देश की इकलौती ऐसी ट्रेन जिसकी रफ्तार इतनी कम कि जानकर आप भी कहेंगे साइकिल भी इससे तेज दौड़ती है बॉस
Slowest Train in India: बेहद धीमी रफ्तार से चलने वाली इस ट्रेन का नाम यूनेस्को विश्व धरोहर में भी शामिल है. कहा जाता है कि ये अंग्रेजों के जमाने की ट्रेन है. इसकी शुरुआत 1899 में हुई थी. भाप के इंजन से चलने वाली ये ट्रेन खूबसूरत वादियों, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरती है.
भारत में पूर्व से पश्चिम की यात्रा हो या उत्तर से दक्षिण की, आपको हर रूट के लिए ट्रेन आसानी से मिल जाएगी. सरकार की ओर से रेल नेटवर्क को और ज्यादा मजबूत और सुविधाजनक बनाने का प्रयास किया जा रहा है. राजधानी (Rajdhani Express), शताब्दी (Shatabdi Express) और तेजस (Tejas Express) जैसी सुपरफास्ट ट्रेनों के अलावा देश को 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली 7 वंदे भारत (Vande Bharat Express) की सौगात भी मिल चुकी है और 19 जनवरी को आठवीं वंदे भारत को पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) हरी झंडी दिखाने वाले हैं. इतना ही नहीं, आगामी बजट (Budget 2023) में 200 Km/hrs की रफ्तार दौड़ने वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेनों (Semi High Speed Trains) के ऐलान की भी चर्चा है यानी कुल मिलाकर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के साथ देश में रेलवे के इंफ्रास्ट्रक्चर को और ज्यादा स्ट्रॉन्ग बनाने की कवायद लगातार जारी है.
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी देश में एक ट्रेन ऐसी भी है, जो इतनी धीमी चलती है कि आपको जानने के बाद भी यकीन नहीं होगा. इस ट्रेन का नाम है 'मेट्टुपालयम ऊटी नीलगिरी पैसेंजर ट्रेन'. इसे नीलगिरि माउंटेन ट्रेन/रेलवे के नाम से भी जाना जाता है. ये ट्रेन भारत की सबसे धीमी रफ्तार से चलने वाली ट्रेन है.और वर्षों से लोगों के आकर्षण का केंद्र है. आइए आपको बताते हैं इस ट्रेन से जुड़ी दिलचस्प बातें.
जानिए ट्रेन की स्पीड
भारत की सबसे धीमी गति से चलने वाली ये ट्रेन तमिलनाडु के मेट्टुपालयम से ऊटी रेलवे स्टेशन के बीच हर रोज चलती है. इस बीच ये केलर, कुन्नूर, वेलिंगटन, लवडेल और ऊटाकामुंड स्टेशनों से होकर गुजरती है. कहा जाता है कि ये ट्रेन 46 किलोमीटर के सफर को 5 घंटे में तय करती है और कई बार तो ये सफर तय करने में 6-7 घंटे का भी समय लग जाता है. यानी साइकिल से चलने वाला भी इससे तेज स्पीड में चल सकता है. बेहद धीमी रफ्तार से चलने वाली इस ट्रेन का नाम यूनेस्को विश्व धरोहर में भी शामिल है.
अंग्रेजों के जमाने की है ट्रेन
कहा जाता है कि ये अंग्रेजों के जमाने की ट्रेन है. इसकी शुरुआत 1899 में हुई थी. भाप के इंजन से चलने वाली ये ट्रेन खूबसूरत वादियों, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ और घने जंगलों के बीच से होकर गुजरती है. 46 किलोमीटर की यात्रा के दौरान ये ट्रेन 100 से ज्यादा पुल और कई छोटी-बड़ी सुरंगों से होकर गुजरती है. इस बीच मेट्टुपालयम और कुन्नूर के बीच का रास्ता सबसे सुंदर है. इस ट्रेन में यात्रा करने वाले लोग इन्हीं सुंदर प्राकृतिक स्थलों का आनंद लेने के लिए इसमें बैठते हैं. सीटी मारता हुआ इंजन और प्राकृतिक नजारों को निहारने का मजा ही कुछ और है. इस कारण ये ट्रेन लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी है.
ट्रेन में हैं लकड़ी के डिब्बे
नीले और क्रीम रंग की इस ट्रेन के डिब्बे लकड़ी के बने हैं, जिनमें बड़ी खिड़कियां हैं. ट्रेन में फर्स्ट क्लास और जनरल कैटेगरी दोनों के डिब्बे हैं. मेट्टुपालयम स्टेशन से सुबह 7:10 पर ये ट्रेन निकलती है और दिन में करीब 12 बजे तक ऊटी पहुंचती है. इसके बाद दोपहर 2 बजे से यह ऊटी से निकलती है और शाम को 5:30 बजे मेट्टुपालयम स्टेशन पर वापस आ जाती है. बता दें नीलगिरि माउंटेन रेलवे एशिया का सबसे कठिन ट्रैक माना जाता है. इस रेलवे ट्रैक को लोग इंजीनियरिंग का चमत्कार कहते हैं.
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