Yearender Real Estate 2022: रीयल एस्‍टेट सेक्‍टर के लिए साल 2022 एक अच्‍छा बूस्‍ट देने वाला रहा है. हाउसिंग और कॉमर्शियल दोनों ही सेगमेंट में प्राइस और सेल्‍स वॉल्‍यूम के लिहाज से अच्‍छी ग्रोथ देखने को मिली. देश के बड़े 8 शहरों में मुंबई, दिल्‍ली-एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्‍नई, पुणे, अहमदाबाद और कोलकाता में बिक्री कई सालों के टॉप पर पहुंच गई. बीते साल रीयल एस्‍टेट को लेकर सबसे अहम बात यह सामने आई कि टॉप शहरों में 1 करोड़ से ज्‍यादा की कीमत वाले घरों की डिमांड बढ़ी और उनकी बिक्री में हिस्‍सेदारी भी बढ़ी है. वहीं, सितंबर तक के डाटा के मुताबिक 2.3 लाख से ज्‍यादा रेजिडेंशियल यूनिट्स लॉन्‍च हुई. वहीं सभी सेगमेंट में करीब 5 अरब डॉलर का निवेश देखने को मिला.

2022: रीयल एस्‍टेट के लिए कैसा रहा 

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प्रॉपर्टी रिसर्च फर्म नाइट फ्रेंक के डायरेक्‍टर रिसर्च विवेक राठी का कहना है, 2020 में जिस तरह का डिस्‍ट्रेस  रीयल्‍टी मार्केट में था, उससे बाजार में काफी रिकवरी है. 2021 की रिकवरी के बाद 2022 में सेक्‍टर नए लेवल की ओर बढ़ा है. बीते साल हाउसिंग और कॉमर्शियल दोनों ही सेगमेंट से डिमांड रही. मिड और हायर टिकट साइज सेगमेंट में ज्‍यादा डिमांड रही. हाइब्रिड वर्क कल्‍चर के चलते सबअर्बन और छोटे शहरों में भी होमबायर की ओर से खरीदारी बढ़ी. वहीं, ऑफिस सेगमेंट में लीज एग्रीमेंट्स में फ्लैक्सिबिलिटी से को-वर्किंग सेगमेंट को फायदा हुआ. इंडस्ट्रियल और वेयरहासिंग के बारे में बात की जाए, तो चाइन प्‍लस वन स्‍ट्रैटजी के चलते स्‍पेस को लेकर डिमांड मोमेंटम बढ़ा. वेयरहाउसिंग सेगमेंट सरकार की प्रोडक्‍शन लिंक्‍स स्‍कीम (PLI) स्‍कीम का फायदा देखने को मिला. 

एस रहेजा रीयल्‍टी के मैनेजिंग डायरेक्‍टर राम रहेजा का कहना है कि बीते साल भी भारत का लग्‍जरी रीयल एस्‍टेट सेगमेंट सेक्‍टर को बूस्‍ट देने वाला रहा. 2023 में भी ग्रोथ बनी रहने की उम्‍मीद है. इंडियन लग्‍जरी रीयल एस्‍टेट बड़ा हो रहा है और इसने इंटरनेशलन मार्केट के साथ अंतर को कम किया है. NRIs हाई-एंड अपार्टमेंट्स, विला और बंगलों में पैसा लगा रहे हैं.

रेजिडेंशियल, कॉमर्शियल डिमांड कैसी रही 

नाइट फ्रेंक के विवेक राठी कहते हैं, 2022 में होम ओनरशिप को लेकर सेंटीमेंट काफी बढ़ा है. इसके चलते पूरे साल डिमांड मजबूत रही. 8 बड़े शहरों में प्रॉपर्टी सेल्‍स कई सालों के टॉप पर पहुंच गई. दूसरी ओर, महामारी के बाद ऑफिस खुलने लगे. जिसमें वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड मोड बना हुआ है. बहुत कम जगह ही अब पूरी तरह से वर्क फ्रॉम होम सिस्‍टम है. बेहतर कार्य अनुभव, कॉर्पोरेट ब्रांड पहचान और प्रोडक्टिविटी में मजबूती के लिए कोविड के बाद ऑफिस में वापसी शुरू हुई. इससे कॉमर्शियल ऑफिस मार्केट पिछले 2 साल की तुलना में हायर ट्रांजेक्‍शन वॉल्‍यूम देखने को मिलेगा.  

