Supreme Court: नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्रों में रियल एस्टेट कंपनियों को झटका देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 10 जून, 2020 के अपने उस आदेश को वापस ले लिया है, जिसमें अलग-अलग बिल्डरों को पट्टे पर दी गई जमीन के लिए बकाया राशि पर ब्याज की दर 8% थी.  चीफ जस्टिस यू.यू ललित और अजय रस्तोगी ने इस नोएडा और ग्रेटर नोएडा के आवेदन को इस आधार पर वापस लेने की अनुमति दी कि दोनों ही अथॉरिटीज को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, और काम-काज लगभग थप हो गया है. आवेदन पर जारी आदेश को टॉप कोर्ट द्वारा अपलोड किया जाना बाकी है. उच्च अदालत ने पिछले साल जिस आवेदन पर सुनवाई की थी, सीनियर एडवोकेट कुमार ने कहा कि अगर जून, 2020 के आदेश को वापस नहीं लिया जाता तो दोनों ही अधिकारीयों को 7,500 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान उठाना पड़ सकता है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा दोनों ने आरोप लगाया था कि कई बिल्डरों ने अदालत से तथ्यों को दबा दिया है, जिसके कारण 10 जून, 2020 को नोएडा और ग्रेटर नोएडा क्षेत्रों में रियल एस्टेट कंपनियों के पक्ष में आदेश पारित किया गया.

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कुमार ने अदालत को बताया कि अदालत ने 10 जून, 2020 के अपने आदेश से प्राधिकरण द्वारा वर्ष 2010 से उसके द्वारा बिल्डरों के साथ किए गए अनुबंधों के तहत और जिसके तहत राज्य से संबंधित भूमि के बड़े हिस्से पर ब्याज वसूला जाता है, कम कर दिया है. कुमार ने कहा कि हालांकि नोएडा अथॉरिटी ने ऑर्डर पारित करने से पहले इस मामले पर बहस की थी, लेकिन एक बिल्डर (ऐस ग्रुप) जिसकी याचिका पर आदेश पारित किया गया था, उसने निचले रैंक के अधिकारियों के साथ मिलीभगत की थी और प्राधिकरण को कोई नोटिस नहीं था, जिसके बाद याचिका पर कोई उचित प्रतिक्रिया दर्ज नहीं की गई थी.