आमतौर पर माना जाता है कि हवाई जहाज का सफर रेल के सफल से अच्छा होता है, लेकिन भारतीय रेलवे ने एयरलाइंस द्वारा लगाए जाने वाले मनमाने चार्ज पर निशाना साधते हुए खुद को बेहतर बताया है. दरअसल सस्ती हवाई सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी इंडिगो अब सभी सीटों के वेब चेकइन के लिए लेवी चार्ज कर रही है. इस पर रेलवे ने मजाकिया लहजे में ट्वीट किया, रेल से सफर करने के लिए किसी 'किसी वेब-चेकइन की जरूरत नहीं. सीट पहले से एलॉट होती है और इसके लिए कोई एक्ट्रा चार्ज नहीं. वाजिब कीमत.' 

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रेलवे ने लिखा, 'वेब चेकइन के लिए एक्सट्रा चार्ज करने की जरूरत नहीं. अपना सामान रखने के लिए कोई लंबी लाइन नहीं. गैर-वाजिब किराए से बचिए और अच्छी पुरानी भारतीय रेलवे से वाजिब कीमत पर यात्रा करके कार्बन फुटप्रिंट को भी कम कीजिए.' पिछले सप्ताह में ये दूसरा मौका है जब रेलवे ने एयरलाइंस के यात्रियों को अपनी ओर रिझाने की कोशिश की है. देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस इंडिगो 14 नवंबर से वेब चेकइन करने पर लेवी चार्ज कर रही है. हालांकि इस फैसले की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की गई.

वेब चेकइन पर सभी सीटों के लिए चार्ज करने वाली इंडिगो अकेली एयरलाइंस नहीं है. स्पाइस जेट भी सभी सीटों के लिए चार्ज करती है, गोएयर और जेट एयरवेज कुछ सीटों के लिए चार्ज करते हैं, जबकि विस्तारा किसी भी सीट के लिए चार्ज नहीं लेती है.

क्या है वेब चेकइन?

 

किसी भी एयरलाइंस का कन्फर्म टिकट खरीदते समय आपको सीट नंबर तुरंत नहीं दी जाती है. यात्रा वाले दिन एयरपोर्ट पर चेकइन करते समय बताया जाता है कि आपकी सीट कौन सी है. किसी परेशानी से बचने के लिए आप ऑनलाइन सीट नंबर ले सकते हैं. इसे ही वेब चेकइन कहते हैं. वेब चेकइन से मनचाही सीट मिलने के चांस बढ़ जाते हैं.

इंडिगो में अभी तक पहली, 12वीं और 13वीं पंक्ति की सीट चुनने पर 600 रुपये अलग से देने पड़ते थे, क्योंकि इस सीटों में दूसरी सीटों के मुकाबले एक्सट्रा लेगरूम होता है, यानी पैर रखने के लिए ज्यादा जगह होती है. इसके अलावा भी कुछ सीटों को चुनने पर अलग से पैसे देने होते थे, लेकिन कई सीटें मुफ्त थीं. अब सभी सीटों पर एक्सट्रा चार्ज लगा दिया गया है. अब वेब चेकइन करने पर यात्रियों को 100 से 800 रुपये तक चुकाने होंगे.