बिल्ली को बनाया स्टेशन मास्टर! गजब का है ये रेलवे स्टेशन, जहां 'ग्रेजुएट' बिल्लियों के इशारों पर होता है सारा काम
एक ऐसा अनोखा रेलवे स्टेशन है, जहां एक बिल्ली को स्टेशन मास्टर बनाया गया है और दुनिया भर से लोग इसे देखने आते हैं. यहां स्टेशन मास्टर बनने के लिए बिल्लियों को बकायदा ट्रेनिंग स्कूल से ग्रेजुएट होना होता है.
सोचिए क्या हो अगर एक रेलवे स्टेशन पर इंसानों के बजाए बिल्लियों का राज चलता हो. बिल्ली ही स्टेशन मास्टर हो और बिल्लियां ही स्टेशन पर असिस्टेंट के तौर पर काम करती हों. ये किसी फिल्म की कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है. जापान में एक रेलवे स्टेशन ऐसा ही है, जहां एक बिल्ली स्टेशन मास्टर के तौर पर काम करती है. जापान के किंकी क्षेत्र में वाकायामा प्रीफेक्चर में वाकायामा शहर और किनोकावा शहर को जोड़ने वाले किशी रेलवे स्टेशन (Kishi Station) पर 2007 से तामा नाम की बिल्ली पूरे स्टेशन की जिम्मेदारी लेकर चलती है, वो भी अपने बिल्ली अस्सिटेंट के साथ.
दरअसल ऐतिहासिक किशिगावा लाइन 1916 में खुली थी, लेकिन वक्त के साथ इस रूट पर सैलानियों की संख्या में गिरावट आ गई और 2004 में रेलवे द्वारा इस रेल लाइन को बंद करने का फैसला लिया गया. लेकिन लोकल लोगों ने इस लाइन को जारी रखने को कहा, जिसके बाद सरकार ने एक कंपनी को इस लाइन को अधिग्रहण करने के लिए कहा. जिसके बाद ओकायामा प्रीफेक्चर में रयोबी ग्रुप (Ryobi Group) के ओकायामा इलेक्ट्रिक ट्रामवे कं, लिमिटेड ने नई वाकायामा इलेक्ट्रिक रेलवे कंपनी लिमिटेड की स्थापना की और 2006 से किशिगावा लाइन का संचालन संभाला.
इस बीच जब नई कंपनी लाइन के लिए ऑपरेटिंग स्ट्रक्चर को बना रही थी, स्थानीय लोगों ने कहा कि स्टेशन के पास जो बिल्लियां स्टोर में रहती हैं, उन्हें वहीं रहने दिया जाए. स्टोर के मालिक ने इसके लिए वाकायामा इलेक्ट्रिक रेलवे के अध्यक्ष कोजिमा मित्सुनोबु (Kojima Mitsunobu) से कहा कि वे इसके लिए कोई रास्ता निकालें.
तामा को बनाया गया स्टेशन मास्टर
रयोबी ग्रुप के PRO ने बताया कि जब मित्सुनोबु बिल्लियों से मिले, तो उन्हें महसूस किया तामा (Tama) नाम की एक मादा कैलिको बिल्ली (Calico Cat) की आंखों में उन्हें वहां रहने की तीव्र इच्छा दिखी और इसलिए उन्होंने तामा को किशी स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के रूप में रख लिया. मजेदार बात है कि तामा को सहायक के रूप में दो बिल्लियां और दी गईं.
किसी बिल्ली को स्टेशनमास्टर बनाने की ये घटना पूरे जापान में फैल गई और दूर-दूर से लोग किशी स्टेशन पर आने लगे. अपने छोटे से स्टेशनमास्टर की टोपी और प्यारी सी चाल से तामा लोगों को खूब पसंद आई.
अपनी शिफ्ट में करती हैं काम
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि तामा और उसके सहायक अपनी शिफ्ट को लेकर बहुत रेगुलर है. सर्दियों में वे सोमवार से लेकर शनिवार तक सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4.30 बजे तक काम करती हैं और गर्मियों में सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक.
तामा के लिए बनाया गया ऑफिस
तामा अपने पसंदीदा टिकट गेट पर बैठकर पैसेंजर्स का अभिवादन करती थी. एक साल के अंदर ही उसके चर्चे इतने फैल गए कि पहले से कहीं ज्यादा लोग बस इसे देखने के लिए आने लगे. जिसके बाद 2010 में स्टेशन की रीमॉडलिंग की गई और नए बिल्डिंग को बिल्ली के आकार में बनाया गया. इसमें तामा के लिए एक स्टेशन मास्टर का ऑफिस भी था.
मिल चुकी है कई उपाधि
तामा को जिस तरह से पैसेंजर्स ने पसंद करना शुरू किया, इसे देखते हुए उसका कई बार प्रमोशन भी हुआ. 2008 में लोकर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उसे वाकायामा प्रीफेक्चुरल गवर्नर द्वारा उन्हें पहला Wakayama de Knight का खिताब दिया गया. इसके बाद 2011 में उसे वाकायामा प्रीफेक्चर टूरिज्म मैस्कॉट Daimyojin (महान देवता) की उपाधि से भी नवाजा गया. 2013 में, तामा को इलेक्ट्रिक रेलवे का एक्टिंग प्रेसिडेंट बनाया गया और 2013 में अल्ट्रा स्टेशन मास्टर. 2015 में तामा का निधन हो गया और उसे मरणोपरांत Honorary Eternal Stationmaster की उपाधि दी गई.
तामा के बाद किसे मिली स्टेशन की जिम्मेदारी
तामा के जाने के बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में एक कैलिको बिल्ली को स्टेशन मास्टर बनाया गया, जिसका नाम तामा II या नितामा (मतलब तामा सेकेंड) है. इस बिल्ली ने बिल्लियों के स्टेशनमास्टर ट्रेनिंग स्कूल से ग्रेजुएशन भी किया है. ओकायामा इलेक्ट्रिक ट्रामवे में बिल्लियों का एक ट्रेनिंग स्कूल भी है, जहां बिल्लियों को पैसेंजर्स के साथ रहना सिखाया जाता है. इसमें उनके लोगों के साथ समय बिताने और टोपी पहनने की क्षमता को चेक किया जाता है. जिसके बाद योग्य बिल्लियों को स्टेशन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
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