स्टार्टअप (Startup) की दुनिया में इस वक्त हर कोई एक सवाल पूछ रहा है कि आखिर क्यों ये स्टार्टअप नुकसान उठा रहे हैं? इससे भी बड़ा सवाल ये है कि सालों से नुकसान उठाते आ रहे हैं फिर भी बिजनेस बढ़ता ही जा रहा है, आखिर तमाम खर्चे पूरे करने के लिए ये स्टार्टअप पैसे कहां से लाते हैं? कुछ समय पहले ही यूनिकॉर्न CRED के नतीजे आए थे, जिसमें पाया गया कि कंपनी का 2023 का रेवेन्यू 1400 करोड़ रुपये है और कंपनी को नुकसान हुआ है करीब 1350 करोड़ रुपये का. कंपनी ने बताया है कि खर्चे करीब 2800 करोड़ रुपये के हुए हैं. यानी हर 1 रुपया कमाने के लिए कंपनी ने 2 रुपये खर्च कर दिए. साल 2020 में तो ये तक खबर थी कि कंपनी ने हर 1 रुपया कमाने  ये कैसे बिजनेस मॉडल (Business Model) है? ऐसे कौन सा बिजनेस चलता है? खैर, स्टार्टअप की दुनिया में इस तरह से नुकसान उठाकर पैसे कमाना नई बात नहीं है.

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वहीं दूसरी ओर, फंडिंग ना मिल पाने की वजह से क्विक कॉमर्स कंपनी Dunzo की हालत खराब हुई पड़ी है. वह कई राउंड की छंटनी कर चुकी है. सिर्फ इसी साल की बात करें तो कंपनी 600-700 लोगों को निकाल चुकी है. जून में कंपनी ने जिन कर्मचारियों की छंटनी की थी, उनकी सैलरी अब तक नहीं चुकाई जा सकती है. 4-5 बार तो फाइनल सैलरी देने की तारीख ही बढ़ानी पड़ी है. हालात इतने खराब हैं कि कंपनी को को-फाउंडर दलवीर सूरी इस्तीफा देकर जा चुके हैं. बाकी को-फाउंडर्स का रोल भी बदले जाने की खबर है. बिजनेस को भी रीस्ट्रक्चर किया जा रहा है. उधर Byju's के हाल भी किसी से छुपे नहीं हैं. कंपनी में छंटनी के कई दौर चल चुके हैं. हाल ही में कंपनी ने नया सीईओ नियुक्त करने के बाद बिजनेस रीस्ट्रक्चर किया है, जिसके तहत करीब 3500 लोगों की नौकरी जा रही है. तो क्या स्टार्टअप का सारा काम सिर्फ फंडिंग के भरोसे चल रहा है? 

पहले जानिए कुछ कंपनियों के नतीजे और उनका नुकसान

  • Ather Energy का कुल रेवेन्यू 1783 करोड़ रुपये का रहा और कंपनी को नुकसान 864 करोड़ रुपये का हुआ.
  • CRED की कमाई 1400 करोड़ रुपये की हुई और नुकसान हुआ 1347 करोड़ रुपये का.
  • Licious की कमाई हुई 748 करोड़ रुपये के करीब और कंपनी को नुकसान हुआ है लगभग 528 करोड़ रुपये का. 
  • Paytm के हालात पहले से थोड़ा सुधरे हैं. इस बार कंपनी की कमाई हुई करीब 7,990 करोड़ रुपये की और नुकसान हुआ लगभग 1776 करोड़ रुपये का.
  • Tata 1mg का रेवेन्यू रहा 1627 करोड़ रुपये का और कंपनी को नुकसान हुआ है 1255 करोड़ रुपये का.
  • Testbook की कमाई हुई 56 करोड़ रुपये की, जबकि नुकसान हुआ दोगुने से भी ज्यादा 130 करोड़ रुपये के करीब.
  • Urban Company की कमाई हुई 636 करोड़ रुपये की, जबकि नुकसान हुआ 312 करोड़ रुपये का.
  • Zomato का टोटल रेवेन्यू रहा 7080 करोड़ रुपये के करीब और कंपनी को नुकसान हुआ 971 करोड़ रुपये का.

