ग्रीस में भयानक रेल हादसा, आमने-सामने से टकराईं दो ट्रेनें, जानिए भारत में रेल यात्रा के दौरान कितने सुरक्षित हैं आप
बुधवार, 1 मार्च को ग्रीस में हुए रेल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है. ग्रीस के प्रधानमंत्री Kyriakos Mitsotakis ने इस हादसे को एक 'दुखद मानवीय चूक' करार दिया है. बता दें कि बुधवार को ग्रीस के Larissa के पास एक पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के बीच आमने-सामने से टक्कर हो गई थी.
बुधवार, 1 मार्च को ग्रीस में हुए रेल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 43 हो गई है. ग्रीस के प्रधानमंत्री Kyriakos Mitsotakis ने इस हादसे को एक 'दुखद मानवीय चूक' करार दिया है. बता दें कि बुधवार को ग्रीस के Larissa के पास एक पैसेंजर ट्रेन और मालगाड़ी के बीच आमने-सामने से टक्कर हो गई थी. जिसमें ट्रेनों के कई डिब्बे न सिर्फ पटरी से उतर गए थे बल्कि उनमें आग भी लग गई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रेन में करीब 350 यात्री सवार थे, जिनमें से ज्यादातर छात्र थे जो छुट्टियां मनाकर वापस लौट रहे थे. बताया जा रहा है कि मालगाड़ी Larissa की तरफ जा रही थी जबकि पैसेंजर ट्रेन Thessaloniki की तरफ जा रही थी. आज हम आपको बताएंगे कि भारत में रेल यात्री ट्रेनों में यात्रा के दौरान कितने सुरक्षित हैं.
कवच नाम का प्रोटेक्शन सिस्टम इस्तेमाल कर रही भारतीय रेल
बताते चलें कि भारत में रेल हादसों को कम करने के लिए रेल मंत्रालय और भारतीय रेल हरसंभव प्रयास कर रही है. ग्रीस जैसे रेल हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेल ट्रेनों में कवच नाम की एक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है, जो आमने-सामने से होने वाली ट्रेनों की टक्कर को रोकने में अहम भूमिका निभाती है. खास बात ये है कि ये एक ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन सिस्टम है जो पूरी तरह से स्वदेशी है. कवच ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत ट्रेन के लोकोमोटिव यानी इंजनों में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (RFID) इंस्टॉल किए जाते हैं. इसके साथ ही ये डिवाइस सिग्नलिंग सिस्टम और रेल की पटरियों में भी इंस्टॉल किए जाते हैं.
लोको पायलट को अलर्ट करने के साथ ट्रेन की स्पीड कम करता है कवच
इस ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन सिस्टम के तहत जब एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें आमने-सामने से आती हैं तो लोको पायलट को अलर्ट मिलने लगता है. इसके साथ ही ये सिस्टम ट्रेन की गति को ऑटोमैटिकली कम कर देते हैं, जिससे ट्रेनों की आपस में टक्कर नहीं होती. बताते चलें कि रेल मंत्रालय ने पिछले साल इस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग भी की थी. मार्च, 2022 तक दक्षिण मध्य रेलवे का 1098 रूट किलोमीटर इस टेक्नोलॉजी से लैस हो चुका था. मौजूदा वक्त में इसका दायरा कितना बढ़ाया गया है, इसके बारे में फिलहाल पुख्ता जानकारी नहीं है.