अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स यानी वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) ने देश में नवोन्मेषण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आधुनिक, उभरते और गहन प्रौद्योगिकी वाले स्टार्टअप में निवेश के लिए सरकार से विशिष्ट कोष की मांग की है. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. उन्होंने सरकार से स्टार्टअप के लिए ‘फंड ऑफ फंड्स’ (एफएफएस) योजना के तहत नए दौर के कोष की घोषणा करने का भी आग्रह किया है. ये मांगें पिछले सप्ताह यहां एआईएफ और उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के अधिकारियों के बीच हुई बैठक के दौरान उठाई गईं. 

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अधिकारी ने बताया कि विभाग ने देश में स्टार्टअप के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने के तरीकों पर एआईएफ के साथ चर्चा की. उन्होंने कहा, “बैठक में एआईएफ ने एफएफएस के तहत अधिक धनराशि की मांग की. उन्होंने एफएफएस की अवधि को मौजूदा के 12 साल से बढ़ाने के लिए भी आग्रह किया.” 

फिलहाल, एफएफएस क्षेत्र-विशिष्ट नहीं है. एआईएफ ने उभरते और नए युग के क्षेत्रों के लिए विशिष्ट कोषों का सुझाव दिया है. बैठक के दौरान पूंजी जुटाने और छोटे शहरों में स्टार्टअप इकाइयों के लिए वित्तपोषण को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की गई. एफएफएस को 2016 में मंजूरी दी गई थी और 10,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ इसकी स्थापना की गई थी.

इसका योगदान कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग चक्र में फैला हुआ था, ताकि घरेलू पूंजी तक पहुंच को आवश्यक बढ़ावा दिया जा सके. यह योजना उद्यम पूंजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए स्थापित की गई है और इसका संचालन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा किया जाता है, जो भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत एआईएफ को पूंजी प्रदान करता है, जो बदले में स्टार्टअप में निवेश करते हैं.