असम में देश का सबसे लम्बा पुल बन कर तैयार है. ये पुल ब्रह्म्पुत्र नदी पर बना हुआ है. इस पुल के बन जाने से अरुणाचल प्रदेश और चीन की सीमा से लगे इलाकों के लिए असम तक आना जाना बेहद आसान हो जाएगा. यह पुल डिब्रुगढ़ को ढेमाजी से जोडेगा. इस पुल का फायदा सेना को काफी बड़ें पैमाने पर मिलेगा. इस पुल के जरिए मिनटों में चीन की सीमा तक सेना का सामान पहुंचाया जा सकेगा.

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भूकंप का इस पुल पर नहीं होगा असर

ये पुल जिस इलाके में बना हुआ है यहां पर अक्सर रिक्टर स्केल पर 07 तक की तीर्वता के भूकंप अक्सर आते रहते हैं. लेकिन इस पुल को इस तरह से बनाया गया है कि इस पर इन भूकंपों का कोई असर नहीं होगा.

1997 में इस पुल की नीव रखी गई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 दिसम्बर को बोगीबील पुल को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इस पुल की नीव 1997 में रखी गई थी. तत्कालिक प्रधानमंत्री एचडी देवीगौड़ा ने इस पुल का शिलान्यास किया था. इस पुल को बनाने का काम 2002 में शुरू हो सका. उस समय देश के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई थे. इस पुल को बनाने का उद्देश्य देश के पूर्वी बॉर्डर के लगे हिस्से में आवागमन को और सुलभ बनाना है.  

सेना को सामान ले जाने में हाेगी सहूलियत

बोगीबील पुल को इस तरह से बनाया गया है कि इस पर रेलगाड़ी व कार एक साथ चल सकेंगे. इसके चलते यह स्थानीय लोगों के लिए एक बड़े तोहफे के तौर पर है. इस पुल से भारतीय सेना का 1700 मिट्रिक टन तक का टैंक तक ले जाया जा सकता है. पुल को बनाने में वेल्डेड गार्डरों का प्रयोग किया गया है.