इस कंपनी के सभी बोर्ड मेंबर्स ने एक ही दिन दे दिया इस्तीफा, अब सिर्फ सीईओ रह गईं अकेली, जानिए क्या रही वजह
जरा सोच कर देखिए, आप किसी कंपनी में काम करते हैं और अचानक उसके सारे बोर्ड मेंबर एक साथ इस्तीफा दे दें और सीईओ अकेला रह जाए तो कैसा लगेगा. भले ही आपको यह नामुमकिन लगे या आप इसे इमेजिन ना कर पा रहे हों, लेकिन यह वाकया हकीकत बन चुका है.
जरा सोच कर देखिए, आप किसी कंपनी में काम करते हैं और अचानक उसके सारे बोर्ड मेंबर एक साथ इस्तीफा दे दें और सीईओ अकेला रह जाए तो कैसा लगेगा. भले ही आपको यह नामुमकिन लगे या आप इसे इमेजिन ना कर पा रहे हों, लेकिन यह वाकया हकीकत बन चुका है. सैनफ्रैंसिस्को की डीएनए टेस्टिंग कंपनी 23andMe में कुछ ऐसा ही हुआ है. करीब महीने भर पहले कंपनी के सभी बोर्ड मेंबर्स ने एक साथ इस्तीफा दे दिया और सीईओ अकेली रह गई हैं.
वैसे तो यह मामला 17 सितंबर का है, लेकिन अचानक से सोशल मीडिया पर यह फिर वायरल होने लगा है. इसकी वजह हैं कंपनी की सीईओ Anne Wojcicki. अब लोग सोशल मीडिया पर कह रहे हैं कि 23andMe, YouTube और Google के सीईओ आपस में जुड़े हुए हैं. Anne Wojcicki 2007 से 2015 तक गूगल के को-फाउंडर सर्जी ब्रिन की पत्नी थीं, जिनका अब तलाक हो चुका है. वहीं यह भी कहा जा रहा है Anne Wojcicki की एक बहन हैं Susan Wojcicki, जो यूट्यूब की पूर्व सीईओ रह चुकी हैं. इसे ही लेकर सोशल मीडिया एक बार फिर करीब महीने भर पुरानी घटना को याद कर रहा है.
सारे बोर्ड मेंबर्स ने क्यों दिया इस्तीफा?
Anne Wojcicki ने इस स्टार्टअप की शुरुआत 2006 में Linda Avey औक Paul Cusenza के साथ की थी. Paul Cusenza ने 2008 में कंपनी का साथ छोड़ दिया. Linda Avey को भी कंपनी से ये कहते हुए बाहर कर दिया गया कि वह अल्जाइमर पर रिसर्च करने जा रहे हैं. इसके बाद वह कंपनी में अकेली रह गईं. फॉर्च्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2009 में 23andMe स्टार्टअप अपनी बुलंदी पर था. हालांकि, कंपनी में कुछ तो था, जो सही नहीं था.
15 साल बाद एक बार फिर से वही कहानी दोहरा रही है. 2021 तक तो कंपनी का वैल्युएशन 6 अरब डॉलर तक पहुंच गया था. अभी कंपनी का वैल्युएशन गिरते-गिरते 150 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. कंपनी की खराब हालत के लिए कंपनी की सीईओ Anne Wojcicki को जिम्मेदार बताया जा रहा है. उनके पास कंपनी की करीब 49.75 फीसदी हिस्सेदारी है और आरोप लग रहे हैं कि वह हर फैसला अपने मन से ले रही थीं. कई मामलों में तो बोर्ड मेंबर्स ने उनका विरोध भी किया, लेकिन वह नहीं मानीं. नतीजा ये हुआ कि तमाम बोर्ड मेंबर्स ने कंपनी का साथ छोड़ दिया.