अगर आप रेलवे के निजीकरण (railway privatisation) की बात सुनते आए हैं तो यह खबर आपको पूरी क्लियरिटी देगी. इस मुद्दे पर दरअसल, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Railway Minister Ashwini Vaishna) ने बुधवार को स्पष्ट कर दिया कि रेलवे के निजीकरण (प्राइवेटाइजेशन) का कोई सवाल ही नहीं है और इस बारे में कही गई सारी बातें काल्पनिक हैं. पीटीआई की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि सरकार की नजर में ‘रणनीतिक क्षेत्र’ के रूप में रेलवे की सामाजिक जवाबदेही है जिसे वाणिज्यिक व्यवहार्यता पर ध्यान देते हुए पूरा किया जा रहा है.

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रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता

खबर के मुताबिक, वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय (Ministry of Railways) के नियंत्रणाधीन अनुदानों (grants under control) की मांगों पर चर्चा’ का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे के निजीकरण का कोई सवाल ही नहीं है. इस बारे में कही गई बातें काल्पनिक हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे का निजीकरण नहीं हो सकता है क्योंकि पटरियां रेलवे की हैं, इंजन रेलवे के हैं, स्टेशन और बिजली के तार रेलवे के हैं. इसके अलावा डिब्बे और सिग्नल सिस्टम भी रेलवे की ही हैं.

60 हजार करोड़ रूपये की सब्सिडी दी जा रही

वैष्णव ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती पीयूष गोयल भी पहले स्पष्ट कर चुके हैं कि रेलवे का ढांचा जटिल है और इसका निजीकरण (railway privatisation) नहीं होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मालगाड़ियों का भी निजीकरण नहीं किया जा रहा है. रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे की सामाजिक जवाबदेही पर ध्यान दें तब स्पष्ट होगा कि हम 60 हजार करोड़ रूपये की सब्सिडी दे रहे हैं. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ‘वर्ष 2022-23 के लिए रेल मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों’ को मंजूरी प्रदान कर दी. वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जीवन से रेल से जुड़ा रहा है, वह रेल को बहुत अच्छी तरह समझते हैं.

रेलवे में निवेश की कमी थी

रेल मंत्री ने कहा कि आज रेलवे (Indian Railways) किस मोड़ पर है, यह जानने के लिए हमें पीछे जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले जैसी नीतिगत पंगुता थी, उसका प्रभाव रेलवे पर भी था. रेल मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले रेलवे में निवेश की कमी और नजरिये की दिशाहीनता थी, साथ ही टेक्नोलॉजी में बदलाव नहीं हो पा रहा था, कर्मचारियों में विभागीय कॉम्पिटीशन थी और इसके चलते रेलवे लगातार बाजार में हिस्सेदारी खोता जा रहा था.

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सांसद खुद कहते हैं कि बदलाव दिखता है

सरकार के कदमों का उल्लेख करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार बनने के बाद सबसे पहले सफाई पर ध्यान दिया गया. इसके बाद जमीनी कार्यालयों के स्तर पर अधिकारियों को शक्तियां दी गईं. आज ज्यादातर निविदाएं फील्ड अधिकारियों द्वारा तय होती हैं, वे रेलवे बोर्ड के पास नहीं आती. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने रेलवे को नई दिशा दी. बहुत बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ है. सांसद खुद कहते हैं कि ये परिवर्तन दिखता है.