विवेक राठी का कहना है, देश के टॉप 8 शहरों मुंबई, एनसीआर, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्‍नई, पुणे, अहमदाबाद और कोलकाता में डिमांड काफी मजबूत रही. कई शहरों में इस साल सेल्‍स रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने का अनुमान है.

किस टिकट साइज के घरों की डिमांड बढ़ी 

विवेक राठी का कहना है, बीते साल अगर रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में टिकट साइज की बात करें, तो मिड और हायर टिकट साइज सेगमेंट में डिमांड अन्‍य दूसरे सेगमेंट के मुकाबले ज्‍यादा रही है. एक ट्रेंड यह भी देखने को मिला कि दिल्‍ली, मुंबई समेत सभी 8 टॉप शहरों में 1 करोड़ से उपर के मकानों की बिक्री की हिस्‍सेदारी कुल मकानों की बिक्री में बढ़ी है. टिकट साइज का बेस बढ़ने की एक बड़ी वजह यह भी है कि कंज्‍यूमर अब बेहतर प्रोजेक्‍ट्स को पसंद कर रहे हैं, जिनमें ज्‍यादा स्‍पेस हो साथ ही साथ सुविधाएं भी ज्‍यादा से ज्‍यादा मिले. इसका फायदा लग्‍जरी सेगमेंट को भी हुआ है. इसमें घरेलू और NRI खरीदारों की तरफ से अच्‍छी खासी डिमांड देखने को मिली.

कितने प्रोजेक्‍ट हुए लॉन्‍च, क्‍या रहा चैलेंज 

नाइट फ्रेंक के विवेक राठी बताते हैं, 2022 में सितंबर तक के डाटा के मुताबिक 230,493 हाउसिंग यूनिट्स लॉन्‍च हुई. प्राइवेट इक्विटी इन्‍वेस्‍टमेंट की बात करें, तो देश के रेजिडेंशियल, ऑफिस, रिटेल और वेयरहाउसिंग एसेट्स में करीब 5 अरब डॉलर का निवेश आया है. 

उनका कहना है कि रीयल एस्‍टेट सेक्‍टर को पूरे साल कई तरह की चुनौतियों से भी जूझना पड़ा. इसमें महंगाई के दबाव के चलते सेक्‍टर के सामने दो मोर्चों पर दिक्‍कतें पैदा की. सेक्‍टर को ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी के साथ-साथ कंस्‍ट्रक्‍शन लागत में इजाफा भी झेलना पड़ रहा है. इस साल होम लोन की ब्‍याज दरें बढ़ने से अकेले किसी घर खरीदारी के लिए हाउस पर्चेज अफोर्डेबिलिटी 12.5 फीसदी कम हुई. इसी तरह, कंस्‍ट्रक्‍शन लागत बढ़ने से डेवलपर्स के लिए मार्जिन दबाव बढ़ने के साथ-साथ इंजीनियरिंग कॉन्‍ट्रैक्‍ट्स देने में भी अनिश्चितता बढ़ी. 

अजमेरा रीयल्‍टी एंड इंफ्रा इंडिया के डायरेक्‍टर धवल अजमेरा का कहना है कि ब्‍याज दरें बढ़ने का दबाव है, लेकिन डिमांड में कमी नहीं है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि लोगों को लग रहा है कि महंगाई अस्‍थायी है. ब्‍याज दरें जब तक 9 फीसदी के पार नहीं जाती, तब तक डिमांड बनी रहेगी. 

 

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