फंडिंग पर निर्भरता बहुत ज्यादा

जहां साल 2022 में स्टार्टअप्स को हर 3 घंटे में फंडिंग मिल रही थी, अब 2023 में उन्हें करीब 10 घंटों में एक फंडिंग मिल रही है. सिर्फ 2023 की पहली छमाही में ही फंडिंग में करीब 72 फीसदी की गिरावट आई है. तमाम स्टार्टअप तेजी से छंटनी कर रहे हैं, क्योंकि फंडिंग ना मिल पाने की वजह से उन्हें जरूरत है कॉस्ट कटिंग की. फंड ही नहीं हैं तो सैलरी तक देने के पैसे नहीं हैं, ऐसे में छंटनी की जा रही हैं. यह सब हो रहा है फंडिंग नहीं मिल पाने की वजह से. साल 2021 में खूब फंडिंग मिली और खूब सारे स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, लेकिन पिछले साल मार्च-अप्रैल के महीने से फंडिंग में गिरावट आनी शुरू हुई जो अब तक जारी है. 

स्टार्टअप ईकोसिस्टम (Startup Ecosystem) के लिए यह साल कितना बुरा साबित हुआ है, इसका अंदाजा फंडिंग से जुड़ी ताजा रिपोर्ट से ही लग रहा है. 2023 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर में स्टार्टअप्स को पिछले 5 सालों में सबसे कम फंडिंग मिली है. मार्केट इंटेलिजेंस फर्म Tracxn के अनुसार इस दौरान स्टार्टअप्स को सिर्फ 1.5 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है. अगर पिछले साल की इसी अवधि की बात करें तो उसकी तुलना में साल-दर-साल के आधार पर स्टार्टअप फंडिंग (Startup Funding) में करीब 54 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वहीं पिछली तिमाही की तुलना में फंडिंग में करीब 29 फीसदी की गिरावट आई है. 

Tracxn- India Tech Quarterly Funding Report के अनुसार अगर पिछले साल की इसी तिमाही से तुलना करें तो लास्ट-स्टेज राउंड की फंडिंग में 33 फीसदी की गिरावट देखी गई है. वहीं अर्ली-स्टेज फंडिंग में 74 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा सीड-स्टेज फंडिंग में 75 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है. इस साल की तीसरी तिमाही में सिर्फ 5 फंडिंग राउंड ऐसे हुए हैं, जो 100 मिलियन डॉलर से बड़े रहे हैं. इसमें Perfios, Zepto, Ola Electric, Ather Energy और Zyber 365 जैसी कंपनियां शामिल रही हैं. इनमें सबसे ज्यादा फंडिंग Perfios को सीरीज डी राउंड में 229 मिलियन डॉलर की फंडिंग मिली है. 

यूनिकॉर्न बनने के बावजूद नुकसान उठा रहे स्टार्टअप

साल 2022 में कुल 23 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने. यूनिकॉर्न उस स्टार्टअप को बोलते हैं, जिसका वैल्युएशन 1 अरब डॉलर से अधिक हो जाए. अब अगर इन 23 यूनिकॉर्न में से देखा जाए तो मुनाफे में कितने थे, तो सिर्फ 4 ही स्टार्टअप मुनाफे वाले थे. यानी 19 ऐसे यूनिकॉर्न थे, जिन्हें नुकसान हो रहा था. बिना मुनाफा कमाए ही ये स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन गए यानी 1 अरब डॉलर से भी ज्यादा की वैल्युएशन पर पहुंच गए. आज भी बहुत सारे ऐसे स्टार्टअप हैं, जो नुकसान में हैं. पेटीएम आज तक मुनाफे में नहीं आ पाई है. बायजूज़ का वैल्युएशन तेजी से गिर रहा है, जो देश की सबसे बड़ी एडटेक यूनिकॉर्न कही जाती है. हाल ही में एक स्टार्टअप Zepto यूनिकॉर्न बना है, लेकिन वह भी अभी तक नुकसान झेल रहा है. पिछले साल कंपनी को करीब 390 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था और साल 2022-23 के नतीजे अभी तक कंपनी ने जारी नहीं किए हैं. इसी बीच जोमैटो, स्विगी, मीशो जैसे स्टार्टअप्स ने हाल ही में मुनाफे में एंट्री की है, लेकिन असल तस्वीर तो साल के अंत में आने वाली नतीजों के बाद साफ होगी. 

