देश में इस समय रियल्टी सेक्टर का सबसे अच्छा समय चल रहा है. घरों की जमकर बिक्री हो रही है, बिल्डर एक के बाद एक नए लॉन्च कर रहे हैं. टीवी, रेडियो, वेब, प्रिंट समेत प्रचार के तमाम माध्यम रियल्टी सेक्टर के विज्ञापनों से पटे पड़े हैं. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी की इनमें से ज्यादातर विज्ञापन या तो भ्रामक है या नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए अनाप शनाप दावे कर रहे हैं. नियमों का उल्लंघन या गुमराह कर रहे कुल विज्ञापनों में सबसे अधिक 34 फीसदी रियल एस्टेट सेक्टर से हैं. 

2115 विज्ञापनों में से 1027 को किया गया शॉर्टलिस्ट

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महारेरा अधिनियम के तहत नियामक आवश्यकताओं के संभावित उल्लंघन के लिए 2,115 विज्ञापनों में से 1027 विज्ञापनों को शॉर्टलिस्ट किया गया था. रजिस्ट्रेशन नंबर, QR कोड और अन्य आवश्यक जानकारी सहित कई अनिवार्य डिसक्लोजर मानकों के अनुपालन के लिए इनकी समीक्षा की गई. शॉर्टलिस्ट किए गए 99% विज्ञापन महारेरा अधिनियम का उल्लंघन करते पाए गए. इनमें 59% मामलों में या तो तुरंत अनुपालन हुआ, या विज्ञापन वापस ले लिया गया. जिन्होंने उल्लंघन जारी रखा ऐसे विज्ञापन देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, महारेरा ने 628 रियल एस्टेट डेवलपर्स को दंडित किया.

किन दूसरे सेक्टर्स में विज्ञापन उल्लंघन?

विज्ञापनों मानदंडों का उल्लंघन करने वालों में 29 फीसदी के साथ इलीगल बेटिंग दूसरे नंबर पर है. इलीगल बेटिंग को लेकर 890 शिकायतें दर्ज हुई हैं. हेल्थ केयर में 8 फीसदी यानि 156 मामले ड्रग्स और मैजिक रेमेडीज एक्ट के उल्लंघन के आरोप में दर्ज की गई हैं. पर्सनल केयर में 7% फूड एंड बेवरेज में 6% होम केयर और एजूकेशन में 3-3% के साथ ही फैशन और लाइफ स्टाइल में सबसे कम 1% विज्ञापन उल्लंघन को लेकर मामले दर्ज हुए हैं.

कहां से आईं शिकायतें?

ASCI को मिली सभी शिकायतें कई तरह के स्रोतों से आई हैं. इनमें सबसे अधिक करीब 70 फीसदी शिकायतों पर ASCI ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की है। 26.9% शिकायतें आम लोगों द्वारा दर्ज कराई गई हैं। 1.9% फीसदी शिकायतें अंतर उद्योगों द्वारा दाखिल की गई हैं। सरकार द्वारा 0.5% और 0.7% शिकायतें ग्राहक संस्थाओं द्वारा दर्ज कराई गई हैं जिनपर ASCI ने कार्रवाई की है.   

कहां सबसे अधिक भ्रामक विज्ञापन? 

भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. 5G युग में सूचनाओं का आदान प्रदान रियल टाइम में हो रहा है लिहाजा विज्ञापन दाता भी समझते हैं कि लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का सबसे सटीक जरिया वेब है. लिहाजा नियमों का उल्लंघन करने वाले या भ्रामकता फैलाने के मामले में सबसे अधिक 93% हिस्सा डिजीटल का है. प्रिंट और टीवी का हिस्सा 3-3 फीसदी है तो वहीं 1 फीसदी अन्य साधन के जरिए इस तरह के विज्ञापन देखने को मिले हैं.

 

ASCI ने जारी की थी रिपोर्ट

दरअसल देश की सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया यानि ASCI ने वित्तवर्ष 2024-25 की पहली छमाही में विज्ञापनों में मिली शिकायतों उनपर कार्रवाई के आधार पर एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल-सितम्बर के दौरान विज्ञापनों पर मिली 4016 शिकायतों में 3031 शिकायतों की  जांच की गई. इसमें 98 फीसदी शिकायतों में संशोधन की जरूरत थी. 53 फीसदी शिकायतों पर कोई आपत्ति नहीं की गई उन्हें तुरंत या तो वापस ले लिया गया या संशोधित कर दिया गया.