जयपुर, इंदौर और कोच्चि जैसे टियर 2 और 3 शहरों की हिस्सेदारी नए घरों के डेवलपमेंट में बढ़कर 2025 तक 40 फीसदी से अधिक हो जाएगी. यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई. JLL इंडिया की रिपोर्ट में बताया गया कि टियर 2 और 3 शहरों में तेज वृद्धि के कारण रियल एस्टेट सेक्टर का जीडीपी में योगदान बढ़कर 13 फीसदी होने का अनुमान है.

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रिपोर्ट के अनुसार, शहरी गृह स्वामित्व दर (Urban Homeownership Rates) 2025 तक 72 फीसदी तक बढ़ जाएगी, जो 2020 में 65 फीसदी थी. इसकी वजह किफायती फाइनेंस विकल्पों का उपलब्ध होना और युवाओं द्वारा नए घर खरीदना है. अनुमान के मुताबिक, 2030 तक नया घर खरीदने वालों में मिलेनियल्स और जेन जेड की हिस्सेदारी 60 फीसदी होगी.

जेएलएल इंडिया में सीनियर डायरेक्टर और रेजिडेंशियल सर्विसेज और डेवलपर इनिशिएटिव (उत्तर और पश्चिम) के प्रमुख, रितेश मेहता ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी, जिसे पहले एक लग्जरी समझा जाता था. आज एक जरूरत बन गई है. हमें उम्मीद है कि 2025 में ग्रीन सर्टिफाइड बिल्डिंग की हिस्सेदारी नए रेजिडेंशियल प्रोजेक्ट्स में 30 फीसदी होंगी. यह आंकड़ा 2020 में 15 फीसदी था. एलईईडी (लीडरशीप इन एनर्जी एंड एनवायरमेंट डिजाइन) जैसे ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेशन अधिक आम होते जा रहे हैं क्योंकि रियल एस्टेट उद्योग सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दे रहा है. स्मार्ट और टेक्नोलॉजी इंटीग्रेटेड घरों की मांग में तेजी बनी हुई है.

रिपोर्ट के अनुसार कि भारत में बजट फ्रेंडली हाउसिंग पर भी ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. सरकारी नीतियों से भी इसे समर्थन मिल रहा है. इसके कारण पहली बार घर खरीदने वाले लोगों को राहत मिल रही है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 महामारी के बाद रियल एस्टेट बाजार में लग्जरी की परिभाषा बदल गई है.अब विशाल लेआउट, निजी बाहरी क्षेत्र और स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती को ध्यान में रखते हुए वेलनेस सुविधाओं पर अधिक जोर दिया जा रहा है.