देश में 2030 तक 3.12 करोड़ किफायती आवासों की कमी होगी और इसका संभावित बाजार आकार 67 लाख करोड़ रुपए का होने का अनुमान है. उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और रियल एस्टेट सलाहकार नाइट फ्रैंक इंडिया ने बुधवार को यहां सम्मेलन में ‘भारत में किफायती आवास’ शीर्षक की एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की. इसमें कहा गया कि देश में पहले से ही 1.01 करोड़ इकाइयों की कमी है.

अफोर्डेबल हाउसिंग की बड़ी कमी होगी

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नाइट फ्रैंक इंडिया के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान, परामर्श, अवसंरचना एवं मूल्यांकन) गुलाम जिया ने कार्यक्रम में कहा कि भारत में किफायती आवास की कमी है, जो रियल एस्टेट डेवलपर के लिए एक बड़ा व्यावसायिक अवसर प्रस्तुत करता है. उन्होंने कहा, ‘‘ भारत में 2030 तक 3.12 करोड़ किफायती आवास की कमी होने का अनुमान है. बाजार का आकार 67000 अरब रुपए होने का अनुमान है.’’

45 लाख करोड़ के फाइनेंस की अपॉर्च्युनिटी

किफायती आवास क्षेत्र भी वित्तीय संस्थाओं के लिए अनेक अवसर प्रदान कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘ 77 फीसदी ऋण निर्भरता तथा विभिन्न ऋण सीमाओं पर लागू ऋण-से-मूल्य अनुपात के आधार पर किफायती आवास खंड में बैंकों और आवास वित्त कंपनियों के लिए संभावित वित्तपोषण के अवसर 45000 अरब रुपए तक पहुंचने का अनुमान है.’’ इसमें कहा गया कि यह पर्याप्त वृद्धि दर्शाता है, जो इस खंड में मौजूदा ऋण मात्रा से तीन गुना है.