Byju's Crisis: केरल के कन्नूर जिले में अझीकोड नाम का एक छोटा सा गांव है. पहले तो इस गांव को बहुत ही कम लोग जानते थे, लेकिन बायजू रवींद्रन (Byju Raveendran) की वजह से यह गांव काफी फेमस हुआ. रवींद्रन ने इसी गांव के एक मलयाली मीडियम स्कूल से पढ़ाई की शुरुआत की थी, जिसमें उनके माता-पिता पढ़ाया करते थे. रवींद्रन पढ़ाई में अच्छे थे, तो सभी को लगता था कि वह काफी आगे जाएंगे. धीरे-धीरे बायजू रवींद्रन तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते भी गए और एक दिन ऐसा आ गया जब उनकी नेट वर्थ 17,545 करोड़ रुपये तक जा पहुंची.

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फॉर्च्यून पत्रिका (Fortune Magazine) ने सितंबर 2020 में ग्लोबल 40-अंडर-40 टेक्नोलॉजी लिस्ट 2020 में बायजू रवींद्रन को भी शामिल किया था. हालांकि, बायजू रवींद्रन को मिली ये शोहरत ज्यादा दिन सलामत नहीं रह सकी और पिछले 1 साल में उनकी नेटवर्थ जीरो हो चुकी है. फोर्ब्स बिलियनेयर इंडेक्स 2024 के मुताबिक, Byju's में नकदी संकट की वजह से बायजू रवींद्रन की नेटवर्थ (Byju Raveendran Net Worth) में बड़ी गिरावट आई है. इसकी वजह से भारत की एडटेक दिग्गज कंपनी बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन की नेटवर्थ 17,545 करोड़ ($2.1 बिलियन) से घटकर अब शून्य (0) पर आ गई है. आइए जानते हैं क्या है बायजू रवींद्रन की कहानी और कैसे वह पहले अर्श पर पहुंचे और फिर औंधे मुंह फर्श पर गिरे.

IIM एंट्रेन्स टेस्ट में 2 बार 100 परसेंटाइल

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद बायजू ने इंजीनियर के तौर पर अपनी नौकरी शुरू की थी. वह यूके की एक शिपिंग कंपनी में इंजीनियर थे. उसी दौरान छुट्टियों में जब वह भारत आए तो उन्होंने अपने कुछ दोस्तों को IIM के एंट्रेन्स एग्जाम की तैयारी करने में मदद करने की. रवींद्रन ने खुद भी IIM का एंट्रेन्स टेस्ट दिया और 100 परसेंटाइल स्कोर किया. उस वक्त बायजू रवींद्रन को लगा कि कोई तुक्का लग गया है, जिसके चलते उनका स्कोर इतना अच्छा आया है. इसके बाद रवींद्रन ने फिर से IIM का एंट्रेन्स टेस्ट दिया और 100 परसेंटाइल स्कोर किया. हालांकि, उन्होंने IIM जॉइन न करते हुए कोचिंग क्लास शुरू करने का फैसला किया. रवींद्रन ने 2005 में नौकरी छोड़कर कोचिंग शुरू कर दी और यहीं से उनके बिजनेस करियर की शुरुआत हुई.

स्टेडियम में एक साथ पढ़ाया 25,000 स्टूडेंट्स को

रवींद्रन ने शुरुआत में छोटे-छोटे ग्रुप में कोचिंग देना शुरू किया. धीरे-धीरे स्टूडेंट्स बढ़ने लगे और इसी के साथ रवींद्रन की कोचिंग का साइज भी बढ़ता गया गया. एक वक्त ऐसा आ गया, जब रवींद्रन को बच्चों को पढ़ाने के लिए ऑडिटोरियम लेना पड़ गया. एक बार तो रवींद्रन ने दिल्ली के इंद्रा गांधी इंडोर स्टेडियम में एक साथ 25 हजार स्टूडेंट्स को पढ़ाया था. 2006 में बायजू के पास 40 स्टूडेंट थे, जो 2011 तक बढ़कर 1000 हो गए.

