सैम ने इस कंपनी को एलीमेडा रिसर्च से अलग बनाया और उसे बहामास में सेटअप करने का फैसला किया. इस बिजनेस में ग्रोथ कितनी तगड़ी हो रही थी, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जनवरी 2022 तक यानी करीब 4 साल में ही कंपनी 32 बिलियन डॉलर की हो गई.
कैसे लोग फंस गए इस ट्रैप में?
एफटीएक्स में सबसे तगड़ी ग्रोथ देखने को मिली कोरोना काल में, जब लोग घरों में बैठे थे. लोगों के पास कुछ काम नहीं था. ऐसे में लोग हर उस तरीके की तरफ आकर्षित हो रहे थे, जहां से कुछ पैसे बन सकें. उस दौरान क्रिप्टो तेजी से बढ़ रहा था और लोग उसकी ओर खिंचे चले गए. सैम ने एफटीएक्स का खूब प्रचार-प्रसार किया, सेलेब्रिटीज से विज्ञापन करवाए, जिससे अधिक से अधिक लोग आकर्षित हो सकें.
खुद की पब्लिसिटी पर भी खूब खर्च करता था सैम
सैम सिर्फ अपने बिजनेस को बढ़ाने पर फोकस नहीं करता था, बल्कि वह अपनी खुद की इमेज भी बेहतर बनाने पर काम करता था. इसके चलते सेलेब्रिटी से लेकर पॉलिटिक्स तक के साथ सैम की अच्छी पहचान हो गई थी. सैम 'क्रिप्टो बहामास' नाम का एक क्रिप्टो कॉन्फ्रेंस भी किया करता था और उससे भी उसकी पॉपुलेरिटी बढ़ रही थी, जिससे बिजनेस में निवेश भी बढ़ रहा था.
एफटीटी टोकन के आइडिया ने बिगाड़ा खेल
एफटीएक्स तेजी से बढ़ रहा था और फिर सैम ने एफटीटी टोकन की शुरुआत करने का फैसला किया. सैम की जिंदगी का यही कदम सबसे बड़ी गलती साबित हुआ. सैम ने कहा कि उसकी कंपनी जितना रेवेन्यू हासिल करेगी, वह एफटीटी टोकन में डालेगी, जिससे इसकी डिमांड बढ़ेगी. लोगों से भी इसमें पैसा लगाने के लिए कहा गया. यह भी ऑफर दिया गया कि इसमें कमीशन बहुत ही कम रहेगा. तभी एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें एलिमेडा रिसर्च की वित्तीय हालत पर सवाल उठाए गए. उसी दौरान एक क्रिप्टो 'टेरालूना' तेजी से गिरा. उसके बाद तमाम वीसी ने भी कंपनी पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.
पैसे निकालने की मची होड़, कंपनी हो गई दिवालिया
सैम के पास उस वक्त कैश की दिक्कत थी, क्योंकि सारे पैसे एफटीटी में लगा दिए गए थे. तब सैम ने सोचा कि ग्राहकों के अकाउंट में जो कैश है, उसे कंपनी में रखकर बुक्स में दिखा सकते हैं और बाद में उसे वापस ग्राहकों के खातों में डाल देंगे. जैसे ही सैम ने अपने प्लान पर अमल किया, वैसे ही कुछ ऐसे हालत बने कि कंपनी की इमेज पर सवाल उठने लगे. लोगों ने डर के मारे अपने पैसे निकालने चाहे, लेकिन वहां पैसे थे ही नहीं, क्योंकि वह सैम ने निकाल लिए थे. लोगों में एक अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया और सभी अपना पैसा निकालने लगे, लेकिन कंपनी के पास इतने पैसे थे ही नहीं कि सबको दिए जा सकें. कुछ ही दिनों में सैम ने खुद ही सामने आकर कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया. इसके बाद वायर फ्रॉड, कमोडिटी फ्रॉड, मनी लॉन्डरिंग समेत कई फ्रॉड के आरोप लगे. सैम के खिलाफ जांच हुई, जिसके बाद उनके खिलाफ मामला चलाया गया.