घरों की कीमतें बढ़ने और कर्ज महंगा होने से पिछले दो साल में देश के सात प्रमुख शहरों में लोगों की घर खरीदने की सामर्थ्य प्रभावित हुई है लेकिन अगले साल रेपो रेट (Repo Rate) कम होने पर हालात सुधर सकते हैं. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी कंपनी जेएलएल इंडिया (JLL India) ने एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया है. इसमें उम्मीद जताई गई है कि नीतिगत रेपो रेट में अगले साल कटौती होने से घर खरीद सामर्थ्य बढ़ेगी. इससे घरों की बिक्री को और बढ़ावा मिलेगा.

ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद दो वर्षों में घरों की बिक्री बढ़ी

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हालांकि रेजिडेंशियल एसेट्स की कीमतों में बढ़ोतरी और होम लोन (Home Loan) पर ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद बीते दो वर्षों में घरों की बिक्री बढ़ी है. कंसल्टेंसी फर्म ने अपना ‘घर खरीद सामर्थ्य सूचकांक’ (HPAI) जारी किया. इस इंडेक्स से पता चलता है कि औसत वार्षिक आय (समग्र शहर स्तर पर) कमाने वाला एक परिवार मौजूदा बाजार मूल्य पर शहर में संपत्ति पर होम लोन के लिए पात्र है या नहीं.

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रेपो रेट में बढ़ोतरी से घर खरीदने की अफोर्डेबिलिटी घटी

रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक मंदी और मुद्रास्फीति के रुझानों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के साल 2022 में रेपो दर बढ़ाने और मजबूत मांग से कीमतों में बढ़ोतरी होने से घर खरीदने की सामर्थ्य घटी. पिछले साल की तुलना में वर्ष 2023 में सामर्थ्य स्तर के कुछ और बिगड़ने या यथावत रहने की आशंका है.

कंसल्टेंसी फर्म ने कहा कि मजबूत कीमत बढ़ोतरी का मुकाबला रेपो रेट में स्थिरता, मुद्रास्फीति में गिरावट और घरेलू आय में अपेक्षाकृत उच्च वृद्धि से किया गया है. इसके साथ ही जेएलएल (JLL) ने अगले साल रेपो रेट (Repo Rate) में 0.6 से 0.8% तक की गिरावट का अनुमान जताया है. ऐसा होने पर घर खरीदने की सामर्थ्य में सुधार हो सकता है.

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