Flipkart का घाटा 44% बढ़ा, हर 1 रुपया कमाने के लिए कंपनी ने खर्च किए ₹1.08, जानें कितना हुआ नुकसान
आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में फ्लिपकार्ट का घाटा बढ़ गया है. यह पिछले साल के मुकाबले करीब 44 फीसदी बढ़ा है और 4839.3 करोड़ रुपये हो गया है. फ्लिपकार्ट हर साल नुकसान में ही रह रही है और आज तक मुनाफे में नहीं आ पाई है.
ई-कॉमर्स की दिग्गज कंपनी फ्लिपकार्ट (Flipkart) इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नतीजे सामने आ गए हैं. बिजनेस इंटेलिजेंस प्लटेफॉर्म Tofler की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में फ्लिपकार्ट का घाटा बढ़ गया है. यह पिछले साल के मुकाबले करीब 44 फीसदी बढ़ा है और 4839.3 करोड़ रुपये हो गया है. फ्लिपकार्ट हर साल नुकसान में ही रह रही है और आज तक मुनाफे में नहीं आ पाई है.
44 फीसदी बढ़ गया घाटा
वॉलमार्ट समूह की ई-कॉमर्स कंपनी को वित्त वर्ष 2021-22 में 3,371.2 करोड़ रुपये का एकीकृत घाटा हुआ था। एकल आधार पर बीते वित्त वर्ष में फ्लिपकार्ट का शुद्ध घाटा बढ़कर 4,839.3 करोड़ रुपये रहा है। फ्लिपकार्ट की वित्तीय रिपोर्ट के अनुसार, “वित्त वर्ष 2022-23 के लिए उसका एकल शुद्ध घाटा 44 प्रतिशत बढ़कर 4,839.3 करोड़ रुपये रहा, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 3,362.4 करोड़ रुपये रहा था।”
रेवेन्यू में आई 9.4 फीसदी की बढ़ोतरी
समीधाक्षीन वित्त वर्ष के लिए कंपनी की एकीकृत शुद्ध कुल आमदनी (अन्य स्रोतों से मिलाकर) 9.4 प्रतिशत बढ़कर 56,012.8 करोड़ रुपये हो गई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 51,176 करोड़ रुपये थी। कंपनी की एकल शुद्ध आमदनी एकीकृत आमदनी के बराबर थी। टॉफलर ने कहा, “कंपनी का कुल खर्च वित्त वर्ष 2022-23 में 60,858 करोड़ रुपये रहा।” इस बारे में फ्लिपकार्ट को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिला था।
हर 1 रुपया कमाने के लिए 1 रुपये खर्च
कंपनी का कुल खर्च 60,858 करोड़ रुपये रहा है. ऐसे में अगर कंपनी के रेवेन्यू (56,012.8 करोड़ रुपये) की तुलना में देखा जाए तो कंपनी को हर एक रुपया कमाने के लिए लगभग 1 रुपये खर्च करने पड़े हैं. अब आप समझ ही सकते हैं कि क्यों फ्लिपकार्ट नुकसान पर नुकसान झेल रहा है.
वॉलमार्ट ने बिन्नी बंसल से खरीदी फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी
वॉलमार्ट (Walmart) ने फ्लिपकार्ट (Flipkart) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए 3.5 अरब डॉलर का भुगतान कर दिया है. अब फ्लिपकार्ट में वॉलमार्ट की हिस्सेदारी कुल 80.5 फीसदी हो गई है. जुलाई के महीने में टाइगर ग्लोबल, एक्सेल और को-फाउंडर बिन्नी बंसल (Binny Bansal) समेत कुछ शुरुआती निवेशकों ने अपना स्टेक वॉलमार्ट को बेच दिया था. टाइगर ग्लोबल ने 4.1 फीसदी, एक्सेस ने 1.1 फीसदी और बिन्नी बंसल ने फ्लिपकार्ट में 1.8 फीसदी स्टेक बेचा था. वॉलमार्ट की अधिग्रहण (Acquisition) वैल्यू के हिसाब से अब फ्लिपकार्ट 35 अरब डॉलर की कंपनी हो गई है.
फ्लिपकार्ट ने 2021 में अपनी हिस्सेदारी जापान के सॉफ्टबैंक, यूएस की रिटेलर कंपनी वॉलमार्ट और अन्य निवेशकों को बेच दिया था. फ्लिपकार्ट में शुरुआती हिस्सेदारी लेने वाली कंपनी Tiger Global और Accel पिछले साल ही अपनी बची हुई हिस्सेदारी वॉलमार्ट को बेचने की तैयारी कर रही थीं. 2021 में फ्लिपकार्ट ने 3.6 अरब डॉलर की एक फंडिंग ली थी, जिसमें वॉलमार्ट भी था, जिसके हिसाब से कंपनी की वैल्युएशन करीब 37.6 अरब डॉलर थी.
2018 में बिक गई थी फ्लिपकार्ट
वॉलमार्ट ने साल 2018 में फ्लिपकार्ट में लगभग 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी, इसके लिए लगभग 16 बिलियन डॉलर में डील हुई थी. कंपनी ने बाद में ये भी कहा था कि वो अगले चार सालों में कंपनी को पब्लिक भी कर सकती है. वॉलमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स दिग्गज पर अपना नियंत्रण मजबूत करने के लिए फ्लिपकार्ट में टाइगर ग्लोबल की शेष हिस्सेदारी खरीदी है.
2007 में हुई थी फ्लिपकार्ट की शुरुआत
फ्लिपकार्ट समूह भारत की अग्रणी डिजिटल वाणिज्य संस्थाओं में से एक है और इसमें समूह की कंपनियां फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, फ्लिपकार्ट होलसेल, फ्लिपकार्ट हेल्थ प्लस और क्लियरट्रिप शामिल हैं. 2007 में शुरू हुई फ्लिपकार्ट ने 400 मिलियन से अधिक रजिस्टर्ड ग्राहक आधार के साथ, 80 से अधिक कैटेगरी में 150 मिलियन से अधिक उत्पादों की पेशकश करती है. इसने लाखों उपभोक्ताओं, विक्रेताओं, व्यापारियों और छोटे व्यवसायों को भारत की डिजिटल कॉमर्स क्रांति का हिस्सा बनने में सक्षम बनाया है.