टकराने पर भी ये 'पहिये' ट्रेन को पलटने या घूमने से रोक देंगे, विदेशी मुद्रा की भी होगी बचत
LHB wheels: एलएचबी पहिये को सेल के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर फॉर आयरन एंड स्टील (आरडीसीआईएस) और रेलवे के रिसर्च डिजाइन एवं स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) की गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया गया है.
सरकारी क्षेत्र की इस्पात कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने भारतीय रेल की लिंके होफमैन बुस्च (एलएचबी) कोचों के लिए अत्याधुनिक एलएचबी पहियों की पहली खेप सोमवार को रवाना कर दी. सेल ने इस खेप में 30 एलएचबी पहियों की आपूर्ति की है. सेज की मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है.
सेल ने जर्मन तकनीक से बने एलएचबी डिब्बों को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) डिब्बों से बदलने की योजना के बाद एलएचबी पहियों का निर्माण शुरू किया है. जिसके बाद रेलवे ने सेल को ट्रायल रन के लिए 1000 एलएचबी पहिये का शुरुआती ऑर्डर दिया था. सेल ने 30 एलएचबी पहिये की पहली खेप के साथ एलएचबी पहियों की आपूर्ति शुरू कर दी है.
सेल की विज्ञप्ति में कहा गया है, एलएचबी पहिये को सेल के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर फॉर आयरन एंड स्टील (आरडीसीआईएस) और रेलवे के रिसर्च डिजाइन एवं स्टैण्डर्ड ऑर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) की गुणवत्ता के आधार पर तैयार किया गया है. यह टकराव की स्थिति में ट्रेन को पलटने या घूमने से रोकने में सक्षम होंगे.
इस मौके पर सेल के अध्यक्ष अनिल कुमार चौधरी ने दुर्गापुर इस्पात संयंत्र के कार्मिकों की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा, "हमारा पूरा ध्यान एलएचबी पहियों की आपूर्ति जल्द से जल्द शुरू करने पर है ताकि हम भारतीय रेल की अत्याधुनिक जरूरत को घरेलू स्तर पर ही पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ पाएं. मुझे भरोसा है कि भारतीय रेल को एलएचबी पहियों की घरेलू स्तर पर आपूर्ति, आयात घटाने और विदेशी मुद्रा की बचत में मददगार होगी."
सेल करीब पाँच दशक से भारतीय रेलवे को पहिये एवं एक्सेल मुहैया करा रहा है और रेलवे की जरूरतों के अनुसार, सेल ने लोको व्हील विकसित किए हैं, जिन्हें पहले आयात किया जाता था. सेल देश का एकमात्र फोर्ज्ड़ व्हील उत्पादक है, जिसकी वार्षिक क्षमता 70 हजार से भी अधिक फोर्ज्ड़ व्हील उत्पादन की है. इसके साथ ही मांग के अनुरूप अन्य डिजाइन और आकार के पहिये भी तैयार किए जाते हैं. हाल ही में सेल ने कोलकाता मेट्रो के लिए भी पहियों की आपूर्ति की है.