आखिर स्टार्टअप्स का बिजनेस मॉडल है क्या?

स्टार्टअप ईकोसिस्टम में सबसे बड़ी खराबी है इसका वैल्युएशन तय करने का तरीका. एक स्टार्टअप के पास शुरुआती दौर में सिर्फ एक आइडिया होता है, ना कोई रेवेन्यू होता है ना ही मुनाफा. ऐसे में सिर्फ उस आइडिया के आधार पर ही बिजनेस का वैल्युएशन तय होता है. वैल्युएशन तय करने के लिए कोई तय तरीका नहीं है, बल्कि निवेशक को स्टार्टअप की वैल्यू जितनी लगती है वह उसी हिसाब से पैसे लगा सकता है. मान लीजिए कि आपने कोई स्टार्टअप शुरू किया और किसी निवेशक ने उसमें 1 लाख रुपये में 1 फीसदी इक्विटी खरीद ली तो आपके स्टार्टअप की वैल्यू उसी वक्त 1 करोड़ रुपये हो जाएगी. 

वैल्युएशन सिस्टम में एक बड़ी दिक्कत ये भी है कि बिजनेस के एक छोटे हिस्से से पूरे बिजनेस की वैल्यू बदल जाती है. मान लीजिए कि आपके बिजनेस की वैल्यू 1 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के बाद 1 करोड़ रुपये तय हुई. अब भले ही आप अगले साल भर तक कोई पैसा ना कमाएं या कोई बिजनेस ना बनाएं, लेकिन अगर साल भर बाद किसी निवेशक ने आपके बिजनेस में 1 फीसदी वैल्यू 2 लाख रुपये में खरीद ली तो फिर स्टार्टअप की वैल्यू 2 करोड़ रुपये हो जाएगी. स्टार्टअप का यही वैल्युएशन सिस्टम स्टार्टअप के बिजनेस मॉडल की सबसे बड़ी दिक्कत है. यानी बिजनेस का जो बेसिक गुण होता है मुनाफा कमाने का, स्टार्टअप की दुनिया में उसे ही नजरअंदाज किया जा रहा है.

इसीलिए होते हैं Nikola जैसे Scam !

हाइड्रोजन से चलने वाले निकोला ट्रक का स्कैम https://www.zeebiz.com/hindi/small-business/startup-scam-story-of-electric-truck-nikola-one-know-how-one-person-become-billionaire-just-by-selling-dreams-to-the-whole-world-143986 तो आपको याद ही होगा. वह कंपनी मार्च 2020 के करीब लगभग 30 अरब डॉलर की हो गई थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि उस वक्त तक कंपनी का ना तो कोई रेवेन्यू था ना ही कोई मुनाफा. बल्कि उससे भी बड़ी बात तो ये है कि कंपनी के जिस ट्रक पर सारे निवेशक पैसे डाले जा रहे थे और कंपनी की वैल्युएशन बढ़ाए जा रहे थे, वह भी तैयार नहीं था. साल 2019 में फोर्ड कंपनी ने करीब 55 लाख व्हीकल बेचे थे और 155 अरब डॉलर कमाए थे. उस वक्त कंपनी का वैल्युएशन 28 अरब डॉलर था. यानी निकोला ने बिना एक भी ट्रक बेचे या ये भी कह सकते हैं कि बिना एक भी ट्रक बनाए ही फोर्ड जैसी दिग्गज कंपनी से ज्यादा वैल्युएशन हासिल कर ली थी. और जब पता चला कि निकोला तो ट्रक के नाम पर स्कैम कर रही है तो पूरी दुनिया हैरान रह गई.