रियल एस्टेट बाजार जोरदार तेजी को तैयार, अगले 23 साल में 83 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है मार्केट: रिपोर्ट
रियल एस्टेट क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई और रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया ने सोमवार को यहां 'क्रेडाई नैटकॉन' सम्मेलन में एक संयुक्त रिपोर्ट ‘इंडियन रियल एस्टेट: द क्वांटम लीप’ जारी की.
भारतीय रियल एस्टेट बाजार का आकार 2047 तक कई गुना होकर 5000 से 7000 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. बढ़ती इकोनॉमिक ग्रोथ और तेजी से अर्बनाइजेशन से यह 10,000 अरब डॉलर (करीब 83 लाख करोड़ रुपये) तक भी पहुंच सकता है. एक रिपोर्ट में यह बात कही गई. रियल एस्टेट क्षेत्र की शीर्ष संस्था क्रेडाई और रियल एस्टेट सलाहकार कोलियर्स इंडिया ने सोमवार को यहां 'क्रेडाई नैटकॉन' सम्मेलन में एक संयुक्त रिपोर्ट ‘इंडियन रियल एस्टेट: द क्वांटम लीप’ जारी की.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2047 तक भारतीय रियल एस्टेट का बाजार साइज कमजोर आउटलुक में 3000 से 5000 अरब डॉलर, रिजनेबल आउटलुक में 5000 से 7000 अरब डॉलर और बुलिश आउटलुक में 7000 से 10000 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. भारत के कुल जीडीपी में रियल एस्टेट क्षेत्र की हिस्सेदारी 14-20 फीसदी होने का भी अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ हम ऑफिस और रेजिडेंशियल एसेट जैसी प्रमुख एसेट्स की परिपक्वता, डेटा सेंटर और सीनियर सिटीजन के आवास जैसी ऑप्शनल एसेट्स में मजबूत ग्रोथ की उम्मीद है.’’ इसके अलावा, रियल एस्टेट ग्रोथ बड़े शहरों की सीमाओं से आगे बढ़कर कई छोटे शहरों तक पहुंचेगी.
क्रेडाई के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोमन ईरानी ने कहा, ‘‘ तेजी से बढ़ते शहरीकरण, बढ़ती औसत आयु व टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट जैसे डायनेमिक फैक्टर के परस्पर प्रभाव के साथ, हम एक बड़े बदलाव की कगार पर हैं... और ग्रोथ व डायवर्सिफिकेशन के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि अनुमान है कि 2047 तक भारत की 50 फीसदी आबादी शहरी केंद्रों में निवास करेगी, जिससे आवासीय, कार्यालय तथा खुदरा स्थानों में जबरदस्त डिमांड पैदा होगी.
कोलियर्स इंडिया के सीईओ बादल याग्निक ने कहा, ‘‘ चूंकि भारत ज्यादातर इकोनॉमिक जोन्स में विस्तार के दौर में प्रवेश कर रहा है, इसलिए रियल एस्टेट एक ‘क्वांटम लीप’ (बड़ी छलांग) के लिए तैयार है, जिसमें ग्रोथ के अनेक अवसर उत्पन्न होंगे.’’ रिपोर्ट में कहा गया, रियल एस्टेट में यह लॉन्ग टर्म ग्रोथ छह प्रमुख ग्रोथ फैक्टर्स, तेज अर्बनाइजेशन, बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटलीकरण, जनसांख्यिकीय बदलाव, स्थिरता और निवेश डायवर्सिफिकेशन पर आधारित है.