India's first Water Metro: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) 25 अप्रैल को अपनी केरल यात्रा के दौरान भारत की पहली वाटर मेट्रो (Water Metro) को लॉन्च करेंगे. Water Metro एक यूनिक अर्बन मास ट्रांजिट सिस्टम है, जो ट्रेडिशनल मेट्रो के जैसे ही ट्रांसपोर्टेशन एक्सपीरिएंस देगी. यह कोच्चि जैसे शहरों में बहुत उपयोगी है. बता दें कि इस अनोखे वाटर मेट्रो सिस्टम से कोच्चि और उसके आस-पास के 10 द्वीपों को जोड़ने की योजना बनाई गई है. जिसमें हर निश्चित अंतराल पर लोगों को बेहद किफायती कीमत पर एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाएगा.

1136 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया कि कोच्चि में शुरू होने वाले इस वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत 1,136.83 करोड़ है. 

 

विजयन ने ट्वीट किया, "वर्ल्ड क्लास कोच्चि वाटर मेट्रो परियोजना (Kochi Water Metro Project) शुरू होने वाली है. यह कोच्चि और उसके आसपास के 10 द्वीपों को जोड़ने वाली केरल की महत्वाकांक्षी परियोजना है. कुल 78 इलेक्ट्रिक नौकाएं और 38 टर्मिनल के साथ केडब्ल्यूएम की लागत 1,136.83 करोड़ है, जो केरल सरकार और केएफडब्ल्यू द्वारा वित्त पोषित है." 

कहां से कहां तक चलेगी वाटर मेट्रो

मुख्यमंत्री ने फेसबुक पर अपनी पोस्ट में कहा कि वाटर मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण के तहत उच्च न्यायालय-वाइपिन टर्मिनल से व्याटिला-कक्कनाड टर्मिनल तक सेवा जल्द ही शुरू होगी. उन्होंने कहा कि वातानुकूलित नौकाओं में किफायती और सुरक्षित यात्रा लोगों को यातायात जाम में फंसे बिना अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद करेगी. 

उन्होंने कहा कि पैसेंजर 'कोच्चि 1' कार्ड का इस्तेमाल करके कोच्चि मेट्रो और वाटर मेट्रो दोनों में यात्रा कर सकते हैं. विजयन ने कहा कि लोग डिजिटल रूप से भी टिकट बुक कर सकते हैं.

अधिकारियों के अनुसार, मोदी सरकार ने बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए एक आकार के सभी दृष्टिकोण से बचने के लिए एक सचेत विकल्प बनाया है. इस दृष्टिकोण का एक प्रमुख उदाहरण देश में मेट्रो कनेक्टिविटी के विस्तार में देखा जाता है. अधिकारियों ने मेट्रो सिस्टम के विभिन्न रूपों के बीच अंतर को और विस्तृत किया.

लोगों को मिलेगी ये सुविधा

उन्होंने कहा, "मेट्रो लाइट एक कम लागत वाला मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है, जो आराम, सुविधा, सुरक्षा, समय की पाबंदी, विश्वसनीयता और पर्यावरण मित्रता के मामले में पारंपरिक मेट्रो प्रणाली के समान अनुभव और यात्रा में आसानी के साथ है."

उन्होंने आगे कहा कि यह 15,000 पीक आवर पीक डायरेक्शन ट्रैफिक वाले टियर-2 शहरों और छोटे शहरों के लिए कम लागत वाला मोबिलिटी समाधान है.

क्या है मेट्रो लाइट?

अधिकारियों ने कहा, "मेट्रो लाइट (Metro Lite) की लागत पारंपरिक मेट्रो प्रणाली का 40 प्रतिशत है. जम्मू, श्रीनगर और गोरखपुर जैसे शहरों में इसकी योजना बनाई जा रही है."

नासिक के लिए है ये योजना

उन्होंने कहा, "मेट्रो नियो में रबर टायर वाले इलेक्ट्रिक कोच हैं जो ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम द्वारा संचालित होते हैं जो रोड स्लैब पर चलते हैं, साथ ही आराम, सुविधा, सुरक्षा, समय की पाबंदी, विश्वसनीयता और इको फ्रेंडली के मामले में पारंपरिक मेट्रो प्रणाली के समान अनुभव और यात्रा में आसानी के साथ सड़क के स्लैब पर चलते हैं."

बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक में भी मेट्रो नियो की योजना बनाई जा रही है.

उन्होंने कहा, "मेट्रो नियो एक इलेक्ट्रिक बस ट्रॉली जैसा दिखता है और 8,000 पीक ऑवर पीक डायरेक्शन ट्रैफिक की सवारियों को पूरा कर सकता है. इसके लिए मानक गेज ट्रैक की आवश्यकता नहीं है. मेट्रो नियो की योजना नासिक, महाराष्ट्र में बनाई जा रही है." 

इसके साथ ही अधिकारियों ने रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पहली बार एनसीआर (दिल्ली-मेरठ) में दो शहरों को जोड़ने वाली रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम की शुरुआत की जा रही है. 

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