2011 में शुरू किया स्टार्टअप

बायजू ने शुरुआत तो छोटी कोचिंग क्लास से की थी, लेकिन बाद में उन्हें दूसरे शहरों तक जाकर बच्चों को पढ़ाना पड़ता था. ऐसे में उन्होंने सोचा कि क्यों ना एक ही जगह रहकर देश भर के स्टूडेंट्स तक पहुंचा जाए. इसी मकसद से साथ उन्होंने 2009 में CAT के लिए ऑनलाइन वीडियो बेस्ड लर्निंग प्रोग्राम शुरू किया. इसके बाद उन्होंने 2011 में Think & Learn नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया, जो Byju’s की पैरेंट कंपनी है. साल 2015 में रवींद्रन ने 'Byju’s – द लर्निंग ऐप' लॉन्च किया. 

और देखते ही देखते बायजू रवींद्रन बन गए अरबपति

स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता के बीच Byju’s ऐप गेमचेंजर साबित हुआ. देखते ही देखते महज 7 साल में बायजू रवींद्रन अरबपति बन गए. बता दें कि इस ऐप के जरिए ऑनलाइन एजुकेशन कंटेंट मुहैया कराया जाता है, जिसमें कुछ फ्री हैं तो कुछ पेड है. 2017 में शाहरूख खान को कंपनी ने अपना ब्रांड एंबेसडर बनाया. वर्ष 2019 में कंपनी इंडियन क्रिकेट टीम की जर्सी तक पहुंच गई. यानी उनकी ऑफिशियल स्पॉन्सर बन गई. 

सितंबर 2020 तक इस ऐप के 6.4 करोड़ सब्सक्राइबर हो गए थे. बायजू रवींद्रन ने एक बार कहा था कि वह देश में एजुकेशन के लिए कुछ ऐसा काम करना चाहते हैं, जैसा डिज्नी ने मनोरंजन के लिए किया है. इस ऐप में बच्चों को पढ़ाने के लिए एनिमेटेड वीडियो और गेम होते हैं, जिससे पढ़ाई दिलचस्प हो जाती है. साथ ही यह ऐप की तरह के एंट्रेन्स टेस्ट की तैयारी भी करवाता है. देखते ही देखते Byju’s भारत की सबसे बड़ी एजुकेशन टेक्नोलॉजी कंपनी बन गई.

लोन के चक्कर में डूब गई कंपनी

साल 2021 में Byju's ने पेटीम को पछाड़ा, इसी साल आकाश एजुकेशन सर्विसेस को 7300 करोड़ में ख़रीदा. कंपनी को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने ढेर सारा लोन लिया और यही उनकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई. Byju's ने कभी ऑर्गेनिक ग्रोथ करने की सोची ही नहीं. उसकी ग्रोथ लोन पर टिकी थी और लोन पर ली हुई ग्रोथ ज्यादा दिन तक नहीं टिकती. यही वजह है कि जिस कंपनी ने कोरोना के समय सबसे ज्यादा कमाई की थी, वो आज खत्म होने की कगार पर है. 2019-20 में कंपनी की कमाई 2511 करोड़ रुपये थी, जबकि घाटा सिर्फ 230 करोड़ रुपये का था. लेकिन 2020-21 तक कंपनी की कमाई घटकर 2428 करोड़ रुपये रह गई, जबकि घटा बढ़कर 4,590 करोड़ रुपये हो गया.

बद से बदतर हो चुके हैं हालात

कंपनी का हालत इतनी खराब हो चुकी है कि हाल ही में कंपनी ने सिर्फ बेंगलुरु का ऑफिस छोड़कर अपने सारे ऑफिस खाली कर दिए हैं. वहीं सारे कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा गया है. इतना ही नहीं, कुछ ही दिन पहले कंपनी ने करीब 500 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला है. अगर पिछले कुछ सालों से बात करें तो कंपनी कभी कम कभी ज्यादा करते हुए 10 हजार से भी अधिक कर्मचारियों को निकाल चुकी है. हालत इतनी खराब है कि पिछले कुछ महीनों से हर महीने कंपनी अपने कर्मचारियों को ई-मेल कर के कह रही है कि उनकी सैलरी देने में देरी होगी. कंपनी ने राइट्स इश्यू से जरिए करीब 200 मिलियन डॉलर जुटाए थे, ताकि बदतर हो रहे हालातों को सुधारा जा सके, लेकिन कुछ निवेशकों ने उस फंड को इस्तेमाल करने से रोक दिया है. बायजू रवींद्रन को भी कंपनी से निकालने की तैयारी चल रही है. उन पर और उनके परिवार पर धोखाधड़ी का भी आरोप लगाया गया है.