वित्तीय सेवा कंपनी यूरेका ग्रुप (Eureka Group) ने 4 स्टॉक ब्रोकिंग फर्म्स का अधिग्रहण (Acquisition) किया है. साथ ही अन्य 2-3 फर्म के साथ अभी बातचीत चल रही है. इसकी वजह ये है कंपनियों की लागत बढ़ती जा रही है और मुनाफा घटता जा रहा है. इसके चलते ब्रोकरेज उद्योग (Brokerage Industry) कंसोलिडेशन के दौर से गुजर रहा है. हालांकि, अभी कंपनी की तरफ से ये जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है कि ये कौन सी फर्म हैं, लेकिन ये तय है कि यह बेहद छोटी स्टॉक ब्रोकिंग फर्म हैं.

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यूरेका ग्रुप के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया कि 5,000 से 7,000 से कम एक्टिव ग्राहकों वाला कोई भी ब्रोकर अपने बिजनेस को बनाए रखने के लिए संघर्ष करेगा. ब्रोकरेज इंडस्ट्री मौजूदा वक्त में कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जैसे घटता मुनाफा और बढ़ती लागत. इससे डिस्काउंट ब्रोकरों और छोटी कंपनियों के लिए बिजनेस करते रहना मुश्किल होता जा रहा है.

यूरेका ग्रुप के कार्यकारी निदेशक, राकेश सोमानी ने कहा किया कि वह पहले ही 4 ब्रोकरों के साथ विलय कर चुके हैं और 2-3 अन्य के साथ विलय की प्रक्रिया जारी है. छोटी कंपनियां अक्सर अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रेवेन्यू जनरेट करने में संघर्ष करती हैं, जबकि बड़े ब्रोकर्स के पास नियमों का पालन करने और टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए जरूरी संसाधन होते हैं.

राकेश सोमानी ने ये बयान Financial Conclave 2023 के दौरान दिया, जहां उद्योग जगत के कई दिग्गज लीडर मौजूद थे. नाम जाहिर ना करने की शर्त पर एक ब्रोकिंग फर्म के प्रमोटर ने कहा कि जिन कंपनियों ने टेक्नोलॉजी में निवेश नहीं किया है और ग्राहकों को लुभाने के लिए एक ही जगह पर बहुत सारी वित्तीय सेवाएं नहीं दे पा रही हैं, उन्हें सबसे ज्यादा चुनौतियां झेलनी पड़ रही हैं.