नीति आयोग (NITI AYOG) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने शुक्रवार को कहा कि रेल परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण की योजना निवेशकों को विशेष रूप से आकर्षित नहीं कर पाई लिहाजा इस पर नए सिरे से गौर किया जा रहा है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, कांत ने कॉम्पिटिशन कानून पर आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि रेल परिसंपत्तियों को लेकर निजी क्षेत्र तभी आकर्षित होगा जब उसे तयशुदा रिटर्न मिले. लिहाजा किसी भी परिसंपत्ति मौद्रीकरण सौदे की सफलता के लिए परियोजना की अच्छी संरचना अहम है.

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निजी क्षेत्र को ट्रेन संचालन पर क्या कहा

खबर के मुताबिक, अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने कहा कि साफ है कि निजी क्षेत्र को ट्रेन संचालन की परमिशन देने वाली परियोजना का खाका ठीक से नहीं बनाया गया था और इसने निजी क्षेत्र के बढ़िया प्रतिभागियों को आकर्षित नहीं किया. इसके अलावा आईआरसीटीसी (IRCTC) भी इन ट्रेन के लिए बोली लगा रहा था. नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि पुरानी योजनाओं की बनावट में खासी गड़बड़ी थी. इस वजह से ट्रेन और रेलवे स्टेशन दोनों के ही मौद्रीकरण पर अब नए सिरे से गौर किया जा रहा है. 

समीक्षा के बाद कोई फैसला

रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) इसकी समीक्षा करने के बाद अगले कदम के बारे में कोई फैसला करेगा. कांत ने कहा कि इस समीक्षा प्रक्रिया में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी शामिल हैं. उन्होंने छह लाख करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्ति मौद्रीकरण योजना (Rail Asset Monetization Scheme) के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस पाइपलाइन में शामिल सभी परिसंपत्तियों में राजस्व जुटाने की अच्छी संभावनाएं हैं.

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आंका गया था मूल्य

बीते साल नीति आयोग के विश्लेषण में वित्तीय वर्ष 2021-22 से 2024-25 तक रेलवे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए मौद्रीकरण मूल्य 76,250 करोड़ रुपये आंका गया, जबकि यात्री ट्रेन संचालन के लिए मूल्य 21,642 करोड़ रुपये आंका गया था. यह ध्यान देने वाली बात रही कि परिसंपत्ति मौद्रीकरण की तरफ कदम धीरे-धीरे बढ़ाए गए.